Patna: बिहार में सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. इसके दो घटक दलों जनता दल यूनाइटेड (JDU) एवं लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के बीच बयानों के तीर-तलवार चल रहे हैं. एलजेपी नेता व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) तो खुद व लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के साथ-साथ नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को भी बीते जमाने का नेता बता चिराग पासवान (Chirag Paswan) को भविष्य बता रहे हैं. साथ ही यह भी कहने से नहीं चूकते कि चिराग में मुख्यमंत्री बनने की योग्यता है. इन सब बातों के बीच भारतीय जनता पार्टी (BJP) चुप है. सवाल यह है कि आखिर क्या है इस कलह का कारण? आखिर क्या चाहते हैं चिराग पासवान?
सीटों का बंटवारा तनाव की सबसे बड़ी वजह
बिहार में विधानसभा के चुनाव (Bihar Assembly Election 2020) इसी साल के अंत तक होने हैं. हालांकि, एलजेपी कोराेना काल में फिलहाल चुनाव के पक्ष में नहीं है. चिराग एनडीए में न्यूनतम साझा कार्यक्रम (Common Minimum Program) के भी पक्ष में हैं. वे ‘बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट’ के नारे के साथ बिहार एनडीए में नीतीश कुमार की छाया से अलग अपनी अलग पहचान बनाने में भी जुटे हैं. सबसे बड़ी बात, जो जेडीयू से उनके तनाव की सबसे बड़ी वजह है विधानसभा चुनाव में सीटों का बंटवारा. अन्य सारी वजहें इसी के ईर्द-गिर्द घूमती दिख रहीं हैं.
अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती एलजेपी
सूत्र बताते हैं कि एलजेपी सीटों का जल्द बंटवारा चाहती है, क्योंकि चुनाव आयोग (Election Commission) के मूड को देखते हुए चुनाव के तय समय पर होने की संभावना अधिक है. एलजेपी इस बार अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. चिराग के अनुसार, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह (Amit Shah) ने उन्हें विधानसभा चुनाव में 42 सीटें देने का भरोसा दिया है. दूसरी ओर जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी (KC Tyagi) कहते हैं कि उनका गठबंधन बीजेपी के साथ है, एलजेपी के साथ नहीं. 2010 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने 142 तो बीजेपी ने 101 सीटों पर चुनाव लड़ा था. सूत्रों की मानें तो इस बार जेडीयू 123 से 130 सीटें चाह रहा है, वह शेष सीटें बीजेपी को देना चाहता है. बीजेपी चाहे तो अपनी सीटों में से एलजेपी को दे. चिराग पासवान इस बात से नाराज होकर नीतीश कुमार पर लगातार हमलावर हो गए हैं. एक बार वे सभी 243 सीटों पर लड़ने की तैयारी की बात भी कह चुके हैं.
फिलहाल चुनाव नहीं चाहते राम विलास पासवान
एलजेपी कोरोना (CoronaVirus Epidemic) व बाढ़ (Flood) के दौरान चुनाव नहीं चाहती. रामविलास पासवान कहते हैं कि बिहार में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है. साथ ही बाढ़ के कारण लोगाें का पलायन हो रहा है. जीवन पर खतरा को देखते हुए चुनाव को कुछ दिनों के लिए टाल देना चाहिए. निष्पक्ष चुनाव व हर व्यक्ति के वोट देने के मौलिक अधिकार की रक्षा के लिए चुनाव को टालना जरूरी है. चुनाव नहीं होने पर राष्ट्रपति शासन (President Rule) की संभावना को देखते हुए एलजेपी कहती है कि भले ही राष्ट्रपति शासन लगाना पड़े, लेकिन फिलहाल चुनाव टालना उचित है. दूसरी ओर जेडीयू ऐसा नहीं चाहता.
एलजेपी-जेडीयू दोनों तरफ से लगातार हो रह हमले
ऐसे में दोनों तरफ से हमले हो रहे हैं. चिराग व रामविलास पासवान बिहार में कानून-व्यवस्था (Law and Order) व सुशासन (Good Governance) के मुद्दों पर नीतीश कुमार को घेर रहे हैं. बुधवार को भी एलजेपी ने जब कारोना की जांच बढ़ाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की बात का हवाला देते हुए नीतीश कुमार को घेरा तो फिर वार-पलटवार शुरू हो गया. इस बार तो जेडीयू का मार्चा पार्टी में नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले ललन सिंह ने संभाला. इसके पहले चिराग ने हर उस मुद्दे को उठाया है, जिससे नीतीश कुमार की छवि को आघात पहुंचे. यह सिलसिला उनकी बिहार यात्रा के दौर से ही शुरू है.
नीतीश कुमार के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव
केसी त्यागी कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा कई बार स्पष्ट कर चुके हैं कि बिहार में एनडीए नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगा. ऐसे में एलजेपी का सवाल खड़े करना विपक्ष को मुद्दा देगा. एनडीए को कमजोर करने की इजाजत किसी को नहीं दी जा सकती है. विराग के एनडीए में न्यनतम साझा कार्यक्रम की मांग पर केसी त्यागी ने पूछा कि एलजेपी इसके लिए केंद्र सरकार से मांग क्यों नहीं करती?
बिहार की राजनीति में विकल्प बनना चाहते चिराग
सवाल यह है कि चिराग आखिर चाहते क्या हैं? चिराग बिहार की राजनीति में विकल्प बनना चाहते हैं, यह बात तो उनके पिता राम विलास पासवान की बातों से ही स्पष्ट है. रामविलास पासवान कह चुके हैं कि भविष्य युवाओं का है और वे, लालू व नीतीश अब अतीत होते जा रहे हैं. रामविलास पासवान अब चिराग को मुख्यमंत्री बनने योग्यता वाला बता कर इसकी संभावना भी टटोल रहे हैं. चिराग को फिलहाल इसकी जल्दी नहीं. वे नीतीश कुमार के बाद की संभावनाओं की सियासत की राह पर हैं. लेकिन इसके लिए विधानसभा चुनाव में ताकतवर बनकर उभरना जरूरी है. इसलिए एलजेपी अधिक से अधिक सीटों के लिए दबाव की राजनीति कर रही है.