Patna: विधानसभा चुनाव के दौरान शराब की आमद बढ़ गई थी। 38 जिलों में 25 सितंबर से लेकर अगले डेढ़ माह में बरामद शराब के आंकड़ों से पुलिस की सक्रियता दिखती है। राजधानी पटना में भी 6763 लीटर विदेशी, 13032 लीटर देसी शराब बरामद हुुई। 130 धंधेबाज भी गिरफ्तार किए गए।
जिले 38, दिन 45, बरामद शराब 3 लाख 91 हजार लीटर। क्या यह शराबबंदी है। इतना ही नहीं बरामद कुल शराब की कीमत 1 अरब 25 करोड़ 58 लाख 43 हजार 77 रुपए आंकी गई। इस दौरान पुलिस ने 4148 धंधेबाजों को गिरफ्तार भी किया। इस बाबत जिला प्रशासन के अधिकारियों से सवाल किए गए तो उनका जबाव था- विधानसभा चुनाव की घोषणा होने से धंधेबाज ज्यादा सक्रिय हो गए हैं। जो भी हो, पर सवाल उठना लाजिमी है कि शराब बंद है भी या नहीं।
बीते 25 सितंबर से लेकर 10 नवंबर तक जिलों में जब्त शराब की खोजबीन में कई नई बातें और नायाब तरीकों से शराब तस्करी करने के मामले सामने आए। खासकर झारखंड, बंगाल, यूपी और नेपाल -बिहार सीमा के नवादा के रजौली में, गोपालगंज के यूपी-बिहार सीमा पर स्थित बलथरी चेकपोस्ट, किशनगंज, मधुबनी, अररिया, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण कैमूर, बक्सर, सीवान, औरंगाबाद, गया के सीमावर्ती इलाकों में तस्करों की चांदी है। इन जिलों धंधेबाज अक्सर पुलिस को चकमा देने में सफल हो जाते हैं।
इतना ही नहीं बीते डेढृ माह में ऐसी एक दर्जन घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें उत्पाद विभाग के अफसरों को और जांच में लगी पुलिस पर शराब के धंधबाजों ने हमला किया है। ट्रक से कुचलने की कोशिश भी की गई। छपरा के मशरक में 28 सितंबर की रात को ट्रक पर लदे 40 ड्रम शराब पुलिस ने जब्त की थी। पकड़ने के दौरान ट्रकचालक ने थानाध्यक्ष समेत तीन दारोगा व जवान को कुचलने की कोशिश की थी। जिसमें मशरक के थानेदार रत्नेश कुमार वर्मा बुरी तरह से जख्मी हो गये थे। ट्रकचालक फरार हो गया था। ट्रक ने पुलिस जीप को करीब दो सौ मीटर तक घसीटा था।
बीते एक माह के दौरान बेगूसराय की महेशबाड़ा पंचायत के उपमुखिया वैभव वर्धन की गिरफ्तारी हुई है। वह शराब की तस्करी और हत्या के मामले में फरार चल रहा था। पुलिस के अनुसार उपमुखिया वैभव वर्धन जिले का नामी शराब तस्कर है। इसके अलावा कई जिलों में शराब की बरामदगी राजनीतिक दल के झंडे लगी गाड़ियों से भी होती रही है। यह और बात है कि राजनीतिक रसूख के कारण पुलिस किसी बड़े नेता की गिरफ्तारी नहीं की और न ही नाम का खुलासा की।
इतने बड़े धंधे का खुलासा होने पर अब कई राजनीतिक पार्टियां इसकी समीक्षा की बात करने लगे हैं । कांग्रेस ने तो अपने घोषणापत्र में शराबबंदी की समीक्षा की बात की थी । हम के अध्यक्ष जीतनराम मांझी भी शराबबंदी कानून में संशोधन की बात कह चुके हैं । राज्य में अब नई सरकार नीतीश कुमार के नेतृत्व में बन गई है। इस सरकार के बनने में महिलाओं के वोट को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। ऐसे में चुनाव के दौरान जो लोग शराबबंदी कानून में संशोधन की बात कर रहे थे, अभी चुप हैं। इन सबसे अलग सोचने वाली बात यह भी है कि शराब तस्कर कई नए तरीके से इसकी तस्करी करने में जुटे हैं। कोई ट्रक में तहखाने बनाकर, कोई अपने शरीर में गोलियों ती तरह बोतल रखने वाले फंदे बनाकर इसकी तस्करी कर रहा है । टेंपो के इंजन में, टैंकर में तेल के ड्रम में शराब की तस्करी करने के कई मामलों का खुलासा पुलिस कर चुकी है।
चुनावी समय में 6313.5 लीटर शराब की जब्ती की गई है। इनमें देसी और विदेशी दोनों शराब शामिल हैं। इस दौरान 814 छापेमारियां करते हुए 89 केस दर्ज किए गए। बरामद की गई शराब की अनुमानित मूल्य 48 लाख से ज्यादा है। किशोर कुमार साह, सहायक आयुक्त, उत्पाद, गयानवादा के रजौली थाना क्षेत्र के जोगिनी गांव में शराबी पति से परेशान होकर हो गई अलग।
ऐसे समझें कैसे फलफूल रहे शराब माफिया
रजौली | शराब ने पति से पत्नी को अलग कर दिया। मामला रजौली थाना क्षेत्र के जोगिनी गांव का है। पति के शराब की लत छुड़वाने के लिए पत्नी 2 सालों तक प्रताड़ित होती रही, लेकिन इसके बावजूद कोई सुधार नहीं हुआ। पति ने जब शराब नहीं छोड़ी, तो अंत में पत्नी ने पति को ही छोड़ दिया। फरका बुजुर्ग पंचायत अंतर्गत जोगनी गांव के रामस्वरूप रविदास का पुत्र रवि कुमार का विवाह 3 वर्ष पूर्व सिरदला प्रखंड के सिंधोल गांव निवासी सुरेश राम की पुत्री टुन्नी कुमारी के साथ हुआ था। दोनों पति-पत्नी दिव्यांग हैं। शराब धंधे को लेकर पति पत्नी के बीच अक्सर विवाद होता रहता था और कई बार मामले में पंचायती भी की गई लेकिन रिश्ता बिगड़ता ही चला गया। नतीजा शादी के 3 साल बाद ही दोनों का रिश्ता खत्म हो गया।
दिव्यांग पति – पत्नी के अलग होने के फैसले पर उनके परिवार वालों ने भी सहमति जताई है। दोनों ने रिश्ता खत्म करने के लिए कानूनी मदद ली। दोनों पक्ष इसके लिए अनुमंडल न्यायालय पहुंचे। टुन्नी कुमारी ने बताई की पति के द्वारा बराबर शराब के नशे में आकर अभद्र शब्द का प्रयोग करते हुए मारपीट की जाती थी । इसके बाद भी शराबी पति को काफी समझाती थी लेकिन शराबी पति ने शराब पीना नहीं छोड़ा । मायके वालों को बताया तो दो बार गांव में पंचायत बैठा कर मामले को सुलझाने का प्रयास किया गया। पंचायत में शराब नहीं पीने और मारपीट नहीं करने का वादा करने के बाद भी पति के व्यवहार में सुधार नहीं हुआ। तब अपनी जिंदगी के बारे में सोच समझकर हमने अलग होने का फैसला लिया है।