Desk: दारोगा, सार्जेंट व सहायक जेल अधीक्षक की मुख्य परीक्षा का परिणाम आने के बाद सोशल मीडिया और कुछ यू ट्यूब चैनलों द्वारा फैलाए जा रहे भ्रम को लेकर कार्रवाई होगी। बिहार पुलिस अवर सेवा आयोग ने ऐसा करनेवाले असफल अभ्यर्थियों और तथाकथित छात्र नेताओं पर सख्त रुख अख्तियार किया है। आयोग ने साफ किया कि अब ऐसी हरकतों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बिहार पुलिस अवर सेवा आयोग के ओएसडी संजय कुमार ने कहा कि विज्ञापन संख्या 1/2019 के तहत दारोगा, सार्जेंट और सहायक जेल अधीक्षक के 2442 पदों पर बहाली हो रही है। मुख्य परीक्षा का रिजल्ट प्रकाशित होने के बाद असफल अभ्यर्थियों और तथाकथित छात्र नेताओं द्वारा रिजल्ट के संबंध में भ्रामक सूचनाएं फैलाई जा रही हैं। सोशल मीडिया, यू ट्यूब और अन्य चैनलों के माध्यम से इसे प्रसारित किया जा रहा है। एक सीरिज में कई रॉल नम्बर वाले परीक्षार्थियों के सफल होने पर भी भ्रम की स्थिति पैदा की जा रही है। माननीय उच्च न्यायालय में दायर विभिन्न रिट याचिकाओं में भी आयोग को दिशा-निर्देश देने के संबंध में भ्रम पैदा किया जा रहा है।
आयोग के मुताबिक जहां तक एक ही सीरिज में कई रॉल नम्बर वाले परीक्षार्थियों के सफल होने का प्रश्न है, तो ऐसा हो सकता है। आयोग का कहना है कि प्रारंभिक परीक्षा में 50072 अभ्यर्थी सफल हुए थे, जिसमें 47987 अभ्यर्थियों का परीक्षाफल हेतु मूल्यांकन किया गया। मुख्य परीक्षा में 15231 अभ्यर्थी सफल हुए जो प्रारंभिक परीक्षा में सफल हुए अभ्यर्थियों का लगभग 33 प्रतिशत होता है। एक तिहाई अभ्यर्थियों के सफल होने पर यह संभव है कि एक ही सीरिज में कई लगातार रॉल नम्बर वाले अभ्यर्थी सफल हो सकते हैं। इसी तरह प्रारंभिक परीक्षा के रिजल्ट को निरस्त करने को लेकर पटना उच्च न्यायालय में दायर याचिका भी खारिज की जा चुकी है। पर इसको लेकर भी भ्रम फैलाया जा रहा है।
असफल अभ्यर्थियों द्वारा अपने कोटि के न्यूनतम अंक प्राप्त करनेवाले अभ्यथियों से कम अंक प्राप्त किया गया है जिसके कारण वे परीक्षा में असफल हुए हैं। पूरी परीक्षा प्रक्रिया से बाहर होने के बाद अमर्यादित भाषा का प्रयोग करते हुए भ्रम फैलाकर आयोग की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है। भ्रम फैला रहे यू ट्यूब चैनलों को प्रतिबंधित करने की कार्रवाई की जाएगी।