Patna: कोरोना बंदी के दौर में बगैर मास्क (Corona Mask) के घर से बाहर निकलने पर पाबंदी है, ऐसे में किसी भी काम से बाहर जाने के लिए बाकी कपड़ों की तरह ही मास्क भी हमारे पहनावे का अहम हिस्सा बन चुका है.जाहिर है पहनावा यदि ज्यादा आकर्षक और डिजाइनर हो तो लोगों को ज्यादा पसंद आता है,और शायद यही वजह है कि मधुबनी में इन दिनों मिथिला पेंटिंग (Mithila Painting) के कुछ कलाकारों द्वारा बनाए गए रंग-बिरंगे और डिजाइनर मास्क (Designer Mask) का क्रेज देश भर में बढ़ता दिख रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रविवार को ‘मन की बात’ (PM Mann Ki Baat) कार्यक्रम में मधुबनी पेंटिंग युक्त मास्क की तारीफ की है साथ ही मास्क बनाने वाली मधुबनी की महिलाओं के प्रयासों की भी पीएम ने खूब सराहना की. पीएम के मन की बात से मिथिलांचल के लोगों में खासी खुशी है.
मधुबनी की कला – संस्कृति और पेंटिंग के जानकार सुखदेव राउत का कहना है कि पीएम ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मधुबनी पेंटिंग वाले मास्क की तारीफ कर मिथिलांचल की समृद्ध कला और यहां के कलाकारों का सम्मान बढ़ाया है.
महिलाओं और युवाओं में मधुबनी पेंटिंग वाले मास्क का बढ़ रहा क्रेज
युवा वर्ग और महिलाएं इस मास्क को ज्यादा पसंद कर रही हैं. राजनगर कॉलेज में हिंदी साहित्य की प्रोफेसर डॉ विभा कुमारी का कहना है कि – ” मधुबनी पेंटिंग हमेशा से महिलाओं के परिधानों और फैशन की शोभा बढ़ाती रही है. चाहे साड़ी हो, कुर्ती हो, दुपट्टा हो या फिर महिलाओं द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली हैंड बैग या थैला ही क्यों न हो. इन सभी पर मधुबनी पेंटिंग के कलाकारों की कुची चलती रही है और इसी कड़ी में अब मास्क भी जुड़ गया है”. ऐसे कोरोना बंदी के चलते इन दिनों बहुत जरूरी होने पर ही लोग घरों से निकल रहे हैं वहीं स्कूल-कॉलेज भी बंद हैं,लेकिन ऑफिस जाने वाले कामकाजी लोग ,खासकर ऐसे लोग जो अपने पहनावे और फैशन में कुछ नया करने के साथ ही सोच भी सकारात्मक रखते हैं उन सभी लोगों को मधुबनी पेंटिंग वाले मास्क खूब पसंद आ रहे हैं.
पीएम नरेंद्र मोदी की अपील का असर
कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए मास्क लगाना जरूरी है लेकिन मांग के अनुसार बाजार में मास्क उपलब्ध नहीं होने पर पीएम नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से खुद ही मास्क बनाने और जितना संभव हो सके दूसरे लोगों के बीच बांटने की अपील की थी. मधुबनी के सौराठ गांव निवासी कलाकार रेमंत मिश्रा और उषा मिश्रा का कहना है कि पीएम की अपील से प्रभावित होकर इन लोगों ने अपने साथी कलाकारों के साथ मिलकर अपने घर पर ही श्रमदान के जरिए मास्क बनाने का काम शुरू किया था. मास्क बनाने के लिए सिल्क और कॉटन के कपड़ों के साथ ही प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल किया जाता है.
“मधुबनी पेंटिंग सिर्फ पेंटिंग नहीं जीवन शैली है”
कलाकारों के मन में मास्क पर चित्रकारी करने का आइडिया कैसे आया इस बारे में मधुबनी पेंटिंग के कलाकार और दिल्ली विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर डॉ सुमित नंदन का कहना है कि “मधुबनी पेंटिंग सिर्फ पेंटिंग नहीं बल्कि मधुबनी की जीवनशैली है. जाहिर है जीवनशैली में कुछ भी बदलाव आएगा तो वो यहां के कलाकारों की कुची से बच नहीं पाएगा. यही वजह है कि मास्क के रूप में जब लोगों की जीवनशैली में बदलाव आया तो वो भी मधुबनी के कलाकारों की नजर से बच नहीं पाया. बहरहाल मुश्किल समय में भी श्रमदान के जरिए मास्क पर पेंटिंग बनाकर लोगों को मुस्कुराने का मौका देने वाले कलाकारों की हर कोई तारीफ कर रहा है.