Patna:ओलंपिक में बिहार के खिलाडि़यों के लिए मेडल का सपना तो बहुत दूर का है, अभी बिहार को तलाश उस एक अदद ओलंपियन की है, जो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर सके. पिछले 40 सालों से यह इंतजार कायम है. आखिरी बार, 1976 और 1980 के ओलंपिक में बिहार के एथलीट शिवनाथ सिंह ने भारतीय टीम में जगह बनाई थी. अब अगले ओलंपिक में क्या बिहार के खाते में कोई पदक आएगा? उम्मीद की बात करें तो निशानेबाजी में श्रेयसी सिंह सहित कुछ नाम हैं.
निशानेबाज श्रेयसी सिंह टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर सकती हैं. हालांकि, गोल्डकास्ट कॉमनवेल्थ गेम्स के ट्रैप इवेंट में गोल्ड जीतने वाली जमुई निवासी श्रेयसी के दो क्वालीफाइंग इवेंट कोरोना के कारण रद हो गए हैं. अब टोक्यो जाने के लिए उन्हें अगले क्वालीफाइंग टूर्नामेंट में बेहतर करना होगा. पिछले तीन सालों में जूनियर एथलीटों ने नेशनल में बेहतर प्रदर्शन किया है. पाटलिपुत्र खेल परिसर में सिंथेटिक ट्रैक लगने से राष्ट्रीय प्रतियोगिता होने लगी है. एक संघ रहने से खिलाडिय़ों की खींचतान भी बंद हुई है. एथलीट राष्ट्रीय प्रतियोगिता में जीत रहे हैं.
नेशनल लेवल वन कोर्स कर चुके प्रशिक्षक राम रतन सिंह ने बताया कि विभाजन के बाद इंफ्रास्ट्रक्चर झारखंड में रह जाने से बिहार को नुकसान हुआ. हॉकी के लिए महज एस्ट्रोटर्फ था. तीरंदाजी सेंटर झारखंड में है, जबकि बिहार को इसका इंतजार है. यही कारण है कि विभाजन के बाद झारखंड ने इन दो खेलों में कई ओलंपियन दिए. आठ साल तक बिहार में तीन एथलेटिक्स संघ होने से घर से लेकर दूसरे राज्यों में खिलाडिय़ों को फजीहत झेलनी पड़ी थी. कई ने एथलेटिक्स को अलविदा कह दिया और कई ने झारखंड रुख किया.
2018 में जाकर बिहार एथलेटिक्स संघ का गठन हुआ और उसी साल विजयवाड़ा में हुए जूनियर नेशनल में एक टीम गई, जहां बिहार ने तीन स्वर्ण, एक कांस्य पदक जीते. अंजनी कुमारी और राकेश जैसे एथलीटों ने अपने प्रदर्शन से सभी को प्रभावित किया. इसके बाद रायपुर में यूथ नेशनल में सुदामा ने जेवलिन थ्रो में स्वर्ण जीता तो जूनियर फेडरेशन कप में मोहित को रजत पदक मिला. अंजनी पटियाला में भारतीय कैंप में शामिल होने वाली बिहार की एकमात्र एथलीट बनी.
खिलाडिय़ों को अब पाटलिपुत्र खेल परिसर में सिंथेटिक ट्रैक लगने का फायदा मिल रहा है. 2019 में इस ट्रैक पर ईस्ट जोन एथलेटिक्स प्रतियोगिता हुई. भागलपुर, गया, सासाराम, मोतिहारी, मुजफ्फरपुर में सिंथेटिक ट्रैक लगाने की जरूरत है. पटियाला में भारतीय कैंप में शामिल बिहार की एकमात्र जेवलिन थ्रो अंजनी कुमारी को उम्मीद है कि वह अगले साल टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर लेगी.