Desk: लोकसभा में बजट सत्र में तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा का भाषण चर्चा में है. इसे लेकर वो सोशल मीडिया पर लगातार ट्रेंड हो रही हैं. अपने इस भाषण में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और मौजूदा राज्यसभा सदस्य रंजन गोगोई पर प्रहार किए थे. इस भाषण के बाद सत्ताधारी पार्टी के संसदीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि उनके इस भाषण पर तमाम लोगों को एतराज है. उसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने पर विचार चल रहा है. हालांकि फिर कानूनी तौर पर मोइत्रा के दमदार होने के बाद सरकार ने ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाने का फैसला किया है. उनके इस भाषण के बाद उन्हें खासी तारीफ भी मिल रही है. कहा जा रहा है कि कोई तो ऐसा सांसद है जो लोकसभा में बगैर डरे खरी खरी बात कह सकता है.
कौन हैं महुआ मित्रा. जो तेजतर्रार राजनीतिज्ञ हैं. स्मार्ट हैं. आकर्षक हैं और भारतीय राजनीति में लगातार लोकप्रिय हो रही हैं. उनके कई ऐसे भाषण रहे हैं, जिस पर उन्हें दाद मिल चुकी है. ये उनकी तब की तस्वीर है जब वो वर्ष 2019 के चुनावों में कृष्णानगर से अपने चुनाव अभियान में लगी हैं. यहां उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार को 16000 से अधिक वोटों से हराया था. हालांकि उनका राजनीतिक करियर बहुत लंबा नहीं कहा जा सकता. कौन हैं महुआ मित्रा. जो तेजतर्रार राजनीतिज्ञ हैं. स्मार्ट हैं. आकर्षक हैं और भारतीय राजनीति में लगातार लोकप्रिय हो रही हैं. उनके कई ऐसे भाषण रहे हैं, जिस पर उन्हें दाद मिल चुकी है. ये उनकी तब की तस्वीर है जब वो वर्ष 2019 के चुनावों में कृष्णानगर से अपने चुनाव अभियान में लगी हैं. यहां उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार को 16000 से अधिक वोटों से हराया था. हालांकि उनका राजनीतिक करियर बहुत लंबा नहीं कहा जा सकता.
कौन हैं महुआ मित्रा. जो तेजतर्रार राजनीतिज्ञ हैं. स्मार्ट हैं. आकर्षक हैं और भारतीय राजनीति में लगातार लोकप्रिय हो रही हैं. उनके कई ऐसे भाषण रहे हैं, जिस पर उन्हें दाद मिल चुकी है. ये उनकी तब की तस्वीर है जब वो वर्ष 2019 के चुनावों में कृष्णानगर से अपने चुनाव अभियान में लगी हैं. यहां उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार को 16000 से अधिक वोटों से हराया था. हालांकि उनका राजनीतिक करियर बहुत लंबा नहीं कहा जा सकता.
वो अक्सर विवादों में रहती आई हैं. कभी बंगाल का स्थानीय मीडिया उनकी टिप्पणी से नाराज हो जाता है तो कभी बीजेपी सांसद बाबुल सुप्रिया से उनकी ठन जाती है. कभी ये खबर आती है कि असम में किसी महिला पुलिस अफसर ने उन पर बदसलूकी का आरोप लगाया है. 05 फुट 06 इंच लंबी मोइत्रा को संसदीय भारतीय राजनीति में कदम रखे बमुश्किल 05 साल ही हुए हैं. पहले उन्होंने तृणमूल के टिकट पर करीमनगर से विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीता और फिर वर्ष 2019 में उन्हें पार्टी ने लोकसभा का टिकट दे दिया. वो अक्सर विवादों में रहती आई हैं. कभी बंगाल का स्थानीय मीडिया उनकी टिप्पणी से नाराज हो जाता है तो कभी बीजेपी सांसद बाबुल सुप्रिया से उनकी ठन जाती है. कभी ये खबर आती है कि असम में किसी महिला पुलिस अफसर ने उन पर बदसलूकी का आरोप लगाया है. 05 फुट 06 इंच लंबी मोइत्रा को संसदीय भारतीय राजनीति में कदम रखे बमुश्किल 05 साल ही हुए हैं. पहले उन्होंने तृणमूल के टिकट पर करीमनगर से विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीता और फिर वर्ष 2019 में उन्हें पार्टी ने लोकसभा का टिकट दे दिया.
वो अक्सर विवादों में रहती आई हैं. कभी बंगाल का स्थानीय मीडिया उनकी टिप्पणी से नाराज हो जाता है तो कभी बीजेपी सांसद बाबुल सुप्रिया से उनकी ठन जाती है. कभी ये खबर आती है कि असम में किसी महिला पुलिस अफसर ने उन पर बदसलूकी का आरोप लगाया है. 05 फुट 06 इंच लंबी मोइत्रा को संसदीय भारतीय राजनीति में कदम रखे बमुश्किल 05 साल ही हुए हैं. पहले उन्होंने तृणमूल के टिकट पर करीमनगर से विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीता और फिर वर्ष 2019 में उन्हें पार्टी ने लोकसभा का टिकट दे दिया.
