Desk: वेलेंटाइन वीक में प्यार के इजहार व इकरार के बीच कुछ ऐसे भी जोड़े हैं, जो वियोग में जान देने पर तुले हैं। कइयों ने तो सुसाइड भी कर लिया है। ताजा मामला गया का है, जिसमें नाराज पत्नी के मायके चले जाने से आहत एक पति ने सड़क पर गर्दन काट ली। उसकी हालत गंभीर बनी हुई है। इसके पहले चार फरवरी को पटना में भी ऐसी ही एक घटना में पति ने फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया था। कैमूर व कटिहार में भी ऐसी घटनाएं हो चुकीं हैं। ऐसी घटनाओं में वृद्धि के लिए बदलते समाज में बदलती जीवन शैली को जिम्मेदार माना जा रहा है।
पत्नी के वियोग में काट ली गर्दन, हालत गंभीर
गया के मानपुर ओवरब्रिज के पास सड़क किनारे गर्दन कटा एक युवक तड़पता मिला। पहले तो यह लगा कि किसी ने उनकी गर्दन काट कर हत्या की कोशिश की है। सौभाग्य से एक बाइक सवार उदय कुमार की नजर उसपर पड़ गई। उसने मुफस्सिल थाना पुलिस को इसकी सूचना दी। थाना प्रभारी अविनाश कुमार ने बताया कि उन्होंने सूचना मिलने के बाद घायल को अस्पताल पहुंचाया, जहां उसका इलाज चल रहा है। अस्पताल में भर्ती घायल गया के मानपुर स्थित मुसहर टोली निवासी शैलेश मांझी की पत्नी कभी नहीं लौटने की बात कहकर मायके चली गई थी। इसी गम में उसने अपनी गर्दन काटकर जान देने की कोशिश की थी। घटना के बाद पुलिस ने खिजरसराय थाना क्षेत्र के कुड़वा स्थित शैलेश की पत्नी से संपर्क किया। उसने बताया कि वह गर्भवती है तथा डिलेवरी के लिए मायके आई है। मायके जाने के पहले शुक्रवार को दोनों के बीच झगड़ा हुआ था।
बिहार में पहले भी हो चुकीं ऐसी कई घटनाएं
बिहार में इस तरह की और भी कई घटनाएं हो चुकी हैं। बीते चार फरवरी को पटना के नौबतपुर में भी नाराज पत्नी के मायके चले जाने से आहत पति ने फांसी लगी ली थी। पति के बार-बार फोन करने पर भी पत्नी उसके पास लौटने के लिए तैयार नहीं थी। इसी साल 21 जनवरी को भी कैमूर के अधौरा थाना क्षेत्र स्थित बड़पा गांव में पति-पत्नी के झगड़े में दोनों ने सुसाइड कर लिया था। पहले पत्नी ने जहर खाकर जान दे दी, फिर पत्नी के वियोग में पति ने भी गोली मारकर सुसाइड कर लिया। कटिहार के विषहरिया गांव में भी बीते 24 सितंबर को एक युवक राजू सिंह ने पत्नी के वियोग में फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया था। उसकी पत्नी शादी के एक महीने बाद से ही उसके साथ नहीं रहना चाहती थी।
अपने रिश्तों की अहमियत समझें लोग
सवाल यह है कि आजकल ऐसी घटनाएं क्यों बढ़ गईं हैं? पटना की क्लिनिकल साइकोलोजिस्ट डॉ. बिंदा सिंह कहतीं हैं कि आजकल लोगों में बर्दाश्त करने की क्षमता कम हो गई है। पारिवारिक सामंजस्य व सहनशीलता में कमी आई है। बदलती जीवन शैली के साथ तनाव व अहम की भावना में भी वृद्धि हुई है। पारिवारिक माहौल में आक्रमकता बढ़ गई है। लोग छोटी-छोटी बातों पर उग्र हो जा रहे हैं। बर्दाश्त करने की क्षमता कम हुई है। डॉ. बिंदा सिंह ने कहा कि झगड़े तो हर घर में होते हैं, लेकिन इस कारण सुसाइड या हत्या करना मानसिक बीमारी है। लोगों को अपने रिश्तों की अहमियत समझनी चाहिए।