Desk: पढ़ने का इरादा हो तो कोई भी मुश्किल आपको रोक नहीं सकती है। कोरोना काल में बिहार बोर्ड से जुड़े संसाधन विहीन स्कूलों के छात्र-छात्राओं ने इसे बखूबी कर दिखाया है। छपरा की दो छात्राओं ने कुछ ऐसा कर दिखाया है, जिसे जानकर आप भी दांत तले अंगुलियां दबाने को मजबूर हो जाएंगे। मिली जानकारी के अनुसार सारण यानी छपरा (Saran, Chapra) जिले में एक छात्रा प्रसव के केवल छह घंटे बाद ही इंटर (Bihar Board Inter 12th Exam) की परीक्षा देने परीक्षा केंद्र पर चली गई। इसी जिले में एक अन्य केंद्र पर प्रसव पीड़ा (pain during pregnancy) के बाद छात्रा को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसने बच्चे को जन्म दिया।
छपरा जिले के तरैया और मढ़ौरा से जुड़े हैं मामले
इनमें से पहला मामला सारण जिले के तरैया जबकि दूसरा मामला मढ़ौरा का है। तरैया के रेफरल अस्पताल में छात्रा ने मंगलवार को सुबह साढ़े छह के करीब एक बच्ची को जन्म दिया और उसी दिन दूसरी पाली में होने वाली इंटर परीक्षा में शामिल होने पहुंच गई। इस छात्रा ने छपरा के गांधी हाई स्कूल स्थित परीक्षा केंद्र पर परीक्षा दी। वहीं मढ़ौरा में पंडित जवाहर लाल नेहरू कॉलेज में चल रही परीक्षा के दौरान एक छात्रा को प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। इसके बाद उसे तुरंत पास के अस्पताल में भेजा गया।
छह घंटे पहले जन्मी बच्ची को लेकर पहुंची परीक्षा देने
इंटर परीक्षा देने के 6 घंटे पूर्व नवजात को जन्म देने वाली परीक्षार्थी चर्चा का विषय बन गई। तरैया प्रखंड के नारायणपुर निवासी इंटरमीडिएट की एक परीक्षार्थी को परीक्षा के दिन ही प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। अस्पताल में परीक्षार्थी ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। प्रसव के तुरंत बाद ही हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होकर अपने नवजात बच्ची को साथ लेकर ही परीक्षा देने के लिए छपरा चली गई।
पिछले साल ही हुई थी कुसुम की शादी
प्राप्त सूचना के अनुसार पानापुर प्रखंड के टोटहां जगतपुर निवासी राजदेव राय की पुत्री कुसुम कुमारी की शादी पिछले वर्ष ही तरैया प्रखंड के नारायणपुर निवासी मालिक राय से हुई थी उस समय कुसुम इंटर की पढ़ाई कर रही थी एवं ससुराल आकर भी पढ़ाई जारी रखते हुए इंटर का फॉर्म भरने के समय में मायके जाकर डुमरसन स्थित हाई स्कूल से परीक्षा का फॉर्म भरा था।
परीक्षा से ठीक पहले वाली रात शुरू हो गई प्रसव पीड़ा
अभी 1 फरवरी से शुरू हुई इंटर की परीक्षा में कला संकाय की छात्रा कुसुम कुमारी का पहला पेपर भूगोल का 2 फरवरी को होना था लेकिन 1 फरवरी की रात से ही प्रसव पीड़ा होने की वजह से परिजनों ने आनन-फानन में आज सुबह रेफरल अस्पताल तरैया मैं भर्ती कराया एम अस्पताल पहुंचने के तुरंत बाद ही कुसुम ने एक पुत्री को जन्म दिया।
विशेष परिस्थिति देखते हुए अस्पताल ने किया डिस्चार्ज
साधारण डिलीवरी होने की वजह से एवं जच्चा बच्चा दोनों का स्वास्थ्य संतोषप्रद देखने के बाद पढ़ाई के प्रति जागरूक परिजनों को परीक्षा की चिंता हुई स्वयं कुसुम ने भी किसी भी तरह परीक्षा में शामिल होने की इच्छा जताई। इसके बाद परिजनों ने तुरंत ही छपरा स्थित गांधी हाई स्कूल के सेंटर पर पहुंचने के लिए वाहन का व्यवस्था की एवं विशेष परिस्थिति को देखते हुए तुरंत ही अस्पताल द्वारा डिस्चार्ज कर दिया गया।
कुसुम के जज्बे की सराहना करते रहे लोग
कड़ाके की ठंड के बावजूद इस विषम परिस्थिति में भी परीक्षार्थी द्वारा अपनी नवजात बच्ची के साथ परीक्षा में शामिल होने को लेकर क्षेत्र भर इस बात की चर्चा रही एवं लोग बाग शिक्षा के प्रति परीक्षार्थी एवं उसके परिवार के लोगों की लगन एवं निष्ठा की सराहना करते दिखे।
बिहार बोर्ड के स्कूलों में खुद से पढ़कर बच्चे दे रहे परीक्षा
अप्रैल से दिसंबर तक बिहार के सभी स्कूल और कोचिंग पूरी तरह बंद रहे। जनवरी में कुछ दिनों के लिए स्कूल खुले और केवल एक महीने के अंदर इंटर की परीक्षाएं शुरू हो गईं। बिहार बोर्ड और स्कूल की ओर से बगैर किसी ऑनलाइन क्लास के ज्यादातर छात्र-छात्राओं ने खुद ही परीक्षा की तैयारी की है। ऐसे में छपरा की इन दो छात्राओं का उदाहरण ज्यादा ही प्रभावी हो जाता है।