Desk: प्रदेश में तीन साल से संचालित मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम का संचालन में लापरवाही बरती जा रही है. हालत यह है कि प्रदेश के 88172 से अधिक सरकारी एवं अनुदानित स्कूलों में से 31610 स्कूलों में अग्निशमन यंत्र नहीं हैं.
राज्य में एक भी ऐसा सरकारी और अनुदानित विद्यालय नहीं है, जो शत प्रतिशत सुरक्षा मानकों पर खरा उतरता हो. इन बातों का खुलासा हाल ही में शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को सौंपे गये प्रतिवेदन में हुआ है. यह प्रतिवेदन भारत सरकार को भेजा गया है. स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए चल रहे इस कार्यक्रम के प्रति उदासीनता से नाराज प्रधान सचिव संजय कुमार ने सभी जिला पदाधिकारियों को उचित कदम उठाने के लिए कहा है. मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के तहत संचालित किया जा रहा है.
आपदा प्रबंधन समिति का गठन नहीं
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक कुल विद्यालयों में से 18472 स्कूलों में विद्यालय आपदा प्रबंधन समिति का गठन नहीं हुआ है. 16472 स्कूलों में बाल प्रेरकों का चयन और प्रशिक्षण नहीं हुआ है. 16472 स्कूलों में जोखिम या खतरों की पहचान नहीं हुई है. 27243 स्कूलों में आपात प्रबंधन की योजना भी नहीं बनी है. 72530 स्कूलों में रेक्ट्रोफिटिंग तथा इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत नहीं किया गया है. 16472 में सुरक्षित शनिवार की मॉक ड्रिल नहीं हो सकी है. 18472 स्कूलों में आपदा प्रबंधन के बारे में पढ़ाया भी नहीं जाता है. एक भी विद्यालय में बचाव प्लान और मैप भी नहीं बनाया गया है.
फोकल शिक्षक की व्यवस्था नहीं
9039 स्कूल ऐसे हैं, जहां अभी तक इनके लिए फोकल शिक्षक (विशेषज्ञ शिक्षक) की व्यवस्था तक नहीं है. सबसे बड़ी बात यह है कि जहां हैं, वहां भी बेहतर ढंग से अपनी भूमिका नहीं निभा रहे हैं. बात साफ है कि मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम अपेक्षित गति से आगे नहीं बढ़ सका है.