Patna:महागठबंधन में घोषित तौर पर सीटों के बंटवारे को लेकर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है. मगर भीतर ही भीतर इसे लेकर कवायद चल रही है. राजद पहले से करीब डेढ़ गुनी सीटों पर लड़ने का मन बना चुका है. वहीं कांग्रेस भी पहले से ज्यादा सीटें चाहती है. मांझी के जदयू के साथ जाकर एनडीए का हिस्सा बन जाने की स्थिति में रालोसपा, वीआईपी और वामदल महागठबंधन का हिस्सा होंगे. कांग्रेस फिलहाल राजद के सामने बाकी सहयोगी दलों की अगुवाई करती दिख रही है.
पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो महागठबंधन में तब तीन ही दल थे. तब 101-101 सीटों पर राजद और जदयू लड़े थे, जबकि 41 सीटें कांग्रेस के हिस्से आई थीं. इस बार महागठबंधन का स्वरूप अलग है. जदयू अब एनडीए में शामिल है. वहीं पिछली बार एनडीए के साथ रहे उपेंद्र कुशवाह फिलवक्त महागठबंधन में हैं. राजद इस बार लगभग 150 सीटों पर लड़ना चाहता है. सीटों का बंटवारा भले नहीं हुआ है लेकिन तमाम प्रत्याशियों को क्षेत्र में सक्रिय होने के निर्देश भी दिए जा चुके हैं. राजद की तर्ज पर कांग्रेस भी इस बार 60 से अधिक सीटों पर लड़ना चाहती है.
पिछली सीटों के अलावा पार्टी की ओर से कुछ नई सीटें भी चिह्नित की गई हैं. इसके लिए सभी क्षत्रपों को जिलों में भेजा गया है. इसके अलावा रालोसपा, वीआईपी और वामदलों को भी सीटें दी जानी हैं. इसका फॉर्मूला अभी तैयार किया जा रहा है. यह सहयोगी दल सीटों को लेकर राजद से फिलहाल कोई सीधी बात करने की जगह कांग्रेस के जरिए ही अपनी मांग रखना चाहते हैं. कांग्रेस भी इन सबको साथ लेकर चलने की कवायद कर रही है. वाम दलों को शामिल किए जाने की पहल भी कांग्रेस की ओर से ही की गई है. जहां तक रालोसपा का सवाल है तो एनडीए में रहते हुए पिछले चुनाव में उसे 23 सीटें मिली थीं.
विपक्षी दलों के बीच सम्मानजनक समझौता हो
राज्य के सभी वामदलों ने महागठबंधन में शामिल दलों खासकर राजद और कांग्रेस से सभी विपक्षी दलों से सम्मानजनक और कारगर समझौता करने की मांग की है. इन दलों का कहना है कि चुनाव में एनडीए की हार की गारंटी के लिए तालमेल और सीट शेयरिंग की प्रक्रिया बिल्कुल पारदर्शी और लोकतांत्रिक होनी चाहिए. साथ ही, महागठबंधन की दिशा भी तय होनी चाहिए. इन दलों ने कांग्रेस और राजद के बीच सीटों के कथित गोपनीय बंटवारे को भी दुर्भाग्यजनक बताया है. कहा कि ऐसी खबरों को राजद और कांग्रेस की तरफ से तुरंत खंडन करना चाहिए. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव जैसा सीटों का बंटवारा वामदलों को मान्य नहीं होगा. वाम नेताओं का मानना है कि मनमाने ढंग से सीट बंटवारे से विपक्ष की एकता कमजोर होगी और यह संदेश जाएगा कि कांग्रेस और राजद पिछले दरवाजे से भाजपा गठबंधन की मदद कर रहे हैं.
तालमेल के लिए एक कमेटी बनाने की मांग
वामदलों ने कहा कि सत्ताधारी दल पर हमले के मुद्दों पर फोकस तय होना चाहिए. पूरे तालमेल के लिए एक कमेटी बनाई जानी चाहिए और लोकसभा चुनाव जैसी स्थिति पैदा नहीं होनी चाहिए. वामदलों को भी सम्मानजनक सीटें मिलनी चाहिए. भाकपा माले ने चुनावी तालमेल व वार्ता के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन भी कर दिया है. पार्टी के राज्य सचिव कुणाल के मुताबिक राजनीतिक दिशा तय करने एवं सीटों पर सहमति बनाने के लिए सभी दलों की बैठक बुलाई जानी चाहिए. दलों का मानना है कि कोरोना संकट में लॉकडाउन के कारण बेरोजगारी और भुखमरी बढ़ गई है. इस संकट में चुनाव कराना एक अपराध सरीखा है. इसका खामियाजा जनता को भुगतना होगा. जनता की इच्छा है कि विपक्षी दल आपसी सहमति के आधार पर एक ही मोर्चा बनाएं. यह समय की मांग भी है.