Patna:बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि आखिर इन हालात में चुनाव कैसे हो. चुनाव यदि समय पर होता है तो वो किस तरह से होगा. और यदि समय पर नहीं होता है तो संविधान में क्या विकल्प उपलब्ध है. संविधान विशेषज्ञ डी के गर्ग बताते हैं की यदि इमरजेंसी की सिचुएशन है तो केंद्र सरकार विशेष परिस्थिति में इस चुनाव को एक साल तक के लिए टाल सकती है. यदि इमरजेंसी (Emergency) बरकरार रहा तो उसे छह महीने तक और भी टाला जा सकता है. लेकिन डी के गर्ग यह भी बताते हैं कि आर्टिकल 356 में यह प्रावधान है कि यदि राज्य की सरकार बेहतर तरीके से काम नहीं कर रही है. तो उसे भंग की जा सकती है. चुकी संविधान में स्टेट एसेंबली का चुनाव पांच साल में कराना जरूरी होता है.
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर राज्य के राजनीतिक गलियारे में भी चर्चा है कि आखिर यह चुनाव कब और कैसे होगा. बिहार के कई अखबारों के संपादक रहे वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडे बताते हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव समय पर ही कराया सकता है. उन्होंने बताया कि चुनाव आयोग के अंदरखाने से जो खबर आई है. उसमें वोटरों की नाम का अंतिम प्रकाशन 15 अगस्त तक कर दिया जाएगा. उसके बाद चुनाव आयोग ससमय विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा कर देगा. अरुण पांडे बताते हैं कि इस चुनाव को कोरोना संकट को देखते हुए कराना होगा. 72,723 बूथों संख्या को बढ़ाया जा सकता है. वहीं इस चुनाव में सोशल डिस्टेंसिंग के जरिए इलेक्शन कराए जा सकते हैं.
हालांकि इतना तय है, यदि समय पर चुनाव होंगे तो अगले कुछ हफ्तों में इसकी तैयारी चुनाव आयोग की तरफ से दिखने लगेगी. इसे भांप कर बिहार की राजनीतिक पार्टियां अपनी तैयारी में जुट गई हैं. बस उन्हें इंतजार चुनाव आयोग की हरी झंडी का है.