Desk: बिहार में लगातार बढ़ रही श’राब त’स्करों की संख्या को लेकर अब हाई कोर्ट ने भी चिंता जताई हैं. कोर्ट ने इस मामले पर बड़ा बयान देते हुए कहा कि बिहार में श’राब त’स्करी बढ़ने का सबसे बड़ा कारण पुलिस और त’स्करों की मिली भगत हैं.
दरअसल अभियुक्त जितेंद्र यादव पर ये आरोप था कि वे श’राब त’स्करी करता था, लेकिन पुलिस ने अभियुक्त के खिलाफ निर्धारित सीमा के भीतर 60 दिन में आरोप-पत्र दायर नहीं की इसलिए उससे जमानत दिया जाए. वकिल ने कहा कि भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 167 का लाभ मिलना चाहिए. ऐसे में वकिल के इस बयान से कोर्ट नाराज हो गई और पीठ में मौजूद न्यायाधीश बिरेन्द्र कुमार ने कहा कि आखिर यह सब क्या हो रहा है. आप अपने स्तर से इस मामले पर कार्रवाई करें.
लेकिन डीजीपी की ओर से डीएसपी (मुख्यालय) ने शिथिलता के साथ कारण बताओ नोटिस का जवाब दे दिया. जवाब से असंतुष्ट कोर्ट ने पाया कि अभियुक्त के खिलाफ कांटी थाना कांड संख्या 174 /2018, कांटी पीएस नंबर 405/ 2018 , कांटी पीएस नं. 513 /2020, कांटी पीएस नंबर 526/2020, कांटी पीएस नंबर 788 /2019 और कांटी पीएस नंबर 264/2020 पहले दर्ज थे. सारे मामले श’राब बंदी कानून के ही उल्लंघन से ही संबंधित थे.
क्या था माजरा
अभियुक्त जितेंद्र यादव पर मुजफ्फरपुर के कांटी थाना कांड संख्या 776/ 2019 दर्ज हुआ था. इस घटना में अभियुक्त के पॉलट्री फॉर्म से 466 लीटर विदेशी श’राब पाया गया था. अभियुक्त ने अपने बचाव के लिए पहले मुजफ्फरपुर जिला न्यायालय में जमानत अर्जी दायर की थी. लेकिन वहां उन्हें जमानत नहीं मिली तो 23 दिसंबर को पटना हाई कोर्ट में जमानत अर्जी दायर की. हाई कोर्ट में उसके जमानत पर तत्काल सुनवाई होनी संभव नहीं थी, तो पुलिस ने अभियुक्त की मदद करते हुए आरोप पत्र दायर नहीं किया और इसका लाभ अभियुक्त को मिल गया.