लॉकडाउन में अब नहीं बढ़ेगा लोन EMI का मोराटोरियम, फिर भी कर्ज में मिलेगी राहत, जानें- क्या होगा तरीका

लॉकडाउन में अब नहीं बढ़ेगा लोन EMI का मोराटोरियम, फिर भी कर्ज में मिलेगी राहत, जानें- क्या होगा तरीका

Patna: कोरोना काल में पैदा हुए आर्थिक संकट में कर्जधारकों को लोन की किस्तें चुकाने में बैंकों की ओर से 31 अगस्त तक के लिए राहत मिली हुई है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को मौद्रिक नीतियों का ऐलान करते हुए इस पर कुछ स्पष्ट तौर पर नहीं कहा है। लेकिन मोराटोरियम की अवधि को बढ़ाने की बजाय आर्थिक संकट में घिरे लोगों को राहत देने के लिए कुछ और तरीका निकाला जा सकता है। दरअसल आरबीआई ने अलग से एक प्लान तैयार किया है। इसके तहत बैंक अपने ग्राहकों को अपने स्तर पर राहत देने के लिए फैसले ले सकेंगे। आइए जानते हैं, कैसे ग्राहकों को कर्ज पर मिल सकती है राहत…

बैंक अपने लेवल पर दे सकेंगे राहत: आरबीआई के प्रस्ताव के मुताबिक मोराटोरियम की अवधि में इजाफा नहीं किया जाएगा यानी कर्जधारकों को 1 सितंबर से तय किस्तों के अनुसार कर्ज चुकाना होगा। हालांकि बैंकों के पास यह विकल्प होगा कि यदि कोई कर्जधारक छूट की अवधि समाप्त होने के बाद भी कर्ज नहीं चुका पा रहा है तो उसके लोन को पुनर्गठित यानी रीस्ट्रक्चर किया जाए। यह सुविधा भी इस साल के अंत यानी 31 दिसंबर तक के लिए ही होगी। इस छूट की शर्त हर कर्जधारक और बैंक के मुताबिक अलग-अलग हो सकती है।

किस्तों की रकम हो सकती है कम: एक्सपर्ट्स के मुताबिक लोन की रीस्ट्रक्चरिंग के तहत ग्राहकों को किस्त चुकाने पर पूरी तरह से छूट नहीं दी जाएगी। इसकी बजाय किस्त के अमाउंट में कमी की जा सकती है। इसके तहत किस्तों में इजाफा हो जाएगा, लेकिन मौके पर कम रकम चुकानी होगी। इसके अलावा सिर्फ ब्याज की रकम चुकाने की भी छूट दी जा सकती है।

इंटरेस्ट पर भी मिल सकती है राहत: फिलहाल मोराटोरियम के तहत कर्जधारकों को लोन न चुकाने की पूरी तरह से छूट मिली हुई है। हालांकि मोराटोरियम की अवधि में भी ग्राहकों के कर्ज पर ब्याज जारी है, जिसे उन्हें मोराटोरियम की अवधि के बाद चुकाना होगा। इसके अलावा इंटरेस्ट में भी कुछ राहत दी जा सकती है। हालांकि अब तक आरबीआई की ओर से यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि यह राहत सभी तरह के टर्म लोन्स पर मिलेगी या चुनिंदा कर्जों पर ही राहत मिलनी है।

31 अगस्त को खत्म हो रहा मोराटोरियम: कोरोना संकट के चलते आरबीआई ने पहले मार्च से लेकर मई तक के लिए कर्जधारकों को लोन न चुकाने की राहत दी थी। इसके बाद लॉकडाउन में इजाफा होने के बाद इस राहत को भी बढ़ाकर 31 अगस्त तक कर दिया गया था। इसके बाद भी मोराटोरियम की अवधि को बढ़ाए जाने की चर्चाएं चल रही थीं, लेकिन एसबीआई और एचडीएफसी बैंक के प्रमुखों समेत बैंकिंग इंडस्ट्री ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि इससे आर्थिक स्थिरता बिगड़ जाएगी।

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