पटना: कहा जा रहा है कि कोरोना की तीसरी लहर का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर ही होगा. ऐसे में तमाम डॉक्टर और अस्पताल पहले से ही बच्चों को इससे बचाने के लिए हर तरह से तैयारी कर रही हैं. इसी क्रम में बात करें तो पटना के AIIMS में बच्चों पर वैक्सीन ट्रायल चल रहा था ताकि तीसरी लहर से पहले ही बच्चों के लिए भी वैक्सीन तैयार हो जाएं. ऐसे में पटना एम्स से एक बेहद चौकाने वाली खबर सामने आई. जहां पाया गया कि वैक्सीन ट्रायल के लिए आए पचास फीसदी से ज्यादा बच्चों की जांच में एंटीबॉडी विकसित हो चुकी हैं।
आपको बता दें कि रिपोर्ट के अनुसार 12 से 18 साल के 27 बच्चों का वैक्सीन ट्रायल सोमवार को पूरा हुआ। ट्रायल में शामिल होने आए कई बच्चों में पहले से ही एंटीबॉडी थी। इस कारण उन्हें टीके का डोज नहीं दिया गया। एम्स के विश्वस्त आधिकारिक सूत्रों की मानें तो 50 से 60 प्रतिशत बच्चों में एंटीबॉडी पाई गई। यानि इनके शरीर में पहले से कोरोना के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रणाली सशक्त हो चुकी थी। यह तभी हुआ होगा जब इन बच्चों का शरीर कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ा। एम्स की वरीय चिकित्सक डॉ. वीणा सिंह ने बताया कि एंटीबॉडी बनने के बाद भी बच्चों व उनके माता-पिता को विशेष सावधानी बरतनी होगी।
दरअसल कोरोना वायरस का म्यूटेंट लगातार बदल रहा है। अभी दूसरी लहर के वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनी है। यह जरूरी नहीं है कि तीसरी लहर में वायरस का म्यूटेंट ऐसा ही हो। अत: बच्चों को लेकर विशेष सतर्कता उनके टीकाकरण पूर्ण होने तक बरतनी होगी।
तो वहीं इस संबंध में पटना एम्स के अधीक्षक डॉ. सीएम सिंह ने कहा, ‘ट्रायल में शामिल होने आए 12 से 18 साल के कुछ बच्चों की जांच में एंटीबॉडी पाई गई। ऐसे बच्चों को कोवैक्सीन टीके का ट्रायल नहीं किया गया। पहले से एंटीबॉडी रहने से टीका देने की जरूरत नहीं होती। ट्रायल में सिर्फ उन्हीं बच्चों को शामिल किया गया, जिनमें एंटीबॉडी नहीं पाई गई।’
कोरोना की दूसरी लहर बच्चों पर खासा असर नहीं दिखा पाई। उन्हीं बच्चों को ज्यादा प्रभावित किया जो या तो पहले से बीमार थे अथवा जिनकी इम्युनिटी बेहद कमजोर थी। ज्यादातर बच्चों में कोरोना खतरनाक असर नहीं दिखा पाया। एसिम्पटोमेटिक लक्षण के चलते वे कब कोरोना संक्रमित हुए और कब ठीक हो गए, इसकी जानकारी न तो उनको और न ही उनके माता-पिता को हो पाई। बच्चे संक्रमित हुए इस कारण उनमें कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी भी बनी।