वह 45 साल की हैं. कोलकाता में पैदा हुईं. वहां कालेज से डिग्री लेने के बाद हायर एजुकेशन के लिए अमेरिका चली गईं. उसके बाद उन्होंने जेपी मोर्गन में नौकरी शुरू की. देखते ही देखते जेपी मोर्गन में उन्हें कई तरक्की मिली. वो लंदन में कंपनी की वाइस प्रेसीडेंट बन गईं. इस लिहाज से देखें तो उनका जीवन अच्छा और करियर शानदार था. पैसे की कमी नहीं थी. लेकिन उन्हें लगा कि वो इस तरह की नौकरियों में बंधकर नहीं रह सकतीं. उन्हें कुछ बिल्कुल अलग करना है. हालांकि जब वो कोलकाता में कॉलेज में पढ़ रही थीं तभी से राजनीति में उनकी दिलचस्पी थी. वह 45 साल की हैं. कोलकाता में पैदा हुईं. वहां कालेज से डिग्री लेने के बाद हायर एजुकेशन के लिए अमेरिका चली गईं. उसके बाद उन्होंने जेपी मोर्गन में नौकरी शुरू की. देखते ही देखते जेपी मोर्गन में उन्हें कई तरक्की मिली. वो लंदन में कंपनी की वाइस प्रेसीडेंट बन गईं. इस लिहाज से देखें तो उनका जीवन अच्छा और करियर शानदार था. पैसे की कमी नहीं थी. लेकिन उन्हें लगा कि वो इस तरह की नौकरियों में बंधकर नहीं रह सकतीं. उन्हें कुछ बिल्कुल अलग करना है. हालांकि जब वो कोलकाता में कॉलेज में पढ़ रही थीं तभी से राजनीति में उनकी दिलचस्पी थी.
वह 45 साल की हैं. कोलकाता में पैदा हुईं. वहां कालेज से डिग्री लेने के बाद हायर एजुकेशन के लिए अमेरिका चली गईं. उसके बाद उन्होंने जेपी मोर्गन में नौकरी शुरू की. देखते ही देखते जेपी मोर्गन में उन्हें कई तरक्की मिली. वो लंदन में कंपनी की वाइस प्रेसीडेंट बन गईं. इस लिहाज से देखें तो उनका जीवन अच्छा और करियर शानदार था. पैसे की कमी नहीं थी. लेकिन उन्हें लगा कि वो इस तरह की नौकरियों में बंधकर नहीं रह सकतीं. उन्हें कुछ बिल्कुल अलग करना है. हालांकि जब वो कोलकाता में कॉलेज में पढ़ रही थीं तभी से राजनीति में उनकी दिलचस्पी थी.
उन्होंने वर्ष 2008 में अपनी शानदार नौकरी छोड़ दी. वो भारत आ गईं. आते ही राहुल गांधी से मिलीं. उन्हें बंगाल में यूथ कांग्रेस में काम करने के लिए कहा गया. जल्दी ही वो बंगाल यूथ कांग्रेस में प्रमुख नेताओं में शामिल हो गईं. राहुल गांधी उन्हें जानते थे. उन पर विश्वास करते थे. उन्होंने बंगाल में बहुत अच्छी तरह कांग्रेस के कार्यक्रमों का संचालन किया था. लेकिन जब कांग्रेस ने वहां चुनावों में लेफ्ट के साथ गठजोड़ किया तो वो क्षुब्ध हो गईं. तब उन्होंने तृणमूल कांग्रेस की ओर रुख किया. उन्होंने वर्ष 2008 में अपनी शानदार नौकरी छोड़ दी. वो भारत आ गईं. आते ही राहुल गांधी से मिलीं. उन्हें बंगाल में यूथ कांग्रेस में काम करने के लिए कहा गया. जल्दी ही वो बंगाल यूथ कांग्रेस में प्रमुख नेताओं में शामिल हो गईं. राहुल गांधी उन्हें जानते थे. उन पर विश्वास करते थे. उन्होंने बंगाल में बहुत अच्छी तरह कांग्रेस के कार्यक्रमों का संचालन किया था. लेकिन जब कांग्रेस ने वहां चुनावों में लेफ्ट के साथ गठजोड़ किया तो वो क्षुब्ध हो गईं. तब उन्होंने तृणमूल कांग्रेस की ओर रुख किया.
