Patna: अभी-अभी पटना से एक बड़ी खब़र सामने आ रही है जहां BPSC परीक्षा को लेकर आंदोलन कर रहे छात्रों को वहां मौजूद दरोगा ने गंदी-गंदी गालियां दी और धमकी देते हुए कहा कि हम तूम लोग पर FIR कर देंगे, सरकारी काम में बाधा दोगें तो *** फाड़ देंगे .
दरअसल बिहार विधानसभा का चुनाव होने के बाद से ही उम्मीद जताई जा रही थी कि पिछली बार की तरह इस बार की सरकार में प्रतयोगी परिक्षाओं के छात्रों के लिए इंतजार की घड़ियां लंबी नहीं होंगी। लेकिन लगता है सरकार अभी भी अपने पूराने रवैये पर ही रहना चाहती है। तभी तो छात्रों का गुस्सा अब सातवें आसमान पर है।
आज सुबह हजारों की संख्या में बीएसएससी की परीक्षा की तैयाररी करनेवाले छात्र बीएसएससी के पटना स्थित आॅफिस के बार डट गए। छात्रों ने इस दौरान जमकर बवाल काटा और परीक्षा को लेकर एडमिट कार्ड जारी होने में हो रही देरी को लेकर अपना विरोध जताया। लेकिन क्या आपको पता है कि छात्र जिस परीक्षा को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं वो परीक्षा पीछले 7 सालों से टल रही है। कई छात्रों की तो उम्र भी निकलने को है लेकिन न तो एडमिट कार्ड जारी हो रहा है न परीक्षा ली जा रही है। हाल ही में इस परीक्षा को कंडक्ट कराने को लेकर 13 दिसंबर की तारीख निकाली थी लेकिन अब जब परीक्षा में केवल 9 दिन बचे हैं, एडमिट कार्ड कब आएगा इसका कोई ठोर ठिकाना नहीं है।
क्या है पूरा मामला?
बीएसएससी की जिस परीक्षा को लेकर अभ्यार्थियों के बीच गुस्सा भरा हुआ है वो परीक्षा आज से 7 साल पहले ही आयोजित होनी थी। तब बिहार में जीतन राम मांझी सरकार के मुखिया थे जिन्हें नीतीश कुमार ने ही अपनी कुर्सी सौंपी थी। लेकिन बाद में नीतीश कुमार को लगा कि मांझी तो उनके नहीं बल्कि अपने हिसाब से सरकार चला रहे हैं तो फिर उनको कुर्सी से हटवा दिया और फिर से सीएम बन गए। खैर बात पर लौटते हैं, हुआ ये की सरकार की ओर से 2014 में 13 हजार पदों पर वेकैंसी निकाली गई। सबकुछ सही रहा लेकिन फिर बवाल हो गया, 2016 में इसके लिए परीक्षा का आयोजन हुआ लेकिन छात्रों की ओर से धांधली की बात कही गई और परीक्षा इसकी भेट चढ़ गई। यानि की हिन्दुस्तान में होनेवाली अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तरह ही यह परीक्षा भी विवादों की भेंट चढ़ने जा रही थी।
2016 में हुई परीक्षा को लेकर धांधली की बातें सामने आने लगी, वहीं आरोप लगा कि परीक्षा से पहले ही प्रश्न पत्र वायरल हो गया। इस पूरे मामले को लेकर उस समय भी छात्रों की ओर से जमकर प्रदर्शन किया गया। मामला इतना बढ़ गया कि बीएसएससी के सचिव परमेश्वर राम से मारपीट तक हो गई। मामले को बढ़ता देख सरकार भी हरकत में आई और इस पूरे मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया। सरकार की ओर से बनाई गई इस एसआईटी ने बीएसएसी अध्यक्ष सुधीर कुमार और सचिव परमेश्वर राम को परीक्षा में हुई धांधली का आरोपी माना और दोनों फिलहाल जेल में हैं। लेकिन इतना कुछ होने के बाद भी सबकुछ बेहतर नहीं हुआ।
2018 में इस परीक्षा का फिर से आयोजन किया गया। लेकिन इस बार पेंच रिजल्ट को लेकर फंस जाता है। रिजल्ट लेट होता है उधर छात्रों की हिम्म्त भी टूटने लगती है। फिर से एक बार धरना प्रदर्शन का दौर शुरू होता है। देर सबेर 14 फरवरी 2020 को इस परीक्षा के पीटी का रिजल्ट सामने आ जाता है। लेकिन अब बात फिर जाकर फंस जाती है मेन्स एग्जाम को लेकर। परीक्षा होने की बात होती है लेकिन तभी कोरोना वाला संक्रमण दुनिया समेत भारत में भी दस्तक दे देता है। सबकुछ प्रभावित होता है तो छात्रों की परीक्षा भी टलती है। फिर कभी लॉकडाउन तो कभी बिहार विधानसभा का चुनाव, परीक्षा टलती ही रहती हे। कुल चार बार मेन्स की परीक्षा टली।
अब 13 दिसंबर को परीक्षा लेने के लिए तारीख सामने आ गई है। लेकिन इधर हाई कोर्ट की ओर से यह कहा गया है कि 7 दिनों के अंदर बीएसएससी पीटी परीक्षा का कटआॅफ और मॉडल एंसर सामने रखे। वहीं जो 13 तारीख को परीक्षा होने को है उसको लेकर एडमिट कार्ड भी जारी नहीं किया गया है। ऐसे में छात्रों को अब डर लगने लगा है कि एक बार फिर से परीक्षा की तारीख आगे न खिसका दी जाए। 7 सालों से बीएसएससी की परीक्षा का इंतजार कर रहे छात्रों की हिम्मत अब जवाब दे रही है, यही कारण है कि अब छात्र बीएसएससी के आॅफिस के बाहर डट गए हैं। उनका साफ कहना है कि जबतक एडमिट कार्ड नहीं मिलता वो यहां से हटेंगे नहीं।