Desk: निर्माण कार्य से जुड़े मजदूरों को बेटियों की शादी में परेशानी नहीं होगी। इसके लिए बिहार भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अंतर्गत उप निर्माण श्रमिकों को निबंधन कराना होगा। निबंधन के तीन वर्ष पूरा होने के बाद पुत्री की शादी के लिए 50 हजार रुपये का लाभ मिलेगा। इस योजना का लाभ 18 से 60 वर्ष उम्र के वैसे श्रमिक ले सकेंगे जो 12 माह में 90 दिनों तक मजदूर के रूप में कार्य किया है। वैसे श्रमिक अपने आधार कार्ड, बैंक पासबुक व दो फोटोग्राफ के साथ निबंधन कराना होगा। उनका कार्यस्थल पर निबंधन कराने की भी व्यवस्था है।
उक्त जानकारी देते हुए श्रम अधीक्षक विनोद प्रसाद ने बताया कि अब तक जिले के 35 हजार श्रमिकों का निबंधन हुआ है। प्रत्येक बुधवार को संबंधित प्रखंड के श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी से संपर्क कर निबंधन का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इसमें मनरेगा मजदूरों को योजना का लाभ मिलेगा। इसमें मनरेगा के वाणिकी का कार्य करने वाले श्रमिकों को लाभ नहीं मिलेगा। इसके तहत स्वाभाविक मृत्यु की स्थिति में दो लाख रुपये का लाभ मिलेगा। जबकि दुर्घटना में मृत्यु पर चार लाख रुपये नामित स्वजनों को लाभ मिलेगा।
पहले निर्माण मजदूरों को प्रति माह 20 रुपये सदस्यता शुल्क देना होता था। अब राज्य सरकार ने पांच वर्ष के लिए निबंधन शुल्क 50 रुपये निर्धारित किया है। इसमें से 20 रुपये निबंधन शुल्क व 50 पैसे प्रतिमाह सदस्यता शुल्क देना है। इसका लाभ घर व सड़क निर्माण में कार्य करने वाले सभी प्रकार के कुशल व अकुशल मजदूर ले सकेंगे।
कैश क्रेडिट खत्म होने से धान अधिप्राप्ति बाधित
शाहकुंड प्रखंड के विभिन्न पैक्सो में कैश क्रेडिट नहीं रहने के कारण प्रखंड में धान अधिप्राप्ति की रफ्तार धीमी हो गई है। वही तीन पैक्स वासुदेवपुर, नारायणपुर, एवं मानिकपुर शहजादपुर पैक्स में लक्ष्य से महज 10 फ़ीसदी ही धान की अधिप्राप्ति हो सकी है। इन तीनों पैक्सों के किसान धान बेचने के लिए त्राहिमाम है। इधर जिन पैक्सों का कैश क्रेडिट खत्म हो गई है। उनमें नारायणपूर, हरपुर, कोडंण्डा डोहराडीह, बेल्थू, दासपुर,खुलनी,गोबराँय पैक्स है।इसके अलावे बीसीओ आशीत अजीत ने बताया कि व्यापार मंडल का भी कैश क्रेडिट खत्म हो गया है। बीसीओ ने बताया कि जिसनी कैश क्रेडिट थी उतनी धान अधिप्राप्ति हो चूंकि है। बीसीओ ने बताया कि कैश क्रेडिट खत्म होने से धान अधिप्राप्ति की रफ्तार धीमी हो गई है। हालांकि कुछ राशि मिलरों द्वारा उपलब्ध कराई गई है। लेकिन उक्त राशि काफी कम पड़ रही है। कैश क्रेडिट खत्म हो जाने से किसानों के धान बिक नहीं पा रहें है।