Desk: बिहार में नेता प्रतिपक्ष और राजद नेता तेजस्वी यादव ने बीते 23 मार्च को विधानसभा में पुलिस कार्रवाई और विधायकों के साथ मारपीट मामले में विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा है। उन्होंने पुलिसिया मारपीट के साक्ष्यों से जुड़ी सीडी भी भेजी। दोषियों को बर्खास्त करने की मांग की है।
तेजस्वी ने अपने ट्वीटर हैंडलर पर डालते हुए लिखा कि लोकतांत्रिक मर्यादाओं को तार-तार करते हुए 23 मार्च को बिहार विधानसभा के अंदर इतिहास में पहली बार मुख्यमंत्री के इशारे पर विपक्ष के माननीय सदस्यों के साथ बर्बरतापूर्ण मारपीट की गयी। इसी संदर्भ में विधानसभा अध्यक्ष महोदय को साक्ष्य सहित पत्र लिख दोषियों को बर्खास्त करने की माँग की।
तेजस्वी ने पत्र में ये लिखा है-
तेजस्वी यादव ने पत्र में लिखा है कि – नीतीश सरकार द्वारा राज्य की जनता पर ‘बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक-2021’ थोपने के क्रम में विपक्ष के माननीय सदस्यों के साथ बर्बर हिंसा का प्रयोग कर सदन के अंदर सैकड़ों पुलिस बल की उपस्थिति में जिस तरीके से विधेयक पारित कराया गया, उसे किसी भी तरह से सामान्य लोकतांत्रिक घटना नहीं माना जा सकता। विपक्ष के निहत्थे माननीय सदस्यगण शांतिपूर्ण ढंग से धरना-प्रदर्शन करते हुए अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग कर विरोध कर रहे थे तो सत्य को सामने लाने का संविधान प्रदत्त अपने कर्तव्यों का ही तो निर्वहन कर रहे थे, जिसकी वो सदस्य बनते समय शपथ लेते हैं। वो संविधान एवं लोकतंत्र की रक्षा करने का ही तो प्रयास कर रहे थे। लेकिन सरकार के इशारे पर पुलिस प्रशासन द्वारा हिंसा का जो नंगा नाच किया गया यह विशेष पुलिस बल को विशेष अधिकार देने के खतरे की एक झांकी भर है।
विदित हो दिनांक-23.03.2021 को बिहार विधानसभा के अन्दर शर्मनाक घटना घटी एवं जो अपराधिक कृत्य किया गया उसने बिहार विधानसभा की मर्यादा को तार-तार कर दिया। सत्ताधारी पार्टी के माननीय सदस्यों को छोड़, सभी माननीय सदस्यों के विरूद्ध माननीय गृह मंत्री सह-मुख्यमंत्री, बिहार के इशारे पर गंभीर हिंसा और अत्यधिक बल का प्रयोग किया गया, जिसमें अनेक माननीय सदस्य गम्भीर रूप से घायल हो गए। कई माननीय विधायक पीएमसीएच सहित अन्य निजी अस्पतालों में इलाजरत हैं। इनमें से एक माननीय विधायक (मखदुमपुर) श्री सतीश कुमार को तो इतनी बुरी तरह मारा गया कि उनका सर फट गया और पीएमसीएच के आईसीयू में जीवन मौत से संघर्ष करते हुए अभी भी चिकित्सकों की देख-रेख में इलाजरत हैं। कितने माननीय के तो हाथ-पैर तोड़ दिए गए।
माननीय महिला विधायकों के साथ जो अवर्णनीय दुर्व्यवहार किया गया उसने तो लोकतंत्र की सारी स्थापित मर्यादाओं को तार-तार कर दिया जोकि संसदीय लोकतंत्र में न तो कहीं देखा गया और न ही कहीं सुना गया। महोदय, उस दिन सदन में जो असामान्य घटना घटी वह सिर्फ विपक्ष ही नहीं बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था पर हमला था। सदन में बाहर से आए पुलिस बिल्कुल अराजक गुण्डे की तरह बिना कोई चेतावनी दिए मारपीट, उठा-पटक कर रहे थे। उन्हें कौन निर्देश दे रहे थे और किनके कहने पर अत्यधिक बल का प्रयोग किया गया? साथ ही मारपीट करने, उठाकर फेंकने, जूतों एवं बूटों से उनके सिर और पेट पर गंभीर आघात पहुँचाने के उद्देश्य से वार करने, महिला विधायकों को बाल खींचकर मारने, पसीटने उनकी साड़ी खोलने जैसे जघन्य एवं घृणित कार्य को अंजाम किसके आदेश पर दिया गया। माननीय सदस्यों के साथ पुलिस का यह कुकुत्य सिर्फ विपक्ष पर ही नहीं बल्कि यह लोकतंत्र पर ही हमला था।
महोदय, विदित हो कि जिन माननीयों पर अत्याचार किया गया तो राज्य के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों से करोड़ो-करोड़ जनता द्वारा निर्वाचित हैं। महोदय, आपके संरक्षक रहते यह हमला सिर्फ माननीय सदस्यों पर ही नहीं बल्कि लोकतंत्र के मंदिर पर किया गया हमला है। महोदय यह सरकार जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा कर उसे पैरों तले रौंदने का प्रयास करती है, उसे सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है। विधानसभा को जालियांवाला बाग बनाने का प्रयास करने वाले अधिकारियों को हम बर्खास्त करने की मांग करते हैं।