पटना: कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है। कई जगह मरीजों के लिए जब अस्पतालों में बेड नहीं बचे तो मैदान में भी कोविड फैसिलिटी शुरू कराने के इंतजाम करने पड़े वहीं कई इलाके ऐसे भी हैं जहां अस्पताल बंद पड़े हैं। ऐसा ही एक अस्पताल है बिहार के भागलपुर जिले के कहलगांव प्रखंड अंतर्गत एकचारी पंचायत के रसलपुर का उप स्वास्थ्य केंद्र।
जानकारी के मुताबिक रसलपुर उप स्वास्थ्य केंद्र पिछले दो महीने से खुला ही नहीं है। और तो और इस उप स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात उषा कुमारी ड्यूटी करने आती भी नहीं हैं। ग्रामीणों की मानें तो उषा कुमारी उप स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात हैं लेकिन उनको गांव के लोगों ने कभी देखा तक नहीं है। लोग बताते हैं कि उषा कुमारी का घर सुल्तानगंज पड़ता है जो यहां से काफी दूर है।
लोगों ने स्वास्थ्य महकमे के अधिकारियों पर ड्यूटी से गायब रहने वाली स्वास्थ्यकर्मी का सपोर्ट करने का आरोप लगाया और कहा कि हम तो बस नाम से जानते हैं कि वो यहां तैनात हैं। उप स्वास्थ्य केंद्र पर कई गाय बंधी मिली। ग्रामीणों से जब इसे लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने बताया कि ये उप स्वास्थ्य केंद्र कभी खुलता ही नहीं है तो इसमें गाय नहीं रखेगा कोई तो क्या करेगा।
ग्रामीणों ने बताया कि यहां जाने कितनी दफे अधिकारी आए और गए लेकिन इस उप स्वास्थ्य केंद्र में सुविधा के नाम पर महज खानापूर्ति की जाती है। जब इस संबंध में कहलगांव अनुमंडल चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर विवेकानंद दास से भी उनका पक्ष जानने के लिए संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया।
आपको बता दें कि 13,264 करोड़ के स्वास्थ्य बजट वाले बिहार में एक अस्पताल में शौचालय तक नहीं है। दरअसल CHO (कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर) ने चिट्ठी लिखकर मजबूरी बताई है कि उन्हें और मरीजों को खुले में शौच करने जाना पड़ता है। पश्चिम चंपारण के मैनाटांड़ प्रखंड के में थरूहट क्षेत्र के सबसे अंतिम छोर पर स्थित स्वास्थ्य उपकेंद्र तिलोजपुर का यह हाल है। यहां न पीने के पानी के लिए कोई इंतजाम है और ना शौचालय है।
डमरापुर पंचायत के भीरभीरिया, बिरंची बाजार, बिरंची 3, दूधौरा, भथुहवां सहित कई गांवों के लोगों के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए तिलोजपुर में स्वास्थ्य उप केंद्र भवन बनाया गया। दो माह पूर्व स्वास्थ्य कर्मी की पदस्थापना भी कर दी गई, लेकिन यहां कोई सुविधा ही नहीं है। सुविधाओं के अभाव को लेकर प्रतिनियुक्त स्वास्थ्य अधिकारी CHO ने वहां काम करने में असमर्थता जताने की लिखित जानकारी स्वास्थ्य प्रबंधन को दी है।
सवाल यह है कि ऐसे समय जब उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाएं भी नाकाफी साबित होने लग रहीं, उप स्वास्थ्य केंद्र का बंद होना और वहां तैनात स्वास्थ्यकर्मी का ड्यूटी से नदारद रहना सरकारी खजाने का दुरुपयोग नहीं तो क्या है।