Patna: बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी (Shushil Modi) ने लालू यादव पर तंज कसते हुए कहा कि जब से सीएम नीतीश कुमार की सरकार आई है, तब से सीएम आवास में नाच नहीं होता है. तो वहीं तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) पर हमला करते हुए सुशील मोदी ने कहा कि वह जमाना गया जब सीएम हाउस में अपराधी छुपते थे. उन्हें सीएम हाउस में शरण दिया जाता था और वहीं रंगारंग कार्यक्रम चला करता था. अब वह दिन लद गए हैं. यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का सुशासन है, जहां नीतीश कुमार न किसी को बचाते हैं न फंसाते हैं.
वहीं, सुशील मोदी ने लालू यादव पर हमला करते हुए कहा कि नीतीश कुमार ने काम के बल पर बिहार का मान बढ़ाया और काम के बल पर ही एनडीए जनता का भरोसा जीत कर सत्ता में लौटता रहा. काम के बल पर ही मतपेटियों से निकलने वाला भूत (लालू का जिन्न) भगाया गया. अब मुख्यमंत्री आवास में न नाच-गाना होता है, न वहां अपराधियों को छिपाया जाता है.
सुशील मोदी ने सीएम नीतीश कुमार की तारीफ और तेजस्वी पर हमला करते हुए कहा कि नीतीश कुमार पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की. सच्चाई जानने और जनता से संवाद बनाने के लिए विकास यात्रा जैसी 12 यात्राएं की. दिमागी दिवालियेपन की हद है कि जब कोई डिजिटल माध्यम से काम करे, तो कहो- घर से क्यों नहीं निकलते? और जब आप जनता के बीच जाएं, तो कहो- सरकारी पैसे का दुरुपयोग कर रहे हैं. ऐसे अनेक गैरजिम्मेदार बयानों के चलते ही लोकसभा चुनाव में राजद का सूपड़ा साफ हुआ था.
लालू यादव के जेल में जन्मदिन मनाने को लेकर डिप्टी सीएम ने तंज कसते हुए कहा कि कोरोना काल में “वर्क फ्राम होम” का न्यू नॉर्मल दुनिया मान रही है, लेकिन जेल से पार्टी चलाने वाले लालू प्रसाद लालटेन युग की अवैज्ञानिक सोच से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. वे एक ऐसे मुख्यमंत्री पर सरकारी आवास से बाहर न निकलने का हास्यास्पद आरोप लगा रहे हैं, जो डिजिटल माध्यम से रोजाना 16 घंटे गरीबों-मजदूरों सहित सभी वर्गों की सेवा में लगा है.
उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि संविधान के खंड-3 के अन्तर्गत धारा 15 (4) और (5) के तहत आरक्षण अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्गों का मौलिक अधिकार है. भाजपा के रहते कोई ताकत इस अधिकार से इन वर्गों को वंचित नहीं कर सकती है. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने संविधान संशोधन कर पदोन्नति में आरक्षण दिया तो नरेन्द्र मोदी की सरकार ने दलित अत्याचार निवारण अधिनियम में 23 नई धराएं जोड़ कर उसे और कठोर बनाया और जब सुप्रीम कोर्ट ने कुछ धाराओं को शिथिल किया तो कानून में संशोधन कर उसे फिर से स्थापित किया.