Patna: बिहार में कोरोना संक्रमितों की संख्या 30 हजार के पार पहुंच गई है। मरीज रोज मर रहे हैं और इसके साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खुल रही है। कोरोना मरीजों के लिए डेडिकेटेड अस्पताल एनएमसीएच (नालंदा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल, पटना) में लगातार दो दिन वार्ड में शव पड़े होने की घटना सामने आई। बुधवार को एक मरीज ने अस्पताल के गेट पर दम तोड़ दिया।
अस्पताल में जारी अव्यवस्था के लगातार उजागर होने के बाद सरकार जागी है। गुरुवार को बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय पीपीई किट पहनकर एनएमसीएच पहुंचे। उन्होंने वार्ड में जाकर इलाज करा रहे मरीजों का हालचाल जाना। मंत्री ने अस्पताल प्रशासन को मरीजों को बेहतर सुविधाएं देने का निर्देश दिया। मंत्री ने कहा कि मरीज की अगर मौत हो जाती है तो 2-3 घंटे के अंदर सभी प्रोटोकॉल पूरा कर शव को वार्ड से हटा दिया जाएगा। तीन दिन में हेल्प डेस्क काम करने लगेगा।
अस्पताल की व्यवस्था सुधारने के लिए उठाए गए कदम
एनएमसीएच में मरीजों के बेड के बीच अब कोरोना संदिग्ध या पॉजिटिव का शव नहीं रखा जाएगा। शव रखने के लिए एक हॉल की व्यवस्था की गई है।
एनएमसीएच और पीएमसीएच के सभी कोविड-19 वार्ड में सीनियर डॉक्टर की देखरेख में डेडिकेटेड मेडिकल टीम 24 घंटे तैनात रहेगी। इससे मरीजों की स्थिति पर हर पल निगरानी रखने में मदद मिलेगी।
कोविड-19 वार्ड में तैनात डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ प्रतिदिन 4-6 घंटे ही ड्यूटी करेंगे।
बांस घाट पर अब 24 घंटे अंतिम संस्कार हो सकेगा। पहले सिर्फ रात में ही शवों का दाह संस्कार हो पाता था।
एनएमसीएच और पीएमसीएच में शवों को ले जाने के लिए अतिरिक्त वाहन मुहैया कराया गया।