बिहार चुनाव में 34 फीसद विधायकों की छुट्टी, किसी से पार्टी तो किसी से जनता ने किया किनारा

बिहार चुनाव में 34 फीसद विधायकों की छुट्टी, किसी से पार्टी तो किसी से जनता ने किया किनारा

Patna:बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2020) में करीब 34 फीसद विधायकों की जनता ने छुट्टी कर दी। इनमें कुछ विधायकों से दलों ने पहले ही हार को देखते हुए किनारा कर लिया तो कुछ की सीटें गठबंधन के कारण दूसरे दलों को चली गईं। आगे रही सही कसर जनता ने पूरी कर दी। जनता दल यूनाइटेड (JDU) और राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD) के ज्यादा विधायकों को जनता ने नकार दिया। आरजेडी के 22 मौजूदा विधायक चुनाव हार गए। वहीं, जेडीयू के 35, भारतीय जनता पार्टी (BJP) के 11, कांग्रेस (Congress) के 13 और लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के दो विधायकों को जनता ने किनारे लगा दिया।

बीजेपी ने काटे सात विधायकों के टिकट

बीजेपी ने सत्ता विरोधी लहर और जनता के बीच विधायकों की लचर उपस्थिति को भांपते हुए सात विधायकों का टिकट काट दिया था। चुनाव परिणाम बता रहे हैं कि भाजपा की रणनीति सफल रही। सात में छह विधायक टिकट कटने के बाद बागी हो गए थे। वे जनता की अदालत में गए, लेकिन जमानत जब्त हो गई। पार्टी के खिलाफ नाइंसाफी की तमाम दुहाई काम नहीं आई। पांच वर्षों की वफादारी और वर्षों की जनसेवा का वास्ता देकर गुहार लगाया, लेकिन बात नहीं बनी। अहम यह है कि 17वीं विधानसभा चुनाव से पहले ही दलों ने कुल 35 विधायकों को बेटिकट किया था।

जेडीयू के 35 विधायकों जनता ने नकारा

जेडीयू ने 11 सीटिंग विधायकों को पहले ही बेटिकट कर दिए गए थे। इनमें फूलपरास से गुलजार देवी, बेनीपुर से सुनील चौधरी, जीरादेई से रमेश सिंह कुशवाहा, वैशाली से राजकिशोर सिंह, सुल्तानगंज से सुबोध राय, परबत्ता से आरएन सिंह, अमरपुर से जनार्दन मांझी, राजगीर से रवि ज्योति, एकमा से मनोरंजन सिंह, बाबूबरही से कपिलदेव कामत और डुमरांव से ददन पहलवान थे। हालांकि, बेटिकट किए गए कुछ विधायकों के स्वजनों को मैदान में उतरने का मौका दिया। पार्टी ने अमरपुर से जनार्दन मांझी के पुत्र जयंत राज, बाबूबरही से कपिलदेव कामत की बहू मीना कामत व परबत्ता से आरएन सिंह के पुत्र डॉ संजीव को मौका दिया। जनता ने पार्टी के कई विधायकों को नकार दिया। इनमें लौकहा से लक्ष्मेश्वर राय, शिवहर से सर्फुउद्दीन, बेलसंड से सुनीता सिंह चौहान, कोचाधामन से मुजाहिद आलम, सिंहेश्वर से रमेश ऋषिदेव, चेरिया बरियारपुर से मंजू वर्मा, गायघाट से महेश्वर यादव, दरभंगा ग्रामीण से फराज फातमी, तेघड़ा से वीरेंद्र कुमार, धौरेया से मनीष कुमार, हथुआ से रामसेवक सिंह, बड़हरिया से श्याम बहादुर सिंह, महाराजगंज से हेम नारायण साह, शेखपुरा से रणधीर कुमार सोनी, मटिहानी से नरेंद्र कुमार सिंह, महनार से उमेश सिंह कुशवाहा, खगडिय़ा से पूनम देवी, मोरवा से विद्याया सागर निषाद, विभूतिपुर से रामबालक सिंह, हसनपुर से राजकुमार राय, जमालपुर से शैलेश कुमार, कुर्था से सत्यदेव सिंह, गोविंदपुर से पूर्णिमा यादव, पालीगंज से जयवर्धन यादव, जहानाबाद से कृष्णनंदन वर्मा, राजपुर से संतोष कुमार निराला, नवीनगर से वीरेंद्र कुमार सिंह, अगिआंव से प्रभुनाथ प्रसाद, चेनारी से ललन पासवान, सासाराम से अशोक कुमार, करगहर से वशिष्ठ नारायण सिंह, दिनारा से जयकुमार सिंह, नोखा से नागेंद्र चंद्रवंशी, इस्लामपुर से चंद्रसेन प्रसाद, शेरघाटी से विनोद यादव शामिल हैं।

