Patna: बिहार मंत्रिमंडल विस्तार की घड़ी लम्बे इंतजार के बाद अब नजदीक आ गई है। मंगलवार को दिन के 12:30 बजे राजभवन में शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया गया है. सत्ताधारी NDA के दोनों प्रमुख दलों BJP और JDU ने अपनी-अपनी सूची राजभवन को भेज दी है। राज्यपाल फागु चौहान ने भी इसके लिए सहमति दे दी है। मंगलवार को BJP के 9 और JDU से 8 विधायक मंत्री पद की शपथ लेंगे। हम आगे आपको 17 ऐसे नाम बताएगा, जिनका मंत्रीपद की शपथ लेना तय है। अभी मंत्रिमंडल में CM नीतीश समेत 14 मंत्री हैं। अभी 22 और बन सकते हैं। सोमवार को ही CM नीतीश कुमार ने इसको लेकर संकेत दे दिए थे। उन्होंने कहा था कि सूची आ जाने पर विस्तार कर लिया जाएगा। इसके बाद शाम में ही मंत्रिमंडल विस्तार की कवायद शुरू हो गई।
9 नाम जो तय हैं, अभी सब BJP के
शाहनवाज हुसैन – MLC
नितिन नवीन – बांकीपुर MLA
नारायण प्रसाद – नौतन MLA
सुभाष सिंह – गोपालगंज MLA
नीरज सिंह बबलू – छातापुर MLA
प्रमोद कुमार – मोतिहारी MLA
सम्राट चौधरी- MLC
आलोक रंजन झा- सहरसा MLA
जनक राम- दोनों सदनों के सदस्य नहीं है, MLC बनाए जाएंगे
JDU ने बनाई है नामों की फेहरिस्त
JDU ने मंत्रिमंडल विस्तार के लिए नामों की एक फेहरिस्त बना ली है। मंत्रिमंडल विस्तार में सामाजिक समीकरण को प्राथमिकता देते हुए कुछ नेताओं की लिस्ट तैयार की गई है।
लेसी सिंह- धमदाहा MLA
सुमित सिंह- चकाई MLA (निर्दलीय)
संजय झा- MLC
श्रवण कुमार- नालंदा MLA
मदन सहनी- बहादुरपुर MLA
जयंत राज- अमरपुर MLA
जमां खान- चैनपुर MLA
सुनील खान- भोरे MLA (ये पूर्व DG रहे हैं)
BJP को अधिक विभागों की जिम्मेदारी मिलना तय
बिहार की नई NDA सरकार में BJP के विधायकों की संख्या अधिक है। लिहाजा JDU के बड़े भाई की भूमिका में BJP को अधिक विभागों की जिम्मेदारी मिलना तय माना जा रहा है। पिछली सरकार में JDU कोटे से मुख्यमंत्री को मिलाकर 22 विधायक मंत्री थे तो BJP में उप मुख्यमंत्री समेत 13 विधायक ही मंत्री बने थे। इस बार मंत्रिमंडल विस्तार में BJP के 12 और विधायक मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। वहीं, JDU के चार विधायक अभी मंत्रिमंडल में शामिल हैं। 11 और विधायक मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। बिहार सरकार में कुल 44 विभाग हैं, लेकिन मंत्रियों के लिए सिर्फ 36 पद ही स्वीकृत किए गए हैं। वजह कि विधानसभा की कुल सीटों के 15 प्रतिशत ही मंत्री हो सकते हैं। इसलिए जो विभाग बच जाते हैं, वो मुख्यमंत्री के जिम्मे ही होते हैं।
50-50 पर अटका था मामला
बिहार में 50-50 का फसाद कैबिनेट विस्तार में सबसे बड़ी अड़चन था। JDU कैबिनेट में 50-50 के फॉर्मूले पर अड़ गई। इसके पहले BJP ज्यादा सीटों की बदौलत कैबिनेट में मंत्रियों के ज्यादा सीटों की हकदार थी। फिर अरुणाचल कांड हुआ और BJP बैकफुट पर आ गई। अरुणाचल में JDU के जीते हुए 6 विधायक BJP में शामिल हो गए तो बिहार कैबिनेट में JDU खुद को मिले हर गम का सिला चाहती है।
दर्जन भर मीटिंग हो चुकी
दिल्ली से लेकर बिहार तक के BJP नेता आधा दर्जन से अधिक बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ एक अणे मार्ग में मुलाकात कर चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद मंत्रिमंडल विस्तार नहीं हो पाया। JDU के अड़ने के पीछे बड़ी वजह लोजपा भी रही। पार्टी का मानना है कि बिहार चुनाव में JDU की यह हालत लोजपा की वजह से हुई। लोजपा, BJP की ही साथी है। ऐसे में BJP को ही इसका भुगतान करना होगा। JDU, लोजपा की वजह से लगभग 35 सीटों पर खुद को हुए नुकसान का दावा करती रही है।
यहां प्रतिशत तो वहां भी
सीटों के बंटवारे में भाजपा ने राज्य कैबिनेट में संख्या के आधार पर हिस्सेदारी की चाहत दुबारा JDU के सामने रखी तो नीतीश कुमार की पार्टी ने उसी की चाल चल दी। JDU ने केन्द्रीय कैबिनेट में संख्या के आधार पर हिस्सेदारी की मांग कर दी। मतलब, हिस्सेदारी में यहां प्रतिशत तो वहां भी। पार्टी के अंदर के सूत्रों के मुताबिक JDU ने अपने 16 सांसदों के अनुपात से केन्द्र में 3 मंत्रीपद की मांग की है। इसमें से एक कैबिनेट और 2 राज्यमंत्री का पद है। केन्द्रीय मंत्रिमंडल में ऐसी हिस्सेदारी नहीं दी गई तो बिहार में 50:50 का फार्मूला ही रहेगा।