Patna: पटना के महावीर मंदिर का प्रसाद नैवेद्यम को खाद्य संरक्षा मानक संगठन (एफएसएसएआई) का ‘ब्लिसफुल हाइजेनिक ऑफरिंग टू गॉड’(भोग) प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ है। इसके साथ ही यह प्रमाणपत्र प्राप्त करने वाला महावीर मंदिर पूर्वी भारत का पहला और देश का नौवां मंदिर बन गया है। अभी तक यह प्रमाणपत्र ओंकारेश्वर, महाकालेश्वर आदि मंदिरों को मिला है।
मंदिरों और धार्मिक संस्थानों में भक्तों के लिए बनाए जाने वाले प्रसाद की गुणवत्ता जांच के लिए एफएसएसएआई द्वारा यह प्रमाणपत्र दिया जाता है। बीते दो सालों से दिए जा रहे इस प्रमाणपत्र के लिए प्रसाद की गुणवत्ता की कड़ाई से जांच की जाती है। विभिन्न मानकों पर जांच के बाद महावीर मंदिर के प्रसाद नैवेद्यम को बिल्कुल सुरक्षित पाया गया। भोग प्रमाणपत्र स्थास्थ्य विभाग के अपर सचिव व नोडल पदाधिकारी खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम कौशल किशोर द्वारा श्री महावीर स्थान न्यास समिति के सचिव किशोर कुणाल को दिया। इस मौके पर नैवेद्यम प्रभारी आर शेषाद्रि भी मौजूद थे।
83 हजार किलो की बिक्री
महावीर मंदिर पटना में प्रत्येक महीने औसतन 83 हजार किलो नैवेद्यम की बिक्री होती है। आचार्य किशोर कुणाल ने कहा कि 22 अक्टूबर 1992 से महावीर मंदिर में नैवेद्यम प्रसाद की शुरुआत की गई। तिरूपति के 75 विशिष्ट कारीगर गाय के घी में चना दाल, काजू, किशमिश, इलायची आदि से यह प्रसाद बनाते हैं।