उन्होंने वर्ष 2008 में अपनी शानदार नौकरी छोड़ दी. वो भारत आ गईं. आते ही राहुल गांधी से मिलीं. उन्हें बंगाल में यूथ कांग्रेस में काम करने के लिए कहा गया. जल्दी ही वो बंगाल यूथ कांग्रेस में प्रमुख नेताओं में शामिल हो गईं. राहुल गांधी उन्हें जानते थे. उन पर विश्वास करते थे. उन्होंने बंगाल में बहुत अच्छी तरह कांग्रेस के कार्यक्रमों का संचालन किया था. लेकिन जब कांग्रेस ने वहां चुनावों में लेफ्ट के साथ गठजोड़ किया तो वो क्षुब्ध हो गईं. तब उन्होंने तृणमूल कांग्रेस की ओर रुख किया.
तृणमूल में आने के बाद यहां भी उनका सिक्का चलने लगा. वो पार्टी की महासचिव बनीं. ममता दीदी के करीब आईं. उनका भरोसा जीता. जल्दी ही पार्टी ने उन्हें प्रवक्ता भी बना दिया. जब वर्ष 2016 में राज्य में चुनाव हुए तो उन्हें टिकट मिला. इसके बाद दीदी ने उनकी क्षमताओं पर भरोसा करते हुए उन्हें लोकसभा का टिकट दिया. अब वो लोकसभा में सबसे तेजतर्रार और प्रखर तरीके से मुद्दों को उठाने वाली नेता माने जाने लगी हैं. तृणमूल में आने के बाद यहां भी उनका सिक्का चलने लगा. वो पार्टी की महासचिव बनीं. ममता दीदी के करीब आईं. उनका भरोसा जीता. जल्दी ही पार्टी ने उन्हें प्रवक्ता भी बना दिया. जब वर्ष 2016 में राज्य में चुनाव हुए तो उन्हें टिकट मिला. इसके बाद दीदी ने उनकी क्षमताओं पर भरोसा करते हुए उन्हें लोकसभा का टिकट दिया. अब वो लोकसभा में सबसे तेजतर्रार और प्रखर तरीके से मुद्दों को उठाने वाली नेता माने जाने लगी हैं.
तृणमूल में आने के बाद यहां भी उनका सिक्का चलने लगा. वो पार्टी की महासचिव बनीं. ममता दीदी के करीब आईं. उनका भरोसा जीता. जल्दी ही पार्टी ने उन्हें प्रवक्ता भी बना दिया. जब वर्ष 2016 में राज्य में चुनाव हुए तो उन्हें टिकट मिला. इसके बाद दीदी ने उनकी क्षमताओं पर भरोसा करते हुए उन्हें लोकसभा का टिकट दिया. अब वो लोकसभा में सबसे तेजतर्रार और प्रखर तरीके से मुद्दों को उठाने वाली नेता माने जाने लगी हैं.
महुआ ने अमेरिका में पढ़ाई के दौरान या उसके बाद लंदन प्रवास के समय डेनमार्क के लार्स ब्रोरसोन से शादी की थी लेकिन अब वह तलाकशुदा हैं. वो खूबसूरत पेंटिंग्स की शौकीन हैं. उनके व्यक्तिगत कलेक्शन में कई अच्छी पेटिंग्स हैं. आमतौर पर वो साड़ी में नजर आती हैं. हालांकि जब कारपोरेट जगत में नौकरी करती थीं तो स्मार्ट कारपोरेट ड्रेस में होती थीं. लेकिन ये उनकी खासियत और क्षमता ही है कि बहुत से लोग उन्हें अब संसद में विपक्ष की आवाज कहने लगे हैं. महुआ ने अमेरिका में पढ़ाई के दौरान या उसके बाद लंदन प्रवास के समय डेनमार्क के लार्स ब्रोरसोन से शादी की थी लेकिन अब वह तलाकशुदा हैं. वो खूबसूरत पेंटिंग्स की शौकीन हैं. उनके व्यक्तिगत कलेक्शन में कई अच्छी पेटिंग्स हैं. आमतौर पर वो साड़ी में नजर आती हैं. हालांकि जब कारपोरेट जगत में नौकरी करती थीं तो स्मार्ट कारपोरेट ड्रेस में होती थीं. लेकिन ये उनकी खासियत और क्षमता ही है कि बहुत से लोग उन्हें अब संसद में विपक्ष की आवाज कहने लगे हैं.
महुआ ने अमेरिका में पढ़ाई के दौरान या उसके बाद लंदन प्रवास के समय डेनमार्क के लार्स ब्रोरसोन से शादी की थी लेकिन अब वह तलाकशुदा हैं. वो खूबसूरत पेंटिंग्स की शौकीन हैं. उनके व्यक्तिगत कलेक्शन में कई अच्छी पेटिंग्स हैं. आमतौर पर वो साड़ी में नजर आती हैं. हालांकि जब कारपोरेट जगत में नौकरी करती थीं तो स्मार्ट कारपोरेट ड्रेस में होती थीं. लेकिन ये उनकी खासियत और क्षमता ही है कि बहुत से लोग उन्हें अब संसद में विपक्ष की आवाज कहने लगे हैं.