Patna: दक्षिण कोरिया में कोरोना संकट के बीच चुनाव हुए हैं. कोरोना संकट के बीच सिंगापुर में भी चुनाव हुए हैं. तो वहीं कोरोना के खतरे के बावजूद अमेरिका में चुनाव होने जा रहे हैं. फिर बिहार में चुनाव क्यों नहीं हो सकता है. कोरोना के खतरे के बीच बिहार में चुनाव टालने की मांग पर नीतीश कुमार के खास सिपाहसलारों ने यही तर्क दिया है.
नीतीश के खास अशोक चौधरी का बयान
समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक नीतीश कुमार के करीबी और बिहार सरकार में मंत्री अशोक चौधरी ने कहा है कि दुनिया में बिहार एकमात्र ऐसा जगह नहीं होना जहां महामारी के बीच चुनाव होने वाले हैं. अशोक चौधरी ने कहा कि हमें लोगों के जान की परवाह है लेकिन चुनाव एक संवैधानिक जिम्मेवारी है जिस पर चुनाव आयोग को फैसला लेना है. उन्होंने कहा कि जेडीयू को उम्मीद है कि चुनाव आयोग मतदाताओं और चुनाव कराने में लगे लोगों की पर्याप्त सुरक्षा का इंतजाम करेगा.
अशोक चौधरी ने एक NGO द्वारा आयोजित वेबिनार में
“दुनिया भर में कोरोना के संकट के बीच बिहार ही एकमात्र स्थान नहीं है जहां चुनाव होने जा रहे हैं. हाल में ही दक्षिण कोरिया में आम चुनाव हुए हैं. सिंगापुर में भी चुनाव हुए हैं. कोरोना से भारी तबाही के बावजूद अमेरिका में इसी साल नवंबर में राष्ट्रपति के चुनाव होने जा रहे हैं.”
अशोक चौधरी ने कहा कि उनकी पार्टी चुनाव के लिए कोई दबाव नहीं बना रही है. ऐसा नहीं है कि जेडीयू की मर्जी से चुनाव होने चाहिये. लेकिन उनकी पार्टी की सोंच है एक निर्वाचित सरकार का कार्यकाल पूरा होने से पहले चुनाव कराना संवैधानिक जिम्मेवारी है. कुछ लोग चाहते हैं कि बिहार में चुनाव स्थगित हो जाये. ऐसी स्थिति में जेडीयू की राय है कि ये चुनाव आयोग पर छोड़ दिया जाना चाहिये. चुनाव आयोग सही फैसला लेगा.
चुनाव के लिए जेडीयू की बेचैनी
दो दिन पहले जेडीयू के दूसरे नेताओं ने भी अमेरिका का हवाला देते हुए बिहार में चुनाव कराने की मांग की थी. अब अशोक चौधरी ने अमेरिका के साथ साथ दक्षिण कोरिया और सिंगापुर का भी हवाला दिया है. जेडीयू नेताओं के बयानों से उनकी बेचैनी झलक रही है. दरअसल बिहार में कोरोना का खतरा दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है और इसके साथ ही बिहार विधान सभा चुनाव स्थगित करने की मांग भी तेज होती जा रही है.
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव कोरोना के खतरे को देखते हुए चुनाव स्थगित करने की मांग कर रहे हैं. तेजस्वी ने कहा है कि जरूरत पडे तो बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिये. तेजस्वी की मांग के बाद NDA में शामिल दल लोक जनशक्ति पार्टी ने भी चुनाव स्थगित करने की मांग कर दी है. इससे चुनाव आयोग पर दबाव बढ़ रहा है.
उधर आरजेडी ने चुनाव आयोग को ज्ञापन देकर पारंपरिक तरीके से चुनाव प्रचार करने की अनुमति देने की मांग की है. आरजेडी ने कहा है कि अगर उसे वोटरों के बीच जाकर प्रचार करने की अनुमति नहीं मिली तो वह चुनाव में शामिल ही नहीं होगी. आरजेडी के महागठबंधन में शामिल दूसरी पार्टियां भी ऐसा ही मांग कर रही हैं.