Patna: खिलौनों की दुनिया में बड़ा बदलाव होने वाला है। अब वैसे खिलौने नहीं बिक सकेंगे जो सुरक्षा का ध्यान रखे बगैर बनाए जाते हैं। एक जनवरी 2021 से ‘खिलौना गुणवत्ता नियंत्रण आदेश- 2020’ लागू हो जाएगा। इसके बाद सिर्फ आइएसआइ मार्क खिलौने ही बिक सकेंगे। अन्य की बिक्री पर भारतीय मानक ब्यूरो कार्रवाई करेगा।
कानून के मायने :
25 फरवरी 2020 को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की ओर से खिलौना गुणवत्ता नियंत्रण आदेश जारी किया गया था। इसमें खिलौने पर आइएसआइ मार्क होना अनिवार्य किया गया। इसे एक सितंबर 2020 से लागू होना था, लेकिन खिलौना उद्योग का कहना था कि नए कानून के तहत हर ट्वॉय फैक्ट्री में क्वालिटी कंट्रोल के लिए लेबोरेट्री लगानी होगी। इसमें समय लगेगा। इसलिए आदेश को लागू करने की तिथि 1 जनवरी 2021 कर दी गई।
क्यों बदला कानून :
खिलौने किस पदार्थ से बने हैं, क्या केमिकल डाला गया है, इसकी जानकारी नहीं रहती। बच्चे खिलौनों को मुंह में डाल लेते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा रहता है। कुछ खिलौने नुकीले होते हैं, जिससे बच्चों का हाथ-पैर कट जाता है। इलेक्ट्रिक ट््वॉय से भी वे चोटिल हो जाते हैं। आइएसआइ मानक वाले खिलौनों से ऐसे खतरों पर नियंत्रण पाया जा सकेगा। नये कानून में सात स्टैंडर्ड बनाए गए हैं। आइएस 9873-पार्ट 1, 2, 3, 4, 7 और 9 के तहत इलेक्ट्रिक को छोड़कर सभी तरह के खिलौने बनाए जा सकेंगे। आइएस 15644 के तहत सिर्फ इलेक्ट्रिक खिलौने बनाने का प्रावधान है।
बीआएस लागू करेगा कानून :
नये कानून को भारतीय मानक ब्यूरो लागू कराएगा। कानून का पालन नहीं करने पर कार्रवाई भी करेगा और लाइसेंस भी देगा। यानी नियामक संस्था होगा।
इन खिलौनों को छूट : पतंग, खेल उपकरण, ट्वॉय फर्नीचर, एयरक्रॉफ्ट, व्हीकल आदि का मॉडल, 14 साल से बड़े बच्चों की ओर से संग्रह योग्य खिलौने, पजल्स, स्क्रीन पर खेले जाने वाले ट््वॉय वीडियो, फैशन ज्वैलरी, आदि।
बच्चों को करंट नहीं लगेगा
पटना बीआइएस के वैज्ञानिक ई एवं प्रमुख एसके गुप्ता ने बताया कि स्टैंडर्ड सुरक्षा को लेकर तय किए गए हैं। आइएसआइ मार्क वाले खिलौने को बच्चे मुंह में डाल लेते हैं तो नुकसान नहीं होगा। इलेक्ट्रिक खिलौने से करंट नहीं लगेगा। बिहार से लाइसेंस के लिए एक भी आवेदन नहीं मिला है।
जिला उद्योग केंद्र, पटना के महाप्रबंधक उमेश कुमार ने कहा कि जिले में एक भी लाइसेंसी ट्वॉय यूनिट नहीं है। अवैध खिलौने निर्माण की जानकारी नहीं है।