Patna: बिहार में मंत्रियों के बंगले की साज-सज्जा और रखरखाव पर अब बेशुमार खर्च नहीं होगा। भवन निर्माण विभाग ने अपने इंजीनियरों को आदेश दिया है कि सरकारी बंगले की साज-सज्जा पर निर्धारित बजट के अनुरूप ही खर्च करें, ताकि विभाग के बजट पर गैर-जरूरी बोझ न पड़े। अधिक खर्च हुआ तो कार्रवाई तय है।
राज्य में नई सरकार बनी है। नए मंत्री बने हैं। उन्हें सुसज्जित बंगला मिलेगा। सचिवालय स्थित मंत्रियों के कार्यालयों को भी नए सिरे से सजाया-संवारा जाएगा। यह सब होने से पहले ही भवन निर्माण विभाग ने इंजीनियरों को सावधान कर दिया है। विभाग के प्रधान सचिव चंचल कुमार ने एक्जीक्यूटिव से लेकर चीफ इंजीनियर तक को आदेश के जरिए सीमा में रह कर खर्च करने की हिदायत दी है।
अधिकतम सीमा की गई तय
पत्र में कहा गया है कि कई बार एक्जीक्यूटिव इंजीनियर सरकारी और विभागीय प्रावधानों से परे जाकर प्राक्कलन (एस्टीमेट) बना लेते हैं। फिर विभाग से राशि भुगतान की मांग की जाती है। इस तरह की रकम की देनदारी विभाग के लिए अनिवार्य हो जाती है। पत्र के साथ सरकार के उस आदेश की प्रति भी लगा दी गई है, जिसमें मंत्रियों के आवास और कार्यालय की साज-सज्जा और रख-रखाव पर खर्च की अधिकतम सीमा तय की गई है। कहा गया है कि अगर कोई इंजीनियर खर्च की सीमा का उल्लंघन करेंगा तो उसे सरकारी आदेश की अवहेलना माना जाएगा। ऐसे मामलों में संबंधित इंजीनियर पर कार्रवाई भी हो सकती है। हिदायत दी गई कि प्राक्कलन बनाते समय ही जांच कर लें कि इसमें नियमों की अनदेखी तो नहीं हो रही है।
क्या है खर्च की अधिकतम सीमा
इस समय मंत्रियों के विभागीय कार्यालय कक्ष की साज-सज्जा के लिए अधिकतम तीन लाख रुपये खर्च करने का प्रावधान है। राज्य मंत्रियों के मामले में इसे ढाई लाख रुपये रखा गया है। 1997 से पहले यह राशि क्रमश: डेढ़ लाख और सवा लाख रुपये थी। आवासीय बंगले की साज-सज्जा, फर्नीचर एवं अन्य उपस्कर के लिए छह लाख रुपये का प्रावधान किया गया है। राज्य मंत्रियों के लिए पौने छह लाख और उप मंत्री के लिए साढ़े पांच लाख रुपये की व्यवस्था है।