Patna: भारतीय क्रिकेट टीम के ऑलराउंडर हार्दिक पंड्या और क्रुणाल पंड्या के पिता का शनिवार को निधन हो गया. हिमांशु पंड्या ने वडोदरा में आखिरी सांस ली, उन्हें दिल का दौरा पड़ा था. पिता के निधन के बाद क्रुणाल पंड्या बड़ौदा टीम के बायो बबल से बाहर निकल गए हैं. बता दें क्रुणाल सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में बड़ौदा का नेतृत्व कर रहे थे. वहीं हार्दिक पंड्या इस टूर्नामेंट में नहीं खेल रहे थे.
बड़ौदा क्रिकेट एसोसिएशन के कार्यकारी अधिकारी शिशिर हटांगड़ी ने कहा, हां क्रुणाल पांड्या बायो बबल से बाहर निकल गए हैं। यह ये निजी तौर पर दुखी करने वाली घटना है। बडौदा क्रिकेट एसोसिएशन इस दुख की घड़ी में हार्दिक और क्रुणाल के साथ संवेदना रखता है।
हार्दिक पांड्या सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में नहीं खेल रहे हैं वह फरवरी में इंग्लैंड के साथ होने वाली सीरीज की तैयारी में जुटे हैं। ऑस्ट्रेलिया में खेले गए हालिया टी20 और वनडे सीरीज में हार्दिक ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया था। चोट कि वजह से वह गेंदबाजी नहीं कर रहे हैं इसी वजह से उनको टेस्ट टीम में जगह नहीं दी गई थी।
हिमांशु पंड्या का अपने बेटों की सफलता में बड़ा हाथ रहा. हिमांशु सूरत में छोटा सा कार फाइनेंस बिजनेस चलाते थे, लेकिन अपने बच्चों को क्रिकेटर बनाने के लिए उन्होंने वडोदरा बसने का फैसला किया. वडोदरा में सूरत के मुकाबले क्रिकेट की अच्छी सुविधाएं थीं, इसीलिए हिमांशु पंड्या ने अपना बिजनेस तक बंद कर दिया था. हिमांशु पंड्या ने एक इंटरव्यू में बताया था कि बेटों को सिर्फ क्रिकेट खेलने देने के फैसले पर उनके कई रिश्तेदारों ने सवाल खड़े किये थे, लेकिन हम अपने विश्वास पर कायम रहे.
पिता ने दिया सपनो को पंख
हार्दिक और क्रुणाल को एक वर्ल्ड क्लास क्रिकेटर बनाने में उनके पिता का अहम रोल रहा। जिन्होंने इन दोनों भाइयों को कोई कमी महसूस नहीं होने दी। पिता ने दोनों भाइयों को बहुत कम उम्र में क्रिकेट सीखाने का काम शुरू किया था। इस दौरान उनके रिश्तेदारों ने इसपर काफी सवाल भी किए लेकिन पिता ने उनकी एक ना सुनी और वह अपने बेटों के भविष्य बनाने में लगे रहे।