Desk: बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के दौरान CM Nitish ने जहां कहीं भी रैलियां की उन्होंने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट की चर्चा जरुर की. सीएम ने अपने हर एक संबोधन में ड्रीम प्रोजेक्ट के जरिए अपनी उपलब्धियों को गिनवाया और खुब वाह वाही लूटी. लेकिन नीतीश जी की खुशी को हमेशा किसी ना किसी की नज़र लग ही जाती हैं. इस बार नज़र उनके ही श्रम संसाधन विभाग के मंत्री जिवेश मिश्रा ने लगा दिया.
दरअसल आज विधानसभा में चल रहे बजट सत्र के दौरान श्रम संसाधन विभाग के मंत्री जिवेश मिश्रा ने कहा कि इस कंपनी ने बगैर काम किए ही जो पेमेंट लिया है उसकी वसूली और जांच का फैसला किया गया है. आपको बता दें कि नीतीश के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत कुशल युवा कार्यक्रम में चुनी गई कंपनी ने बगैर काम के ही पेमेंट ले लिए. कुशल युवा कार्यक्रम के लिए महाराष्ट्र की एमकेसीएल कंपनी को पोर्टल बनाने का काम 2016 में दिया गया था. अपनी बातों को रखते हुए जिवेश मिश्रा ने बताया कि करीब 26 लाख की रकम इस कंपनी को पेमेंट के तौर पर की गई है लेकिन बीजेपी के विधायक आरोप लगा रहे थे कि इसमें करोड़ों का खेल हुआ है.
ऐसे में एक बड़ा सवाल सामने आता हैं कि इतनी बड़ी गलती का जिम्मेदार कौन है? बिहार में एक तरफ जहां शिक्षकों को कई महीने तक काम करने के बाद भी पेमेंट नहीं मिलते रहता है तो वहीं बाहर से आई कंपनियां बिना काम किए ही पेमेंट उठा ले रही है. सरकार को इस मामले से जुड़े तमाम अधिकारियों और कर्मियों को बर्खास्त कर देना चाहिए. साथ ही उन पर कारवाई भी होनी चाहिए.