नामी ऑनलाइन कंपनियों के नाम का स्क्रैच कार्ड भेज फांसते थे लोग, तरीका जान चौंक जाएंगे आप

नामी ऑनलाइन कंपनियों के नाम का स्क्रैच कार्ड भेज फांसते थे लोग, तरीका जान चौंक जाएंगे आप

Desk: नामी ऑनलाइन कंपनियों से खरीदारी के कुछ दिनों के बाद अचानक आपके पास एक स्क्रैच कार्ड आए तो आप क्या करेंगे? जाहिर है, स्क्रैच करेंगे और इनाम देखेंगे। सोने का सिक्का या ऐसा कोई इनाम दिखा तो निश्चित तौर पर प्रक्रिया के लिए कॉल करने कहा जाएगा तो करेंगे। लाख-लाख रुपए के इनाम की प्रक्रिया के लिए 10-20 हजार या 5 लाख की कार के लिए 50 हजार से 1 लाख तक भी जमा कर देंगे। यही तो करवाते थे बड़ी कंपनियों के नाम पर 20 से 27 साल के लड़के! बाकायदा ट्रेनिंग लेकर। महात्मा बुद्ध को ज्ञान देने वाली धरती पर 16 लड़कों की एक टीम इसी तरह का काम कर रही थी। इस टीम में 8 लड़के बेंगलुरू (कर्नाटक), एक हुगली (प. बंगाल), जबकि शेष 7 गया-नवादा के हैं। लोकल लड़के स्क्रैच कार्ड के अलावा बिहार में ATM कार्ड बदल पैसे निकालने का पार्ट टाइम काम कर रहे थे, जबकि हुगली-बेंगलुरू के लड़के पश्चिम बंगाल से दक्षिण भारतीय राज्यों में स्क्रैच कार्ड के धंधे पर फोकस कर रहे थे।

शराब सप्लायर से मिला अनाम गेस्ट हाउस में गोरखधंधे का क्लू

पुलिस ने एक शराब सप्लायर को पकड़ा था, जिसने खुद को बचाने के लिए पुलिस को यह क्लू दिया। उसी के बताए पते पर पहुंची पुलिस टीम को यह खेल दिख गया। SSP आदित्य कुमार ने बताया कि पुलिस की विशेष टीम ने बोधगया के सिद्धार्थ नगर मियांवाला स्थित एक अनाम गेस्ट हाउस पर धावा बोला। इस गेस्ट हाउस में 16 लोगों की पूरी टीम के साथ पूरा सेटअप था।

5 महीने के लीज पर था गेस्ट हाउस, एक महीने में पकड़ाया

5 महीने के लिए यह गेस्ट हाउस लीज पर लिया गया था और एक महीने से यह सेटअप यहां काम कर रहा था। गेस्ट हाउस को सील कर दिया गया है। गेस्ट हाउस का मालिक फिलहाल फरार है। गेस्ट हाउस के रजिस्टर्ड होने व पुलिस को प्रतिदिन गेस्ट हाउस द्वारा डिटेल नहीं दिये जाने के सवाल पर SSP ने स्वीकार किया कि गेस्ट हाउस प्राइवेट तरीके से एक घर में चलाया जा रहा था, जिसकी जानकारी पुलिस को नहीं थी।

40 ATM कार्ड, 2 किलो सोने के नकली सिक्के…और भी बहुत कुछ

पुलिस को यहां 2 किलोग्राम के नकली सोने के सिक्के, 40 ATM कार्ड, 14 फर्जी स्टांप, 24 मोबाइल, 12 बैंकों के पासबुक, 12 सिमकार्ड, 10 किलो स्क्रैच कूपन, नाम-पते लिखे 1700 लिफाफे, लैपटॉप, प्रिंटर आदि मिले। इसके साथ ही कई कंपनियों के अधिकारी व कर्मचारी होने का नकली आईकार्ड भी मिला। कॉपी, डायरी, ठगी के हिसाब का रजिस्टर, महंगे कपड़े, घड़ी आदि भी बरामद किए गए हैं। लड़के झांसे में कमाए पैसों से शराब और गांजा भी पी रहे थे। पुलिस ने इनके पास से डेढ़ किलो गांजा, शराब की 5 बोतल, 16 केन बियर आदि की भी बरामदगी हुई और 3 बाइक की भी।

बेंगलुरू के लड़के लैंग्वेज एक्सपर्ट और ट्रेनर भी

पकड़े गए बेंगलुरू के युवक ATM ठगी की ट्रेनिंग भी देते थे और स्क्रैच कार्ड के गोरखधंधे में बतौर लैंग्वेज एक्सपर्ट दक्षिण भारतीय राज्यों के कस्टमर को भी फांसते थे। गिरोह के सदस्यों को ट्रेनिंग देने के लिए दिल्ली से भी लोग आते थे।

