Patna:बिहार के विधायक (MLA) अब बेफिक्र होकर दल-बदल कर सकते हैं. इससे उनकी राजनीतिक सेहत और संभावना पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. विधानसभा (Bihar Assembly) की सदस्यता खत्म नहीं होगी. वेतन और पेंशन पर भी असर नहीं पड़ेगा. यही वजह है कि विभिन्न दलों के विधायक अपनी प्रतिबद्धता बदल रहे हैं. कानून के जानकार कहते हैं कि प्रक्रिया इतनी जटिल है कि मुख्य सचेतक अगर किसी विधायक की सदस्यता खत्म करने की सिफारिश करें तो कागजी खानापूर्ति में ही 16वीं विधानसभा की मियाद खत्म हो जाएगी.
अब 16वीं विधानसभा के सत्र की संभावना नहीं
राजद के अशोक कुशवाहा को छोड़कर फिलहाल किसी भी पार्टी के किसी अन्य विधायक ने अपनी मर्जी से दल- बदल नहीं किया है. जदयू के एक और राजद के तीन विधायक निष्कासित हुए हैं. दल से निष्कासन की कार्रवाई पहले हुई है. अब वे किसी अन्य दल में शामिल हो सकते हैं. दल से निष्कासन के आधार पर किसी विधायक की सदस्यता नहीं जा सकती है. सदन के अंदर वे पार्टी ह्वीप का उल्लंघन करें, तब सदस्यता खत्म हो सकती है. 16वीं विधानसभा का एक और सत्र आयोजित हो, इसकी संभावना नहीं है. लिहाजा, इन निष्कासित विधायकों पर दल-बदल से जुड़े कानून के तहत कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है. हां, नैतिकता के आधार पर ऐसे विधायक सदन की सदस्यता का त्याग कर सकते हैं.
तकनीकी वजह से संभव नहीं विधायकों के खिलाफ कार्रवाई
विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी कहते हैं कि मेरे पास अभी तक किसी दल के मुख्य सचेतक का आवेदन नहीं आया है, जिसमें किसी विधायक की सदस्यता समाप्त करने की मांग की गई हो. आएगा तो देखेंगे. दल बदल कानून के जानकार पूर्व विधायक डॉ. हरखू झा कहते हैं कि विधायकों के खिलाफ कार्रवाई तकनीकी वजह से भी संभव नहीं है. चीफ ह्वीप शिकायत करेंगे. विधानसभा अध्यक्ष आवेदन की जांच करेंगे. संबंधित विधायक को स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा जाएगा. इसमें महीनों लग सकते हैं. तब तक नई विधानसभा गठित हो जाएगी और राजनीतिक खेल का अध्याय बंद हो जाएगा.
दल-बदल करने वाले विधायकों को देना होगा इस्तीफा
दल-बदल करने वाले विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष के सामने एक बार उपस्थित होकर इस्तीफा देना ही होगा. इसमें वे बताएंगे कि अपनी दलीय प्रतिबद्धता बदल रहे हैं. इस्तीफे की स्वीकृति के आधार पर उन्हें विधानसभा से नो-ड्यूज सर्टिफिकेट मिलेगा, जिसे वे अगले चुनाव के नामांकन के समय पेश करेंगे. यह अनिवार्य है.