Desk:पश्चिम चंपारण के मैनाटांड़ प्रखंड में थरूहट क्षेत्र के सबसे अंतिम छोर पर स्थित स्वास्थ्य उपकेंद्र तिलोजपुर का यह हाल है। यहां न पीने के पानी के लिए कोई इंतजाम है और ना शौचालय है।13,264 करोड़ के स्वास्थ्य बजट वाले बिहार में एक अस्पताल में शौचालय तक नहीं है। वहां के CHO (कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर) ने चिट्ठी लिखकर मजबूरी बताई है कि उन्हें और मरीजों को खुले में शौच करने जाना पड़ता है।
आधा दर्जन गांवों की सेहत का ख्याल इसी अस्पताल से
डमरापुर पंचायत के भीरभीरिया, बिरंची बाजार, बिरंची 3, दूधौरा, भथुहवां सहित कई गांवों के लोगों के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए तिलोजपुर में स्वास्थ्य उप केंद्र भवन बनाया गया। दो माह पूर्व स्वास्थ्य कर्मी की पदस्थापना भी कर दी गई, लेकिन यहां कोई सुविधा ही नहीं है। सुविधाओं के अभाव को लेकर प्रतिनियुक्त स्वास्थ्य अधिकारी CHO ने वहां काम करने में असमर्थता जताने की लिखित जानकारी स्वास्थ्य प्रबंधन को दी है।
CHO की चिट्ठी पूरे हेल्थ सिस्टम पर तमाचा
CHO ने चिट्ठी में बताया है कि उक्त स्वास्थ्य उप केंद्र पर न बिजली की व्यवस्था है और न शौचालय। यहां पीने का पानी तक नहीं है। भवन के आगे-पीछे झाड़ियों का अंबार है। ऐसे में वहां काम करना संभव नहीं है। CHO के वहां पर ड्यूटी नहीं देने से लोगों को 20 किलोमीटर या उससे ज्यादा ही दूरी तय कर मैनाटांड़ या नरकटियागंज जाकर अपना इलाज कराना पड़ता है।
क्या कहते हैं ग्रामीण
ग्रामीण हीरालाल पासवान, आशीष कुमार दास, निताई, विमल मंडल ने बताया कि तिलोजपुर स्वास्थ्य उपकेंद्र के लिए दुर्भाग्य की बात है कि सुविधा के अभाव में प्रतिनियुक्त स्वास्थ्य कर्मी काम नहीं करना चाहते हैं। मरीजों को पीने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। बिजली व रोगियों की बैठने की व्यवस्था नहीं है। शौचालय है भी तो जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है, जिसका उपयोग नहीं किया जा सकता।