Patna: देश में कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन के चलते करोड़ों लोगों का रोजगार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इनमें से एक हैं तेलंगाना के जोखम्मम में एक निजी स्कूल के प्रिंसिपल रहे रामबाबू, जो अब ठेले पर इडली, डोसा और वड़ा बेच रहे हैं। इसी तरह रांची में एक सामाजिक विज्ञान के शिक्षक अपने धान के खेत में काम कर रहे हैं। नलगोंडा में अंग्रेजी के एक शिक्षक ने बीमा पॉलिसी बेचना शुरू कर दिया है।
कोरोना और लॉकडाउन के चलते सबसे बड़ी मार निजी शिक्षा के क्षेत्र में पड़ी है। शहरों और छोटे कस्बों में निजी स्कूलों के शिक्षक घुटनों पर आ गए हैं। इन स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के माता-पिता आर्थिक मंदी के चलते फीस का भुगतान करने में असमर्थ हैं। ज्यादातर मामलों में ये शिक्षक अपने परिवार में एकलौते कमाने वाले हैं, इसका मतलब है कि इस संकट उनके पूरे परिवारों को प्रभावित किया है। इनमें से कई पटना और रांची जैसे शहरों में घरों के मुखिया हैं।
बिहार के शेखपुरा में 28 वर्षीय विज्ञान शिक्षक विद्यासागर कहते हैं कि अगर छात्र जुलाई-अगस्त तक स्कूल नहीं लौटते हैं, तो चीजें हमारे लिए खराब हो जाएंगी। विद्यासागर परिवार का लोन और क्रेडिट कार्ड का भुगतान करने में मदद कर रहे थे। तेलंगाना में निजी स्कूल शिक्षक संघ के प्रमुख शब्बीर अली कहते हैं कि स्कूल शिक्षकों को बता रहे हैं कि वे वेतन का भुगतान नहीं कर सकते हैं क्योंकि छात्रों ने फीस का भुगतान नहीं किया है। छात्रों के माता-पिता को वेतन नहीं मिला है या उनके पास नौकरी नहीं है।
पटना के समीप दानापुर में अंकुर पब्लिक स्कूल के मालिक संजय कुमार कहते हैं, ‘अब हम क्या कर सकते हैं?’उन्होंने कहा कि हमने ऑनलाइन कक्षाएं शुरू कर दी हैं लेकिन 70 फीसदी से अधिक अभिभावक अभी भी फीस का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं। ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल होने के लिए बहुत से बच्चों के पास स्मार्टफोन नहीं है।
इनमें से एक हैं 36 वर्षीय मारगनी रामबाबू जो खम्मम स्थित मिलेनियम इंग्लिश मीडियम स्कूल के प्रिंसिपल थे। कोरोना के चलते स्कूल प्रबंधन ने फैसला लिया कि स्कूल दोबारा खुलने तक उन्हें प्रिंसिपल की जरुरत नहीं। स्कूल का प्रिंसिपल रहते रामबाबू की सैलरी 22,000 रुपए थे जो अब शून्य हो गई है। परिवार में पत्नी और दो बच्चों व मां के पेट पालने के लिए रामबाबू ने पांच जून से लॉकडाउन से राहत मिलने के बाद एक फूड स्टॉल चला रहे हैं।
रामबाबू कहते हैं कि पहली बार में अजीब लगा। मैंने 2,000 रुपए में एक गाड़ी खरीदी, और अपनी पत्नी के साथ इडली, वड़ा और डोसा बेचना शुरू किया। अब दिनभर में हम लगभग दो सौ रुपए की कमाई कर लेते हैं।