Patna:बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) 2020 के परिणाम घोषित किए जा चुके हैं. बिहार के इस 17वीं विधानसभा में इस बार जातिगत समीकरण के आधार पर सामाजिक न्याय की झलक देखने को मिलेगी. इस बार विभिन्न जाति-वर्ग का प्रतिनिधित्व तो सदन में दिखेगा ही, मगर वर्चस्व पिछड़ों और अति पिछड़ों का ही रहेगा. अब यदि किसी सदस्यों की संख्या किसी एक जाति पर केंद्रित करें तो विधानसभा पहुंचने वाले सर्वाधिक 54 सदस्य यादव जाति के हैं, जबकि अन्य पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों से सदन में आने वालों की संख्या 46 है.
बिहार की राजनीति में जाति और सामाजिक आधार का रोल और खास माना जाता है. सामाजिक आधार पर नई विधानसभा में 40 प्रतिशत से अधिक संख्या में पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों के सदस्य रहेंगे. बिहार में बाहुल्य माने जाने वाले यादवों की बात करें तो एनडीए से 14 और महागठबंधन से 41 यादव जीते हैं. हालांकि पिछले चुनाव की तुलना में यह संख्या 7 कम ही है. सदन में मुस्लिम सदस्यों की संख्या भी इस बार दहाई में ही है.
64 सवर्ण जाति के सदस्य
बिहार की नई विधानसभा में सवर्ण जाति के प्रतिनिधियों की संख्या 64 होगी. इनमें एनडीए के 45, महागठबंधन के 17 और लोजपा व निर्दलीय एक-एक हैं. इनमें भी राजपूत, ब्राह्मण, भूमिहार, कायस्थ शामिल हैं. मुस्लिम सदस्यों की संख्या 20 है, जिसमें 14 महागठबंधन से, पांच एआईएमआईएम और एक बसपा से जीते हैं. इसके अलावा 39 दलित और महादलित सदस्य भी सदन में बैठेंगे. इनमें एनडीए कोटे के 22 और महागठबंधन के 17 सदस्य हैं. जबकि विधानसभा पहुंचने वाले वैश्य चेहरों की संख्या 20 है. इनमें से 14 एनडीए से हैं.