Patna: जेडीयू नेता नीतीश कुमार ने सोमवार को सातवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। नीतीश लगातार चौथी बार प्रदेश के सीएम बने हैं। उनके साथ भाजपा कोटो से रेणु देवी और तारकिशोर प्रसाद ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली। नीतीश कैबिनेट में 14 लोगों को मंत्री पद मिला है। इसमें सात भाजपा, पांच जेडीयू, एक-एक हम और वीआईपी के नेता शामिल हैं। मंगलवार को मंत्रियों को उनके विभागों का बंटवारा कर दिया।
बिहार की राजनीति में सुशासन बाबू के नाम से मशहूर नीतीश कुमार की कैबिनेट में आठ मंत्री ऐसे हैं कि जिनपर आपराधिक मामले हैं। इनमें पूर्व वीसी और जेडीयू विधायक मेवा लाल चौधरी का नाम प्रमुख से शामिल हैं। चौधरी पर बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर का वीसी रहते भ्रष्टाचार का आरोप है। हालांकि इस मामले में चार्जशीट अभी तक फाइल नहीं की जा सकी है।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और इलेक्शन वॉच के बुधवार को जारी ताजा शोध के मुताबिक नीतीश कैबिनेट में शामिल 57 फीसदी अर्थात आठ मंत्रियों के खिलाफ आपराधिक मामले जबकि इनमें 6 के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इन आठ मंत्रियों में चार भाजपा, दो जेडीयू और एक-एक हम व वाआईपी के हैं।
इनमें पहला नाम मेवा लाल चौधरी का जिनपर कृषि विश्वविद्यालय का वीसी रहते भर्ती घोटाले का आरोप है। राजभवन के आदेश पर उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई थी। चौधरी 12.31 करोड़ की घोषित संपत्ति के साथ नीतीश कैबिनेट के सबसे अमीर मंत्री हैं। शोध में पता चला कि नई सरकार में मंत्रियों की औसत संपत्ति 3.93 करोड़ रुपए बैठती है।
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मेवा लाल चौधरी ने चुनावी हलफनामे में बताया कि उनके खिलाफ एक आपराधिक केस और चार गंभीर मामले दर्ज हैं। इसी तरह पशुपालन और मत्स्य पालन मंत्री मुकेश सहनी (वीआईपी) के खिलाफ पांच आपराधिक मामले और आईपीसी के विभिन्न धाराओं के तहत गंभीर प्रवृति के तीन मामले दर्ज हैं। भाजपा के जीवेश कुमार के खिलाफ पांच आपराधिक मामले और आईपीसी के तहत गंभीर प्रवृति के चार केस दर्ज हैं। नीतीश कैबिनेट में पांच अन्य नेता भी हैं जिनके खिलाफ अलग-अलग तरह के मामले दर्ज हैं।