Desk:बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हम ( HAM ) पार्टी के कर्ता-धर्ता जीतन राम मांझी एक अलग ही चक्रव्यूह रच रहे है। एक तरफ जहां मांझी का महागठबंधन के प्रति प्रेम बढ़ता ही जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर गठबंधन दल से उनकी बेवफाइ भी बढ़ते जा रही हैं। दरअसल पिछले कुछ दिनों से मांझी लगातार पीएम मोदी ( PM MODI ) से लेकर सीएम नीतीश ( CM NITISH ) तक सबको खरी- खोटी सुना रहे हैं। ऐसे में सबके मन में एक ही सवाल खड़ा हो रहा हैं कि मांझी आखिरकार कौन सी सियासी खिचड़ी पका रहे हैं।
दरअसल कुछ दिनों से जीतन मांझी अपने ट्विट के जरिए लगातार चर्चाओं में बने हुए हैं। सबसे पहले उन्होंने 24 मार्च को पीएम मोदी पर कटाक्ष किया था। उन्होंने अपने ट्विट के जरिए लिखा था कि पीएम मोदी को फोटो लगाने का इतना ही शौक है तो कोरोना डेथ सर्टिफिकेट पर भी लगाएं। ऐसे में उनके इस ट्विट को लेकर बीजेपी ( BJP ) काफी आक्रोशित हो गई थी।
तो वहीं ये मुद्दा अभी उबाल मार ही रहा था कि मांझी ने एक बार फिर से अपने बयान के जरिए सीएम नीतीश पर भी तंज कस दिया। उन्होंने सीएम नीतीश को सलाह देते हुए कहा कि कोरोना से निपटने के लिए लॉकडाउन समाधान नहीं है, उसके लिए बिहार की स्वास्थ व्यवस्था को ठीक करना ही पड़ेगा। ऐसे में कहीं ना कहीं उन्होंने नीतीश सरकार को निकम्मा बताते हुए तमाम व्यवस्थाओं को सुधारने की सलाह दी थी।
इसी क्रम में बात करें तो मांझी ने 29 मई को अपने आवास पर वीआईपी के प्रमुख मुकेश सहनी ( Mukesh Shahni ) को मिलने बुलाया था। जहां इन दोनों के बीच करीब एक घंटे तक बातचीत चली थी। इन दोनों की इस मुलाकात के कारण तमाम गठबंधन पार्टियां का चिंता में भी आ गई थी। सबके मन में यहीं सवाल था कि मांझी आखिरकार कौन सी खिचड़ी पक्का रहे है। ऐसे में एनडीए के तमाम नेता भले ही यह दावा कर रहे हैं कि जीतन राम किसी और के ‘मांझी’ नहीं बनेंगे, लेकिन जानकारों का तर्क है कि मांझी ने सियासी उड़ान भरने की महत्वाकांक्षा जगजाहिर कर दी है।