चिराग को जीजा ने जमकर लताड़ा, कहा- रामविलास जी के सपने को उन्होंने तोड़ दिया

चिराग को जीजा ने जमकर लताड़ा, कहा- रामविलास जी के सपने को उन्होंने तोड़ दिया

Desk: लोजपा सांसद चिराग पासवान की मुश्किलें अब कम होती नजर नहीं आ रही है। LJP में मचे घमासान और पार्टी में मची खलबली के बीच चिराग पासवान के जीजा जी अब चिराग पासवान के खिलाफ बोलते नज़र आ रहे हैं।

चिराग पासवान का तख्ता पलट के बाद उनके जीजा साधु पासवान इसे दुखद बताते हुए कहा कि रामविलास पासवान जी का जो सपना था उसे तोड़ने का काम किया गया है। रामविलास जी ने कहा था कि मैं उस घर में दिया जलाने चला हूं जहां सदियों से अंधेरा है। रामविलास जी के सपने को चिराग ने चकनाचूर कियाा। एलजेपी में टूट के लिए खुद चिराग पासवान जिम्मेवार हैं। चिराग से चुक जरूर हुई है लेकिन चाचा पशुपति पारस से भी अपील करता हूं कि रामविलास के सपने को टूटने ना दें।

आपको बता दें की साधु पासवान वर्तमान में आरजेडी के नेता हैं। जीजा साधु पासवान ने कहा कि चिराग पासवान के राजनीतिक सलाहकार से भी कहीं गलती हुई है। उन्होंने कहा कि पांच साल मुझे लोजपा छोड़े हो गया है। मैं कभी एलजेपी का फाउंडर मेंबर था और दलित सेना का प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुका हूं। फिलहाल मैं आरजेडी में हूं लेकिन इस परिवार से मेरा निकट संबंध है। इस दुख की घड़ी में आज भी मैं चिराग के साथ हूं क्योंकि चिराग हमारे अनुज हैं। रामविलास जी की विरासत को हम टूटने नहीं देंगे और ना ही तोड़ने देंगे। इस दुख की घड़ी में चिराग के साथ हूं।

साधु पासवान ने ये भी कहा कि

रामविलास जी आज जिंदा होते तो आज यह नौबत नहीं आती। लोजपा पार्टी और परिवार को वे कभी बिखरने नहीं देते। उन्होंने कहा कि चाचा पशुपति पारस हमारे अभिभावक हैं मैं उनका सम्मान करता हूं। मैं पशुपति पारस से यही कहना चाहता हूं कि रामविलास पासवान की विरासत को बचा लिजिए। लोक जनशक्ति पार्टी में हुई टूट दुर्भाग्यपूर्ण है। साथ ही उन्होंने कहा कि रामविलास जी के निधन के बाद ही यह स्थिति उत्पन्न हुई है। चिराग पासवान और पशुपति पारस जी को आपस में बैठकर इस संबंध में बातचीत करनी चाहिए थी तभी कोई फैसला लेना चाहिए था। चाचा-भतीजा के बीच बातचीत नहीं हुई और इसी का नतीजा है कि इतना बड़ा फैसला उठा लिया गया। जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। रामविलास जी ने पार्टी को सींचा था मैं नहीं चाहता की लोजपा टूटे। किसी ना किसी से गलती जरूर हुई है। यदि पहले मिल बैठकर बात की जाती तो आज यह नौबत नहीं आती। पशुपति जी ने जो कदम उठाया वह बेहद चिंताजनक है।

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