वाह रे घोटालेबाज! बिहार में 65 साल की महिला द्वारा आठ बच्चों के जन्म देने के नाम पर सरकारी राशि का किया गया गबन

वाह रे घोटालेबाज! बिहार में 65 साल की महिला द्वारा आठ बच्चों के जन्म देने के नाम पर सरकारी राशि का किया गया गबन

Patna:घोटालेबाज कोई हद नहीं छोड़ते। उनका वश चले तो कुछ भी कर दें। ऐसा ही एक मामला बिहार के मुजफ्फरपुर में सामने आया है, जिसे जान कर आप हैरान रह जाएंगे। 13 महीने के भीतर एक 65 साल की एक बुजुर्ग महिला द्वारा आठ बच्चों के जन्म देने के नाम पर सरकारी राशि का गबन (embezzlement) किया गया है। एक अन्‍य महिला को तो एक ही दिन में दो बार बच्‍चे को जन्‍म देते बताया गया है। मामला मुजफ्फरपुर में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (National Health Mission) में फर्जीवाड़ा का है।

65 की उम्र में आठ बच्‍चे! किया गबन

मिली जानकारी के अनुसार मुजफ्फरपुर के मुशहरी प्रखंड के छोटी कोठिया गांव की 65 साल की उम्र पार कर चुकीं शांति देवी के बैंक खाते में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत बच्चे को अस्पताल में जन्म देने पर मिलने वाली 14 सौ रूपये की राशि भेजी जा रही है। जबकि, उन्‍होंने 20 सालों के दौरान किसी बच्चे को जन्म नहीं दिया है। उनका सबसे छोटा बेटा 20 साल का है। शांति देवी के बैंक खाते में तीन जुलाई से तीन अगस्‍त तक 13 महीने के दौरान छह बार 1400 रुपये की राशि भेजी गई है। खास बात यह है कि शांति देवी के अनुसार इस गोरखधंधे का पता तक नहीं है। आठ बच्‍चों का जन्‍म दिखा राशि क्रेडिट होने के अगले दिन ही उनके खाते से रुपये निकाल लिए गए।

एक ही दिन दो बार बच्‍चे का जन्‍म

यह कहानी केवल शंति देवी की नहीं है। मुजफ्फरपुर के छोटी कोठिया की लीला देवी के खाते में भी 13 महीने के दौरान आठ बार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की योजना की 1400 रुपये की राशि भेज कर उसकी निकासी कर ली गई। लीला देवी को भी इसका पता नहीं चला। परिवार नियोजन का ऑपरेशन करा चुकीं लीला देवी को एक दशक से कोई बच्चा नहीं हुआ है, लेकिन कभी एक ही दिन दो बार तो कभी कुछ माह के अंतराल पर मुशहरी के प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र में बच्‍चे का जन्‍म दिखाया गया।

आशा कार्यकर्ता को जानकारी नहीं

खास बात यह भी है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में बच्चे के जन्म पर आशा कार्यकर्ता को भी छह सौ रूपये देने का प्रावधान है, लेकिन उक्‍त मामलों में आशा कार्यकर्ता को महिलाओं के गर्भवती होने की जानकारी नहीं है। योजना के तहत लाभुक महिलाओं और संबंधित आशा कार्यकर्ता के खातों में संबंधित पीएचसी प्रभारी के हस्ताक्षर से पैसे जाते हैं। इस बाबत मुसहरी के पीएचसी प्रभारी डॉ. उपेन्द्र चौधरी क्लर्क के छुट्टी पर होने के कारण फिलहाल कुछ भी बताने में असमर्थता जता रहे हैं। सिविल सर्जन डॉ.एसपी सिंह इस घोटाले की तह तक जाने का भरोसा देते हैं। कहते हैं कि पूरे जिले में इसकी पड़ताल होगी और लिए दोषी पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

बड़ा सवाल: आखिर कैसे हुई निकासी?

लीला देवी कहती हैं कि घोटाले की जानकारी मिली तो उन्‍होंने स्‍टेट बैंक के स्‍थानीय सीएसपी संचालक सुशील कुमार को इसकी सूचना दी। सीएसपी सेंटर पर फिंगर प्रिंट मशीन से खाते से राशि की निकासी का प्रावधान है। ऐसे में सवाल यह है कि खातेधारियों की जानकारी के बिना उनके फिंगर प्रिंट लेकर राशि की निकासी कैसे हो रही है? स्टेट बैंक मुशहरी के बैंक प्रबंधक चन्द्रजीत कुमार बार-बार एक ही योजना के पैसे खास बैंक खातों में आने की घटना पर आश्‍चर्य जताते हैं। वे शिकायत मिलने पर कार्रवाई कर रहे हैं।

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