Patna: वकालत नहीं करने वाले वकीलों पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने शिकंजा कस दिया है। ऐसे वकीलों का अब लाइसेंस रद्द हो सकता है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने ऐसे वकीलों की सूची बनाने के आदेश दिए हैं, जो कोर्ट नहीं आकर दूसरा काम कर रहे हैं। सभी बार संघों से इसकी प्रारंभिक सूची 31 दिसंबर तक बार कौंसिल ऑफ इंडिया को भेजने का निर्देश दिया गया है।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया के आदेश के अनुसार प्रत्येक वकील को कम से कम एक साल में एक वकालतनामा कोर्ट में दायर करना होगा। मतलब सालभर में एक केस तो लड़ना ही होगा। इस वकालतनामे की फोटो कॉपी बार काउंसिल ऑफ इंडिया के पास जाएगी। इसके साथ वकील शपथ पत्र भी देंगे कि वह और किसी अन्य धंधे में नहीं हैं और कोर्ट में प्रैक्टिस करते हैं।
इसलिए उठाया गया कदम
बार कौंसिल से निबंधन कराने के बाद कई वकील दूसरा व्यवसाय कर रहे हैं। ऐसे में उनके साथ कुछ घटना होती है, तो वह बार जिला बार संघों के पास जाते हैं। कई बार उस वकील की जानकारी बार संघों को भी नहीं हो पाती है। जमीन कारोबार में कई वकीलों के शामिल होने की सूचना मिलने के बाद बार कौंसिल ऑफ इंडिया ने यह निर्णय लिया है।
झारखंड में 30 हजार से अधिक वकील निबंधित हैं। लेकिन कई लोग वकालत के पेशे में नहीं हैं। कई वकील लाइसेंस लेकर कोर्ट में प्रैक्टिस नहीं करते। कई वकील प्रॉपर्टी डीलिंग व अन्य प्रकार के बिजनेस करते हैं। कई वकीलों की दो-तीन जिला बार में फर्जी वोटिंग भी होती है।
इस आदेश से अब क्या होगा
बार काउंसिल ऑफ इंडिया देशभर में ऐसे वकीलों का डाटा तैयार कर रही है जो कोर्ट में रेगुलर प्रैक्टिस कर रहे हैं। इसके बाद ऐसे वकीलों का ही लाइसेंस बरकरार रखने की योजना है। इसके लिए काउंसिल ऑफ इंडिया ने सभी जिला बार एसोसिएशन के माध्यम से एक सूची तैयार करने का आदेश दिया है। इसमें वकीलों की जांच की जाएगी कि कौन प्रैक्टिस कर रहा है और कौन नहीं। इनमें काफी ऐसे बुजुर्ग वकील भी होंगे, जो अब कोर्ट नहीं आ सकते।
हर पांच साल में बनेगी सूची
बार काउंसिल अब हर पांच साल में इस तरह का सर्वे कराएगी। प्रतिवर्ष वकालत की डिग्री हासिल कर वकीलों को लाइसेंस जारी किए जाते हैं। लाइसेंस लेने के पांच साल के दौरान आसानी से यह पता लग जाएगा कि वकील कोर्ट में प्रैक्टिस करते हैं या फिर कोई अन्य धंधा कर रहे हैं।
क्या होगा नए नियम से
नए नियम से प्रदेश में केवल वही वकील ट्रेस हो जाएंगे जो असल में कोर्ट में प्रैक्टिस करते हैं। इससे प्रोफेशनल वकीलों की संख्या बढ़ेगी और प्रैक्टिस न करने वाले वकील घर बैठ जाएंगे। इसके अलावा ऐसे वकीलों से भी छुटकारा मिल जाएगा, जो नाम के लिए वकील बने हुए हैं। अब जिला बार के होने वाले चुनाव में भी केवल सही वकील ही वोटर रहेंगे।
इनका हो सकता है लाइसेंस रद्द
-किसी कंपनी में जॉब करने वाले
-कोर्ट में प्रैक्टिस नहीं करने वाले
-सालभर में एक भी वकालतनामा नहीं देने वाले
-कोई भी ऐसा बिजनेस जिसमें वकील संलिप्त हो