Patna: बिहार के तमाम शहरों के हवा-पानी के सुधार पर 2416 करोड़ रुपए खर्च होंगे। यह राशि 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर केंद्र सरकार से बतौर अनुदान मिलेगी। इस धनराशि के वितरण के लिहाज से केंद्र ने शहरी निकायों को दो श्रेणियों में बांटा गया है। इनमें एक मिलियन प्लस यानि 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहर हैं। जबकि दूसरी नॉन मिलियन यानि 10 लाख से कम आबादी वाले शहर। मिलियन प्लस श्रेणी में बिहार में सिर्फ पटना ही आता है। बाकी शहरी निकायों की आबादी इससे कम है। इस राशि से शहरी निकायों को ठोस अपशिष्ट प्रबंधन भी करना होगा।
केंद्र से मिलने वाले अनुदान में पूरा ध्यान वायु प्रदूषण घटाने, बेहतर जल प्रबंधन और ठोस अपशिष्ट खासतौर से विभिन्न प्रकार के कचरे के प्रबंधन और निस्तारण पर केंद्रित किया गया है। बिहार में कुल 142 शहरी निकाय हैं। इन निकायों को मिलने वाले कुल 2416 करोड़ में से 10 लाख से अधिक आबादी वाले इकलौते निकाय पटना के हिस्से 408 करोड़ रुपए आएंगे। जबकि बाकी के दो हजार आठ करोड़ रुपए शेष 141 शहरों को मिलेंगे। पटना को छोड़ बाकी निकायों को यह राशि दो किस्तों में जारी की जाएगी। जबकि पटना को केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की अनुशंसा के आधार पर मिलेगी। इस पूरी धनराशि के खर्च की निगरानी के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय अनुश्रवण समिति का गठन किया गया है।
मुख्यमंत्री शहरी पेयजल निश्चय योजना पर खर्च होंगे 30 प्रतिशत
15वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर केंद्र से मिलने वाले अनुदान में से हर निकाय को मिलने वाली धनराशि में से 30 प्रतिशत उन्हें मुख्यमंत्री शहरी पेयजल निश्चय योजना पर खर्च करना होगा। इसके अलावा वायु प्रदूषण घटाने के उपायों, नगर निकायों के स्वामित्व वाले भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग, अतिक्रमण मुक्त कुंओं के पास और खुले मैदानों में सोख्ता निर्माण, अतिक्रमण मुक्त तालाबों-पोखरों का उड़ाहीकरण और जीर्णोद्धार, डोर टू डोर कचरा संग्रहण, कचरा प्रबंधन के लिए लैंडफिल साइट की जमीन खरीद और विकास, कचरा संग्रहण के लिए उपकरण खरीद, कचरे से कंपोस्ट बनाने की योजना में सहायता आदि।