Desk: केरल के तिरुवनंतपुरम में सीबीआई की विशेष अदालत ने सिस्टर अभया मर्डर केस में दोनों आरोपियों को दोषी पाया है. मर्डर केस में 28 साल बाद कोर्ट का फैसला आया है जिसमें पादरी थॉमस कोट्टूर और नन सेफी को दोषी पाया गया है. दोनों की सजा का फैसला बुधवार को होगा.
21 साल की सिस्टर अभया का शव कोट्टायम में 1 मार्च 1992 को कॉन्वेंट के कुएं में मिला था. शुरुआत में स्थानीय पुलिस और क्राइम ब्रांच ने सुसाइड का केस दर्ज किया था. इसके बाद एक्शन काउंसिल के दबाव में केस की जांच सीबीआई को दी गई थी.
सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने माना है कि हत्या के पहले दोषी पादरी थॉमस कोट्टूर हैं, जबकि दूसरी दोषी सिस्टर सेफी हैं. पादरी थॉमस पर आईसीपी की धारा 302 यानी हत्या, सबूत मिटाने (आईपीसी-201) और बिना इजाजत घर में घुसने (449) जैसी संगीन धाराओं में केस चार्जशीट किया गया था. जबकि सिस्टर सेफी को हत्या और सबूत मिटाने की धाराओं में दोषी पाया गया है.
कोर्ट ने पाया कि 7 मार्च की सुबह सिस्टर अभया जब कॉन्वेंट के डाइनिंग हॉल में पानी लेने गईं तो उन्होंने थॉमस कोट्टूर और सिस्टर सेफी को आपत्तिजनक हालत में पाया. ये देखकर फादर थॉमस कोट्टूर ने सिस्टर अभया पर किसी हथियार से हमला कर दिया जिससे वो गिर गईं. इसके बाद फादर थॉमस ने जोस और सेफी के साथ मिलकर कॉन्वेंट (ननों का आश्रम) के कुएं में सिस्टर अभया को फेंक दिया और इस हत्या को सुसाइड बताने की कोशिश की गई. लेकिन एक चश्मदीद की गवाही ने दोनों को सलाखों के पीछे तक पहुंचा दिया.
इस केस में कई ट्विस्ट और टर्निंग प्वाइंट आए. कई सालों तक ट्रायल चला. सीबीआई ने हालांकि शुरुआती जांच में ही ये पता लगा लिया था कि केस सुसाइड का नहीं बल्कि मर्डर का है, लेकिन वो आरोपियों तक नहीं पहुंच पा रही थी. आखिरकार कोर्ट के दखल के बाद सीबीआई ने फादर थॉमस, जोस पुथरिकायिल और सिस्टर सेफी को गिरफ्तार कर लिया. हालांकि, 2018 में जोस को सीबीआई कोर्ट ने बरी कर दिया.
इस केस का मुख्य आधार एक चश्मदीद की गवाही बनी. इस शख्स का नाम राजू है. बताया गया कि कथित चोर राजू उस वक्त कॉन्वेंट में मौजूद था जिस वक्त यह अपराध किया गया था.