Desk:वर्षों पूर्व दर्ज कांड के अनुसंधान का डीआईजी बारीकी से अध्ययन कर रहे हैं। जिसमें पुलिस के बड़े अधिकारियों की गर्दन फंसती नजर आ रही है। ताजा मामले के अनुसार वर्ष 2019 में गया के गोपी बिगहा खनन क्षेत्र में भारी मात्रा में बरामद शराब के मामले में तत्कालीन थानाध्यक्ष द्वारा शराब कारोबारी को बचाकर किसी अन्य पर प्राथमिकी दर्ज करने का सनसनीखेज खुलासा डीआईजी ने किया है।
दर्ज कांड में अनुसंधान के अध्ययन उपरांत डीआईजी पी कन्नन के निर्देश पर तत्कालीन थानाध्यक्ष इंस्पेक्टर महेश प्रसाद पर डेहरी नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई है। वहीं किसी अन्य व्यक्ति पर शराब कारोबार से संबंधित दर्ज प्राथमिकी से उक्त व्यक्ति का नाम हटाकर, शराब जब्ती का गवाह बने शराब कारोबारी को पुनः उक्त कांड में अभियुक्त बनाया गया है।
वर्षों पूर्व दर्ज कांड के डीआईजी द्वारा गहन समीक्षा व अध्ययन के बाद इस प्रकार का मामला उजागर होने की खबर से कई अन्य पुलिस पदाधिकारियों में इस बात का हड़कंप मच गया है, कि कहीं अनुसंधान समीक्षा उपरांत दर्ज कांड में छेड़छाड़ के मामले में उन पर गाज न गिर जाए। पुलिस अधिकारी पर डेहरी नगर थाना में दर्ज प्राथमिकी के मामले में बताया गया है कि इंस्पेक्टर महेश प्रसाद दिसंबर 2019 से फरवरी 2020 डेहरी नगर थाना में थानाध्यक्ष के रूप में पदस्थापित थे।
इस दौरान दिसंबर 2019 में गोपी बीघा क्षेत्र में एक खंडहर नुमा क्रशर मशीन वाले कमरे से पुलिस ने 570 कार्टन, कुल 27 हजार लीटर शराब जब्त की थी। उक्त शराब अवैध खनन कारोबारी जनेश्वर सिंह के जमीन पर बने खंडहरनुमा मकान से जब्त हुई थी। तत्कालीन थानाध्यक्ष ने इस मामले में जनेश्वर सिंह पर शराब कारोबारी की प्राथमिकी दर्ज करने के बजाय उन्हें जब्ती सूची का गवाह बना दिया, और एक अन्य शराब कारोबारी प्रिंस यादव को जब्त शराब के मामले का अभियुक्त बना दिया।
अनुसंधान उपरांत शराब से जुड़े सभी पुराने कांड की समीक्षा करते हुए डीआईजी गहन अध्ययन करने लगे। समीक्षा के दौरान पाया गया कि तत्कालीन थानाध्यक्ष में अवैध खनन कारोबारी जनेश्वर सिंह के मकान से भारी मात्रा में शराब मिलने के बावजूद जनेश्वर सिंह को मामले से बचाते हुए गवाह बना दिया और निर्दोष प्रिंस यादव को शराब कांड में अभियुक्त बना दिया। शराब के बड़े कांड में थानाध्यक्ष द्वारा की गई हेराफेरी के मामले में डीआईजी ने उक्त कांड से प्रिंस यादव का नाम हटाते हुए जनेश्वर सिंह को शराब कारोबार का अभियुक्त बनाने का निर्देश दिया। साथ ही इस मामले में तत्कालीन थानाध्यक्ष सह इंस्पेक्टर महेश प्रसाद को निलंबित करते हुए उन पर प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया।
डीआईजी के निर्देश पर रविवार को नगर थाना में महेश प्रसाद पर प्राथमिकी दर्ज की गई। बताया जाता है कि इंस्पेक्टर महेश प्रसाद वर्तमान में कैमूर पुलिस अधीक्षक कार्यालय में पदस्थापित है। डीआईजी ने बताया कि शराब कांड में हेराफेरी के मामले में इंस्पेक्टर पर प्राथमिकी दर्ज कर विभागीय कार्रवाई की जा रही है।