एमबीए, बीएससी व बीकॉम की पढ़ाई पूरी कर संभाली खेती, पहले ही सीजन में कमा लिया 10 लाख

एमबीए, बीएससी व बीकॉम की पढ़ाई पूरी कर संभाली खेती, पहले ही सीजन में कमा लिया 10 लाख

Desk: किसान बिल के विरोध के बीच नई तकनीक से महाराजगंज जिले के तीन युवा दोस्त खेती-किसानी में तरक्की की इबारत लिख रहे हैं. एमबीए, बीएससी व बीकॉम की पढ़ाई पूरी करने के बाद तीनों दोस्तों ने मिल कर परिवार की परम्परात खेती के तौर-तरीके के बजाय ऑर्गेनिक खेती शुरू करने का निर्णय लिया.  

इसके लिए सरकारी मदद से खेती में नई तकनीक को अपनाया. पहले ही सीजन में परम्परागत खेती की तुलना में सात गुना आमदनी बढ़ गई. पांच एकड़ में फल व सब्जी की ऑर्गेनिक खेती में लागत छोड़ दस लाख रुपया मुनाफा कमाया और दो दर्जन से अधिक बेरोजगार लोगों को रोजगार मुहैया कराया.स्थिति यह है कि इनके जरिए उगाई फल व सब्जियां बनारस, जौनपुर, प्रयागराज समेत पूर्वांचल के कई घरों में पहुंच रही हैं. भारत-नेपाल सीमा से सटे यूपी के महाराजगंज जिले के रहने वाले दुर्गेश सिंह एमबीए डिग्रीधारी हैं. दुर्गेश अपने दो दोस्त वरूण शाही व आदित्य शाही के साथ मिल कर पांच एकड़ खेत में पिछले साल से परम्परागत खेती की जगह वैज्ञानिक विधि से फल व सब्जी की आर्गेनिक फार्मिंग कर रहे हैं. उद्यान विभाग से मिली तकनीकी सहयोग व अनुदान पर मिले कृषि यंत्र की मदद से कम लागत व समय में बट्टी फल के अलावा लौकी, भिंडी, नेनुआ, खीरा के अलावा मौसमी सब्जियों का ऑर्गेनिक फार्मिंग शुरू किया. 

आदित्य प्रताप सिंह बताते हैं कि पिछले सीजन में 6 माह के अंदर सब्जी व फल का उत्पादन शुरू हो गया. कुल लागत डेढ़ लाख रुपये लगी. बिक्री से 12 लाख रुपये मिले. इससे उत्साह बढ़ा और सपनों के पूरे होने की उम्मीद जगी. अभी खेती से बढ़िया कमाई कर रहे हैं. पहले परम्परागत खेती करते थे. दवा, लेबर कास्ट, बीज, पानी में पैसा ज्यादा व्यय हो जाता था लेकिन अभी सरकारी योजनाओं का लाभ मिला है तो टपक विधि से खेती कर रहे हैं. इसमें खर्च कम आता है. पहले ये एक एकड़ में 30 हजार कमाते थे, अभी आमदनी दोगुनी से ज्यादा हो गई है. फसल भी कई बार काट लेते हैं. जिले में ऑर्गेनिक फार्मिंग के रोल मॉडल बन कर उभरे आदित्य प्रताप सिंह, दुर्गेश सिंह, वरुण शाही ने खेती-किसानी में विज्ञान व तकनीक का बखूबी इस्तेमाल किया. इसमें उनकी प्रोफेशनल डिग्री भी मददगार बनी.

वरूण शाही (35) एमसीए पास हैं, आदित्य सिंह बैचलर ऑफ साइंस हैं, दुर्गेश सिंह ने एमबीए किया है. महज पांच एकड़ जमीन पर जब यह तीनों दोस्त ऑर्गेनिक खेती करने उतरे तो दबी जुबान में उपहास भी शुरू हुआ. पर, तीनों ने अपनी जिद व मेहनत से छह माह में बेहतर परिणाम दिखाकर और अन्य किसानों को भी आर्गेनिक फार्मिंग के लिए प्रेरित किया. वरूण शाही खेती का काम देखते हैं, आदित्य सिंह फसल की बुवाई से लेकर कटाई तक वैज्ञानिक विधि का इस्तेमाल करते हैं. एमबीए डिग्रीधारी फल व सब्जियों की मार्केटिंग और मैनेजमेंट संभालते हैं. सिंह ब्रदर्स नाम से आदित्य प्रताप सिंह, दुर्गेश सिंह, वरुण शाही ने ऑर्गेनिक फार्मिंग शुरू की. उसी दौरान फसलों के बिक्री पर लॉकडाउन का खतरा मंडराने लगा. तब व्यापारियों को सोशल मीडिया प्लेटफार्म से जोड़ा और अपनी फसल की ऑनलाइन बिक्री शुरू की. वाजिब रेट पर ऑर्गेनिक फसल बिक्री के लिए उपलब्ध देख बनारस, जौनपुर, इलाहाबाद के व्यापारी थोक खरीद के लिए आगे आए. इसके बाद महराजगंज से आर्गेनिक विधि से उगाई गई फल व सब्जियां महानगरों में पहुंचने लगीं.  (Source- Aaj Tak)

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