आरजेडी ने 17 विधायकों के टिकट काटे

आरजेडी के 17 विधायकों का पहले ही टिकट काट दिया था। इनमें सात महागठबंधन (Mahagathbandhan) में सीटों की साझेदारी की वजह से बेटिकट हो गए थे। 10 को टिकट नहीं दिया गया था। आरजेडी ने हरसिद्धि से राजेंद्र कुमार, केसरिया से राजेश कुमार, ओबरा से वीरेंद्र यादव, गोरियाकोठी से सत्यदेव सिंह, बरौली से मोहम्मद नेमतुल्लाह, तरैया से मुंद्रिका राय, सिमरी बख्तियारपुर से जफर आलम, मखदूमपुर से सूबेदार दास, गरखा से मुनेश्वर चौधरी व सहरसा से अरुण कुमार, बासयी से अब्दुस सुभान, पिपरा से यदुवंश कुमार यादव से पार्टी पहले किनारा कर लिया था।

चुनाव में केवटी से अब्दुल बारी सिद्दीकी, हायाघाट से भोला यादव, मोहिउद्दीननगर एज्या यादव, बाराचट्टी से समता देवी, चकाई से सावित्री देवी, पातेपुर से शिवचंद्र राम, सकरा से लालबाबू राम, बेलहर से रामदेव, जुमई से विजय प्रकाश, हिलसा से अत्रि मुनि उर्फ शक्ति सिंह यादव, बड़हारा से सरोज यादव, साहेबगंज से रामविचार राय, सीतामढ़ी से सुनील कुमार, रून्नीसैदपुर से मंगीता देवी, ढाका से फैजल रहमान, विस्फी से फैयाज अहमद, खजौली से सीताराम यादव, सुरसंड से अबु दोजाना, नरपतगंज से अनिल कुमार यादव, बरूराज से नंदकुमार राय, बरारी से नीरज कुमार हार गए।

कांग्रेस के 13 माननीय लगे किनारे

कांग्रेस के 13 माननीयों को भी जनता ने किनारे लगा दिया। नरकटियागंज से विनय वर्मा, बेतिया मदन मोहन तिवारी, बेगूसराय से अमिता भूषण, कहलगांव से सदानंद सिंह, वजीरगंज से अवधेश कुमार सिंह, सिंकदरा से बंटी चौधरी, कोढ़ा से पूनम पासवान, बहादुरगंज से मोहम्मद तौसीफ आलम, बेनपट्टी से भावना झा, गोविंदपुर से पूर्णिमा यादव, अमौर में अब्दुल जलील मस्तान, रोसड़ा के डॉ. अशोक कुमार, रीगा से अमित कुमार टुन्ना को जनता ने नकार दिया।

बीजेपी के 18 विधायक भी हारे

बीजेपी के भी 18 विधायक चुनाव हार गए। हारने वाले विधायकों में मुजफ्फरपुर से सुरेश शर्मा, गोह से मनोज शर्मा, डिहरी से सत्यनारायण सिंह यादव, चैनपुर से बृज किशोर बिंद, भभुआ से रिंकी रानी पांडेय, हिसुआ से अनिल सिंह, कल्याणपुर से सचीनेंद्र प्रसाद सिंह, दानापुर से आशा सिन्हा, रामगढ़ से अशोक कुमार, मोहनिया से निरंजन राम और सुगौली से रामचंद्र सहनी शामिल हैं।

इसके पूर्व बीजेपी ने पहले चरण में झाझा विधायक रविंद्र यादव की छुट्टी कर दी थी। यह सीट साझेदारी में जेडीयू को चली गई थी। वहीं, दूसरे चरण में चनपटिया विधायक प्रकाश राय, अमनौर विधायक शत्रुघ्न तिवारी उर्फ चोकर बाबा, सिवान विधायक व्यासदेव प्रसाद का टिकट काट दिया था। तीसरे चरण में बगहा से आरएस पांडेय, रक्सौल से अजय सिंह और बथनाहा विधायक दिनकर राम को पार्टी ने किनारे कर दिया था। इसमें महज एक प्रकाश राय पार्टी के प्रति वफदार बने रहे। बाकी छह के छह ने ताल ठोका और ढेर हो गए। किसी की जनता ने नहीं सुनी। इज्जत बचाने के लाले पड़ गए। जमानत तक नहीं बचा पाए। बोचहां की सिटिंग विधायक बेबी कुमारी सीट साझेदारी में विकासशील इनसान पार्टी (VIP) को चली गई थी।

एलजेपी के दोनों विधायकों का पत्ता साफ

लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के लालगंज से राजकुमार शाह और गोविंदगंज से राजू तिवारी चुनाव हार गए। दोनों मौजूदा विधायक थे।

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