पटना हाई कोर्ट के वकीलों को मिली नई बिल्डिंग, केंद्रीय कानून मंत्री ने किया उद्घाटन

पटना हाई कोर्ट के वकीलों को मिली नई बिल्डिंग, केंद्रीय कानून मंत्री ने किया उद्घाटन

Patna:पटना हाई कोर्ट परिसर (Patna High Court Campus) में वकीलों के लिए बने नये भवन का उदघाटन केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद (Union Law Minister Ravi Shankar Prasad) ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया. इस कार्यक्रम में पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल के अलावा हाई कोर्ट के अन्य जज भी शामिल रहे. इस उदघाटन समारोह में बार काउंसिल ऑफ इंडिया (Bar Council of India) के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने भी शिरकत की. राज्य सरकार के महाधिवक्ता ललित किशोर इस दौरान मौजूद रहे. साथ ही पटना हाईकोर्ट के तीनों अधिवक्ता संघों के अध्यक्ष व महासचिव इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे.

एडवोकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश चंद्र वर्मा ने इस भवन के उदघाटन पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि इसके बन जाने से वकीलों की समस्यायों का काफी हद तक निदान हो गया है. उन्होंने बताया कि करीब बीस वर्षों के अथक प्रयास के बाद वकीलों का यह चिर प्रतीक्षित सपना पूरा हुआ है. इस भवन के निर्माण पर लगभग दस करोड़ रुपए का व्यय किया गया और इसके निर्माण में दो वर्षो का समय लगा.

बता दें कि बिल्डिंग को लेकर अधिवक्ता संघों में काफी विवाद हुआ था. दरअसल पटना हाई कोर्ट को-आर्डिनेशन कमेटी में वकीलों के तीन संघ रहे हैं. एडवोकेट एसोसिएशन, बैरिस्टर एसोसिएशन व लायर्स एसोसिएशन. एडवोकेट एसोसिएशन के अनुसार चूंकि वह पटना हाईकोर्ट का सबसे बड़ा वकील संघ है, उसके सदस्य ज्यादा हैं, इस नाते उसे शताब्दी भवन में अपने सदस्यों के लिए ज्यादा जगह चाहिए. जबकि नई कमेटी का कहना था कि इस तीन मंजिले भवन में तीनों संघों का एक-एक फ्लोर हो, यह उसे दिया जाए.

दूसरी तरफ, एडवोकेट एसोसियेशन के अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारियों ने अपने संकल्प में कहा कि को-आर्डिनेशन कमेटी की बैठक को बुलाने का अधिकार सिर्फ इसके अध्यक्ष व समन्वयक (योगेश चंद्र वर्मा, शैलेंद्र कुमार सिंह) को ही है. लिहाजा, नई कमेटी या इसकी बैठक में लिए गए फैसले पूरी तरह अवैध हैं. लेकिन, नई कमेटी के अध्यक्ष व समन्वयक का कहना है कि उनके कार्यकलाप पूरी तरह दुरुस्त हैं; सही हैं.

जिसके बाद काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) पंच की भूमिका में आया था. बीसीआई के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने सबको सलाह दी थ कि कोरोना संकट काल मे जब वर्चुअल कोर्ट चल रहा हो, तब शताब्दी बिल्डिंग पर दखल या हिस्सा जैसी बातें व्यवहारिक नहीं है.

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