Desk: विधानसभा चुनाव के बाद से बिहार की राजनीति में जो आरोप प्रतारोप का दौर शुरु हुआ था वो अभी तक तूल पकड़े हुए है. ना ही NDA सरकार पीछे हटने का नाम ले रही हैं ना ही UPA सरकार. जब और जहां मौका मिल रहा पक्ष- विपक्ष दोनों एक दूसरे पर हमलावार होते जा रही हैं. ऐसे में इस रेस में सबसे आगे हैं नेता प्रतिपक्ष Tejashwi Yadav और उनके पिता Lalu Yadav.
दरअसल विधानसभा चुनाव के दौरान कैंपेन करते हुए राजद पार्टी ने यह भाप लिया था कि अगर बिहार में अपनी सरकार बनानी है तो भाजपा की राजनीति को नहीं बल्कि नीतीश कुमार की गलतियों को उजागर करना होगा. यही वजह थी कि लालू यादव और तेजस्वी यादव दोनों ने मिलकर पूरे चुनाव में सिर्फ नीतीश कुमार पर निशाना साधा. जिसका फल उन्हें चुनाव में देखने को भी मिला. 2020 के विधानसभा चुनाव में 75 सीटे जीतकर राजद बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बनी. इस सफलता की वजह को तेजस्वी यादव ने अपना मुल मंत्र बना लिया और आज के समय में पुरे तन मन से नीतीश सरकार पर तंज कसने का काम कर रहे हैं. क्योंकि तेजस्वी यादव भी ये बात जानते है कि बिहार की राजनीति से अगर जदयू का सफाया हो गया तो उसका सीधा फायदा राजद को मिलेगा.
जानकारी के अनुसार तेजस्वी यादव चुनाव के बाद से ही इस इंतजार में बैठे हुए थे कि कब भाजपा और जदयू में खट-पट हो. ताकि सहीं समय देख कर वे सामने आए क्योंकि पिछले 15 वर्षों से नीतीश कुमार बिहार में तीसरा कोण बनाते आ रहे हैं, जिसका ज्यादा नुकसान राजद को हो रहा है. इस नुकसान की भरपाई करने के लिए तेजस्वी यादव और लालू यादव ने अपनी चाल में तब्दीली कर ली है. आपको बताते चले कि राजद ने अपनी चाल में तब्दीली तब से करना शुरु कर दिया जब से रांची के रिम्स में इलाज कराते हुए Lalu Prasad अपने मिशन में जुटे थे और उन्हें लग रहा था कि उनके प्रयासों से महागठबंधन को सत्ता में वापसी का मौका मिल सकता है. किंतु करीब महीने भर की कोशिशों के बाद भी कामयाबी नहीं मिली तो लालू और तेजस्वी समेत राजद के तमाम नेता पुराने पैटर्न पर लौट आए.
ऐसे में लालू प्रसाद यादव की तीन दशक की राजनीति को करीब से जानने वाले आसानी से बता देंगे कि राजद का दुश्मन नंबर वन भाजपा (BJP) है, परंतु तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) की टीम भाजपा को नहीं, जदयू को जानी दुश्मन मानकर चल रही है.