Patna: बेटियां किसी से कम नहीं है. ये हरियाणा के एक परिवार ने साबित किया है. इस परिवार की बेटियों ने देश की सेना में जाकर साबित कर दिया है कि बेटियां भी मातृभूमि की रक्षा करना चाहती हैं. बेटियों ने अपने माता-पिता का ही नाम रोशन नहीं किया बल्कि पूरा हरियाणा आज इन पर गौरवान्वित महसूस करता है. इन बेटियों की लगन और हिम्मत की कहानियां सुनने लायक है. आप भी इनके जज्बे की कहानियां सुनने के बाद कहेंगे, वाह बेटियां.
प्रताप सिंह देशवाल किसान हैं. जब देशवाल के परिवार में घर की तीन बेटियों ने सेना में जाने का सपना देखा तो सबने पूरा समर्थन किया. परिवार से कोई सेना में था नहीं इसलिए आस पड़ोस के लोगों को ये कुछ अटपटा लगा लेकिन पिता देशवाल अपनी बेटियों के साथ खड़े रहे. ये तीनों बहनें प्रीति, दीप्ति और ममता हैं, जो अपनी स्कूली शिक्षा पूरी कर लेने के बाद 2012 में सशस्त्र बल मेडिकल कॉलेज में चयनित हुईं. उन्हें अलग-अलग कैंपस में प्रशिक्षित किया गया. प्रीति को कोलकाता में, दीप्ति को मुंबई में और ममता को पुणे में प्रशिक्षण मिला.
रोहतक के किसान प्रताप सिंह देशवाल की दो बेटियां प्रीति और दीप्ति और भतीजी ममता ने ये उपलब्धि हासिल कर अपने परिवार का नाम रौशन किया. बेटी है सेना में जाकर क्या करेगी, लोगों इन बातों को दरकिनार करते हुए, तमाम चुनौतियों को पीछे छोड़ते हुए दो सगी बहनों और उनकी कजन सिस्टर ने सेना की मेडिकल कौर में लेफ़्टिनेंट के पद पर ज्वाइनिंग हासिल की. इस मौके पर 1965 में लाल बहादुर शास्त्री द्वारा दिया गया उनका नारा ‘जय जवान, जय किसान’ याद आता है.
आर्मी मेडिकल कोर में भर्ती होने के बाद अब अलग-अलग राज्य में ज्वाइनिंग मिली. बता दें तीनों बहनें सैन्य अस्पताल में कार्यरत हैं, जो अलग-अलग जगहों पर हैं. ममता सैन्य अस्पताल रानीखेत में, तो वहीं दीप्ति आगरा में तैनात हुईं, जबकि प्रीति तमिलनाडु के वेलिंगटन में नियुक्त हुई.