Patna:कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता और अपने मन का काम आपको एक दिन तरक्की के उस मुकाम तक जरूर पहुंचाता है जिसका ख्वाब आपने देखा हो। बिहार के युवा ब्रजेश कुमार की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। बिहार के बेगुसराय के रहने वाले इस युवा ने पढ़ाई तो इंजीनियरिंग के बारे में की, लेकिन उन्हें ख्याति मिली गोपालन से। वो भी ऐसी ख्याति कि खुद देश के पीएम नरेंद्र मोदी को उनसे बात करनी पड़ी। बिहार का ये युवा हमारा आपका सबका रोल मॉडल है। आज आपको इनकी सफलता का किस्सा बताते हैं।
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिन पूर्व वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बिहार के मछ्ली पालन व डेयरी उद्योग से जुड़े लोगों से बात की थी। इन्हीं लोगों में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद नौकरी की ओर ध्यान न देकर गोपालन के क्षेत्र में एक नया मुकाम हासिल करने वाले बिहार के बरौनी के रहने वाले युवा ब्रजेश कुमार भी शामिल रहे, जिनके मुरीद खुद पीएम मोदी भी हो गए। पीएम मोदी आत्मनिर्भर भारत के सपनों को साकार कर रहे ब्रजेश कुमार से बात कर काफी प्रभावित हुए। उन्होंने यहां तक कहा कि आपने मुझे इंप्रेस कर दिया है। आप लोगों की बात सुनकर मुझे हौसला मिला है। उन्होंने कहा कि आप अन्य किसानों के साथ गुजरात आएं। यहां पर डेयरी उद्योग और सहकारी समिति की सफल योजनाओं को देखें। मैं इसकी व्यवस्था कराता हूं।
इतना ही नहीं बल्कि पीएम मोदी ने ब्रजेश की सराहना करते हुए कहा कि ब्रजेश जैसे नौजवान उन्हें प्रभावित करते हैं और कोरोना काल के बाद वे अपने क्षेत्र के दूसरे किसानों से संपर्क करें। इन सब किसानों को पीएम मोदी गुजरात भेजकर वहाँ डेयरी का काम समझाएंगे। इसके लिए उन्होनें स्थानीय सांसद व केन्द्रीय पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह से भी अनुरोध किया है।
क्या है ब्रजेश की कहानी ?
ब्रजेश 2013 से ही गोपालन के क्षेत्र में काम कर रहे हैं और अभी महज 30 वर्ष के हैं। इतने कम उम्र में गोपालन के क्षेत्र में ब्रजेश एक बड़ा मुकाम हासिल कर युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए हैं। उन्होंने वर्ष 2010 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। लेकिन नौकरी की ओर ध्यान न देकर के कुछ अलग करने की सोच से 2013 में गोपालन के क्षेत्र में कदम रखा। शुरुआत में ब्रजेश ने करीब दो दर्जन फ्रीजियन साहिवाल एवं जर्सी नस्ल की गाय खरीद 130 लीटर दूध का उत्पादन करने लगे। धीरे-धीरे गोपालन के क्षेत्र में अनुभव मिलने के बाद ब्रजेश राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड आणंद गुजरात के मार्ग दर्शन में अन्य किसानों को भी प्रशिक्षण देने लगे।
पैदावार बढ़ाने के लिए 2017 से कर रहे वर्मीकम्पोस्ट का काम
ब्रजेश ने बताया कि वे किसानों के कृषि की पैदावार बढ़ाने के लिए 2017 से ही वर्मीकम्पोस्ट तैयार करने का काम कर रहे हैं। यह कम्पोस्ट खेतों और फसलों के लिए किसी भी फर्टिलाइजर से ज्यादा फायदेमंद होता है और साथ ही साथ इससे किसान पूरी तरह से ऑर्गैनिक खेती कर एक अच्छी फसल उगा पाता है। ब्रजेश के अनुसार पशुओं को खुला रखने से उनका स्वास्थ्य अच्छा रहता है और उन्हें बीमारी भी कम होती है। गोशाला में सबसे ज्यादा ज़रूरी है साफ-सफाई। ब्रजेश का कहना है कि गोशाला में साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
ब्रजेश को गौपालन के क्षेत्र में सराहनीय कार्य करने पर कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं। इसमें बेगूसराय डीएम द्वारा उत्कृष्ट कृषक पुरस्कार , पशु एवं मत्स्य विभाग बिहार सरकार द्वारा प्रथम प्रगतिशील किसान पुरस्कार, राष्ट्रीय पशु विकास योजना अंतर्गत पशु मेला में द्वितीय पुरस्कार, डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा अभिनव किसान पुरस्कार शामिल हैं। इसके अलावा इन्हें केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह के द्वारा भी 2018 में पुरस्कृत किया जा चुका है।
ब्रजेश के इस सफल प्रयोग से एक यह बात तो साफ है कि गो पालन को अगर पूरानी पद्धति के बजाय नए तकनीकों के सहयोग से किया जाये तो यह किसी भी नौकरी से ज्यादा मुनाफे का काम है। वहीं दूसरी तरफ गो पालन के क्षेत्र में किसानों को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश व केंद्र सरकार द्वारा गोपालन के लिए कई स्कीम भी चलाई जा रही हैं। जिसमे किसानों को सरकार द्वारा अच्छी सब्सिडि दी जा रही है। इन स्कीम्स की जानकारी के लिए आप अपने जिले के कृषि अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं।