Patna:बिहार के 39वें राज्यपाल के रूप में लालजी टंडन ने 23 अगस्त 2018 को शपथ ली थी। तत्कालीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालजी टंडन को बिहार का राज्यपाल मनोनीत किया था।
हालांकि वे मात्र 331 दिन ही बिहार के राज्यपाल रहे लेकिन अपने सालभर से भी कम के कार्यकाल में उच्च शिक्षा के विकास में कई अहम प्रयास किये। छोटे-बड़े कई हस्तक्षेपों से उन्होंने बड़ी लकीरें खींचीं। खासतौर से लंबित परीक्षाएं, छात्रहित की अनदेखी और वित्तीय व्यवस्था को दुरुस्त करने पर विशेष तवज्जो रहा। गवर्नर के रूप में उनके 300 दिन पूरा करने पर राजभवन ने एक पुस्तिका का भी प्रकाशन किया था।
दीक्षांत समारोह में भारतीय परिधानों का चलन शुरू
राज्यपाल के तौर पर लालजी टंडन ने राज्य के विश्वविद्यालयों में दीक्षांत समारोह नियमित करने पर जोर दिया। उन्होंने अपने कार्यकाल में ही बिहार में दीक्षांत समारोह में भारतीय परिधानों का चलन शुरू कराया। अकादमिक तथा परीक्षा कैलेंडर के नियमित करने पर उन्होंने विशेष जोर दिया। इस कड़ी में कई यूनिवर्सिटी में लंबित परीक्षाएं उनकी पहल से ही ली गयीं। यूनिवर्सिटी की तमाम योजनाओं में छात्रहित को सर्वोपरि रखने की हिदायत हमेशा देते रहे। राजभवन में धन्वंतरी तथा नक्षत्र वाटिकाएं स्थापित करवाईं। विश्वविद्यालयों में इसी साल से यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम (यूएमआईएस) लागू कराया।
गांधी दर्शन पर सेमिनार महत्वपूर्ण कार्य
लालजी टंडन ने राजभवन को शैक्षिक-सांस्कृतिक गतिविधियों का केन्द्र बनाया। इस कड़ी में जो सबसे बड़ी कार्यशाला हुई, वह उच्च शिक्षा के विकास के ब्लूप्रिंट निर्माण को लेकर हुई। इसपर काम अंतिम चरण में है। नैक मान्यता, डिजिटाइजेशन और शोध को लेकर अन्य तीन महती कार्यशालाएं हुईं। इन चारों कार्यशालाओं में देश के चर्चित शिक्षाविद आए और बिहार के विश्वविद्यालयों का मार्गदर्शन किया। गांधी दर्शन पर सेमिनार, 53 शहीदों की पत्नियों को 51-51 हजार का सम्मान, संगीतज्ञों को सम्मान आदि इनके महत्वपूर्ण कार्य रहे।
नई पहल
- राजभवन में संविधान दिवस का आयोजन
- पहली बार शंकराचार्य व मंडन मिश्र की तर्ज पर शास्त्रार्थ का आयोजन
- चांसलर्स अवार्ड की शुरुआत की पहल, हालांकि यह प्रक्रियाधीन है
- विश्वविद्यालयों को गांवों को गोद लेने के लिए प्रेरित करना
- राजभवन में उद्यान प्रदर्शनी, किसानों को सम्मान
- संगीतज्ञों को सम्मान