बिहार की सियासी तस्वीर साफ कर देगा दूसरा चरण, तेजस्‍वी यादव की प्रतिष्‍ठा भी दांव पर

बिहार की सियासी तस्वीर साफ कर देगा दूसरा चरण, तेजस्‍वी यादव की प्रतिष्‍ठा भी दांव पर

Patna:बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में राज्‍य की सियासी तस्‍वीर साफ होती दिख रही है। इसमें महागठबंधन के मुख्‍यमंत्री चेहरे व राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्‍वी यादव (Tejashwi Yadav) की प्रतिष्‍ठा दांव पर लगी है। वे वैशाली के राघोपुर से चुनाव मैदान में हैं। दूसरे चरण में राज्य के चार मंत्रियों के कामकाज भी जनता की कसौटी पर हैं। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के समधी चंद्रिका राय (Chandrika Rai) भी इसी चरण में जेडीयू से परसा विधानसभा सीट पर भाग्‍य आजमा रहे हैं। कई बाहुबलियों के नाते-रिश्‍तेदार भी विधायक बनने की होड़ में हैं।

पहले और दूसरे चरण में दो तिहाई सीटों हो जाएगा मतदान

विदित हो कि 17 जिलों की 94 सीटों के लिए 1514 प्रत्‍याशी मैदान में हैं। सत्‍ताधारी राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) एवं विपक्षी महागठबंधन (Mahagahbandhan), दोनों प्रमुख गठबंधनों के बीच हार-जीत के खेल का यह बड़ा प्लेटफार्म साबित होने वाला है, क्योंकि पहले और दूसरे चरण को मिलाकर दो तिहाई से ज्यादा सीटों पर प्रत्याशियों की किस्मत लिख दी जाएगी। तीसरे और अंतिम चरण में सत्ता के खेल में संख्या के फर्क को घटाने-बढ़ाने की औपचारिकता भर रह जाएगी।

राघोपुर में दांव पर तेजस्‍वी की प्रतिष्‍ठा

दूसरे दौर में सबकी नजर दो सीटों राघोपुर और हसनपुर पर सबसे ज्यादा टिकी रहेंगी। राघोपुर से नेता प्रतिपक्ष एवं महागठबंधन के मुख्यमंत्री के प्रत्याशी (CM Face) तेजस्वी यादव और हसनपुर सीट से उनके बड़े भाई तेजप्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) का फैसला होना है। तेजस्वी अपनी पुरानी सीट से ही चुनाव मैदान में हैं, जबकि तेजप्रताप ने इस बार महुआ के बदले हसनपुर को चुना है। उनका मुकाबला जेडीयू के राजकुमार राय से होगा, जो पिछली दो बार से विधायक हैं। लालू परिवार के लिए राघोपुर को सुरक्षित दुर्ग माना जाता है। यहां से 1995 में पहली बार लालू प्रसाद चुनाव जीते थे। 2005 में राबड़ी देवी (Rabri Devi) ने भी लालू की विरासत को बरकरार रखा। लालू परिवार के आधिपत्य को वर्ष 2010 में जदयू के टिकट पर सतीश राय ने राबड़ी को हराकर खत्म किया। अबकी सतीश भाजपा के टिकट पर तेजस्वी के रास्ते में खड़े हैं।

जनता की कसौटी पर चार मंत्री

राज्य सरकार के चार मंत्रियों का कामकाज जनता की कसौटी पर है। चारों में दो भारतीय जनता पार्टी (BJP) और दो जनता दल यूनाइटेड (JDU) के हैं। पटना साहिब से बीजेपी के वरिष्ठ नेता एवं मंत्री नंद किशोर यादव और मधुबन से मंत्री राणा रणधीर सिंह हैं तो नालंदा से जेडीयू के वरिष्ठ नेता एवं मंत्री श्रवण कुमार और हथुआ से मंत्री रामसेवक सिंह। लालू प्रसाद के समधी चंद्रिका राय को जेडीयू ने परसा से उतारा है। वे पिछली बार आरजेडी के टिकट पर जीते थे, लेकिन पारिवारिक झगड़े ने पार्टी बदलने पर विवश किया। लालू ने अपने समधी के खिलाफ छोटेलाल राय को टिकट दिया है।

बाहुबलियों पर भी रहेगी नजर

बाहुबलियों को तरजीह देने के लिहाज से भी दूसरे चरण की खूब चर्चा हो रही है। किसी वजह से अगर दबंग को टिकट देना मुनासिब नहीं माना गया तो उनके नाते-रिश्तेदारों को सिंबल थमा दिया गया। जेडीयू ने बोगो सिंह को मटिहानी, धूमल सिंह की पत्नी सीता देवी को एकमा, रणवीर यादव की पत्नी पूनम देवी को खगडिय़ा और अमरेंद्र पांडेय को कुचायकोट से मैदान में उतारा है। आरजेडी ने शिवहर से आनंद मोहन के पुत्र चेतन आनंद को उपकृत किया है। पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला लालगंज से निर्दलीय ही किस्मत आजमा रहे हैं।

खूब दिख रहा भाई-भतीजावाद

इस दौर में भाई-भतीजावाद भी जमकर हुआ है। कई बड़े नेताओं ने बेटे-बेटियों और भतीजों को भी टिकट दिलाया है। कांग्रेस के चार प्रत्याशी ऐसे ही हैं। पटना के बांकीपुर से फिल्म स्टार शत्रुघ्न सिन्हा के पुत्र लव सिन्हा, बिहारीगंज से समाजवादी नेता शरद यादव की पुत्री सुभाषिनी, लालगंज से पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार के भतीजे पप्पू सिंह कांग्रेस के टिकट पर भाग्य आजमा रहे हैं। लोक जनशक्ति पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष प्रिंस राज के भाई रोसड़ा से चुनाव लड़ रहे हैं। जेडीयू ने हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव आर्य के पुत्र कौशल किशोर को राजगीर से उतारा है।

इस चुनाव में बदले समीकरण

2015 के चुनाव परिणाम की बात करें तो कुल सीटों में से 30 पर जेडीयू और 33 पर आरजेडी को जीत मिली थी। बीजेपी को 20 और कांग्रेस के खाते में सात सीटें आई थीं। एलजेपी को दो तथा एक-एक पर माले और निर्दलीय को जीत मिली थी। तब आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस एक साथ थे। उस हिसाब से 70 सीटों पर महागठबंधन और एलजेपी समेत 22 पर एनडीए को कामयाबी मिली थी। अब महागठबंधन के बिखरने के बाद यह समीकरण बदल गया है। एलजेपी के रास्ते अलग होने के बावजूद जेडीयू व बीजेपी के साथ से एनडीए मजबूत हुआ है। दोनों का दायरा बढ़कर 50 हो गया है।

किसके कितने प्रत्याशी

महागठबंधन

– आरजेडी: 56

– कांग्रेस: 24

– सीपीएम: 4

– सीपीआइ: – 4

– सीपीआइ एमएल: 6

एनडीए

– बीजेपी: 45

– जेडीयू: 43

– वीआइपी: 6

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