Patna: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शराबबंदी कानून का बिहार में जमकर दुरुपयोग हो रहा है। कानून के तहत शराब के नशे में पकड़े जाने वाले व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का प्रावधान है, न कि उसे पीट-पीट कर मौत के घाट उतार देने का। इस कानून का दुरुपयोग सरकारी मुलाजिम ही कर रहे हैं। आरोप है कि उत्पाद विभाग की टीम ने 32 साल के राजेश पांडेय को दो दिनों तक अपनी कस्टडी में रखा। इसकी दो दिनों तक जमकर पिटाई की, फिर फुलवारी शरीफ जेल भेज दिया। जब जेल के अंदर राजेश की हालत गंभीर हो गई तो उसे इलाज के लिए पीएमसीएच एडमिट कराया गया। जहां रविवार की सुबह उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई।
अब इस मामले ने तूल पकड़ लिया है। उत्पाद विभाग की टीम पर अब बेहद गंभीर आरोप लग रहे हैं। राजेश की मौत से पत्नी और दो छोटे-छोटे बच्चों के साथ पूरे परिवार का रो-रो कर बुरा हाल है। मासूम बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया।
बात 23 नवंबर की सुबह की है। गायघाट के खड़ा कुआं इलाके में रहने वाला राजेश पांडेय बस में खलासी है। उस दिन सुबह में वो बस स्टैंड से अपने घर जा रहा था। गायघाट में गोलंबर के पास से उसे उत्पाद विभाग की टीम ने शराब पीने के मामले में अपनी कस्टडी में ले लिया था। इस बात की जानकारी परिवार को नहीं दी गई थी।
बहन किरण का आरोप है कि उसके भाई को जिला उत्पाद विभाग की टीम ने कलेक्ट्रेट स्थित सेल में दो दिनों तक बंद करके रखा। वहीं पर उसकी खूब पिटाई की। सिर, पीठ और दोनों पैरों में चोट व जख्म के निशान मिले हैं। जानकारी मिलने पर 25 नवंबर को परिवार भाई से मिलने पहुंचा था, लेकिन उससे मिलने नहीं दिया गया। दो दिनों की पिटाई के बाद उसे फुलवारी शरीफ जेल भेज दिया गया था।
अस्पताल लाने पर भी नहीं बताया
बेरहमी से पिटाई किए जाने की वजह से राजेश पांडेय की हालत फुलवारी शरीफ जेल के अंदर बिगड़ गई। 27 नवंबर की दोपहर उसे चुपचाप तरीके से इलाज के लिए पीएमसीएच लाया गया। बहन का आरोप है कि इस बात की भी जानकारी परिवार के किसी सदस्य को नहीं दी गई। 28 नवंबर की शाम किसी तरह से परिवार के लोगों को भाई के पीएमसीएच में होने की जानकारी मिली। तब उनकी पत्नी और परिवार के दूसरे सदस्य अस्पताल पहुंचे, लेकिन आज इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
सवालों के घेरे में जेल प्रशासन और उत्पाद विभाग
राजेश पांडेय की मौत का यह मामला बेहद गंभीर है। सवालों के घेरे में उत्पाद विभाग की टीम के साथ ही फुलवारी शरीफ जेल प्रशासन भी है। सवाल यह है कि अगर राजेश ने शराब पी रखी थी तो उसका मेडिकल टेस्ट कराकर उसकी रिपोर्ट के आधार पर गिरफ्तार कर जेल भेजा जाना चाहिए था, लेकिन दो दिनों तक उसे अपनी कस्टडी में क्यों रखा? बेरहमी से पिटाई करने के पीछे की वजह क्या है? जेल में इंट्री से पहले हर शख्स की जांच होती है। क्या फुलवारी शरीफ जेल प्रशासन ने राजेश पांडेय की जांच नहीं की थी? अगर इंट्री के वक्त जांच हुई थी तो क्या चोट के निशान और जख्म उन्हें नहीं दिखे? अगर दिखे तो जेल प्रशासन ने चुप्पी क्यों साधी?
ऐसे कई सवाल हैं, जिनका जवाब हर हाल में सामने आना चाहिए। इस मामले में राजेश का परिवार बिहार सरकार से न्याय की गुहार लगा रहा है। पूरे मामले की हाई लेवल जांच कराने और दोषियों को सजा दिलाने की मांग कर रहा है।