ऑनलाइन शॉपिंग के एक कस्टमर का डाटा 25 रुपए में

पकड़े गए गिरोह के मुख्य सदस्य रोशन (पुत्र- सिद्धेश्वर यादव, बारा गांव, थाना- मगध विवि) ने पुलिस को बताया कि ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी के सदस्यों से उनकी सेटिंग रहती है। एक कस्टमर की डिटेल के लिए उन्हें 25 रुपए का भुगतान करना पड़ता है। किन कंपनियों से डाटा लिया है, उसके जवाब में कहा कि हरेक ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी से हमें डाटा मिल जाता है। फ्लिपकार्ट, नापतौल, शॉपक्लूज जैसी कंपनियों में हर जगह आदमी सेट है। कंपनियों के रिकॉर्ड से कस्टमर का नाम, पता, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी के साथ खरीदारी का ब्यौरा भी लिया जाता है ताकि फांसने वाले कस्टमर को झांसे में लेना आसान हो।

पुरानी खरीदारी पर लॉटरी के रूप में भेजते थे स्क्रैच कार्ड

इस धंधे के मुख्य किरदार रोशन के अलावा बेंगलुरू का जुबैद भी B.Tech का स्टूडेंट है। रोशन कुमार ने बताया कि डाटा उपलब्ध होने के बाद ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले के एड्रेस या फिर ई-मेल पर फर्जी कंपनी से लॉटरी निकलने का कूपन भेजा जाता है। कूपन पर हजारों रुपए के गिफ्ट का ऑफर रहता है। कूपन पहुंचने के बाद यदि कोई संपर्क करता है तो आगे की प्रक्रिया होती है। जितना बड़ा इनाम स्क्रैच कार्ड में बताया जाता, उस हिसाब से प्रोसेसिंग के नाम पर रुपए मंगाए जाते और अधिकतम राशि वसूलने के बाद वह मोबाइल बंद कर दिया जाता। इस काम के लिए अलग-अलग लड़के की जिम्मेदारी रहती थी। कूपन गिरोह के सदस्य खुद ही तैयार करते थे।

नवादा के खाते में आता था पैसा, इस महीने में 1700 कस्टमर टारगेट

बैंक से पैसे निकालने के लिए नवादा से जुड़े लड़कों का एकाउंट इस्तेमाल किया जाता था। उनका मुख्य टारगेट कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना आदि राज्यों के ग्राहक होते थे। इसलिए उस इलाके के युवकों के साथ मिल कर यह गिरोह चलाया जा रहा था। आरोपित रोशन ने बताया कि इस महीने उन्हें 1700 लोगों को टारगेट किया था। कुछ लोगों उनके झांसे में आ भी गए थे। उनका पैसा गिरोह के सदस्य निकाल चुके हैं।

नकली ATM कार्ड थमा असली से निकासी की ट्रेनिंग चल रही थी

पकड़े गिरोह के सदस्य पार्ट टाइम भी इसी तरह का धंधा करते थे। इसके लिए लोकल लड़के शहर के विभिन्न ATM में घूमते रहते थे। जहां देहाती या बुजुर्ग लोग मिल जाते, वहां मदद का ऑफर देकर ATM कार्ड बदल लेते। नकली ATM कार्ड थमाकर बिना CCTV वाले ATM काउंटर से असली कार्ड पर पैसा निकालना होता था। इस पार्ट टाइम जॉब की अभी नए गेस्ट हाउस में ट्रेनिंग चल ही रही थी।

गोरखधंधे के सभी खिलाड़ियों की उम्र 20 से 27 साल

आलोक यादव, पिता बलीराम यादव, दादपुर, थाना मगध विश्वविद्यालय, गया
चंदन कुमार, पिता सुभाष पासवान, इस्माइलपुर डबुर देवी स्थान, थाना कोंच, गया
रोशन कुमार, पिता सिद्धेश्वर यादव, बारा, थाना मगध विश्वविद्यालय, गया
आशीष कुमार, पिता जितेंद्र शर्मा, सोहन बिगहा, थाना मगध विश्वविद्यालय, गया
सोनू कुमार, पिता विरजू यादव, दादपुर मटिहानी, थाना मगध विश्वविद्यालय, गया
करण कुमार, पिता शशिभूषण पांडेय, बलवापर, थाना वारसलीगंज, नवादा
शिवा कुमार, पिता विजय राय, बलवापर, वारसलीगंज, थाना वारसलीगंज, नवादा
अरुण देव कुमार, बीटीएम, बेंगलुरू
दीपक आजाद, पिता- आनंद, थाना बनारगट्‌टा, बेंगलुरु
गजेंद्र, पिता- राजू गोतगेर, थाना बनारगट्‌टा, बेंगलुरू
शिवा कुमार, पिता- नारायण स्वामी, थाना काटनपेट, बेंगलुरू
चंद्रशेखर, पिता- नरेंद्र बाबू गोतगेर, थाना उलीमऊ, बेंगलुरू
जुवेद, पिता- नुरऊला, बेंगलुरू
चंदु, पिता- कंदेस्वामी, मुहल्ला वमनअली, बेंगलुरू
प्रभाकर, पिता- गणापति, मुहल्ला सिक्तक्रास रिवर्स कॉलोनी, थाना उलीभाव, बेंगलुरू
विलास शिंदे, पिता- अशोक शिंदे, थाना केशवपुर, जिला हुबली

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