Desk: इस बार बिहार की परीक्षा में नकल कराने की बड़ी तस्वीरें नहीं आ रहीं, लेकिन अपनी जगह दूसरे को परीक्षा में बैठाने का गजब ट्रेंड सामने आ रहा है। भागलपुर शहर के एक सेंटर TNB कॉलेज में बुधवार को ऐसे 23 ‘मुन्नाभाई’ मिले। 22 पकड़े गए, जबकि एक कूदकर भाग निकला।
भास्कर ने इन सभी के बारे में पड़ताल की तो सामने आया कि इंटर पास कराने का मैक्सिमम रिटेल प्राइस (MRP) 10 हजार रुपए है। मतलब, अधिकतम 10 हजार रुपए में ही स्कॉलर इंटर पास कराने की गारंटी ले रहे हैं। वैसे, 300 रुपए के लिए एक पेपर देने वाला भी पकड़ा गया। जिन 22 लड़कों को पकड़ा गया, उनमें से 8 पैसे लेकर एग्जाम दे रहे थे। इनके अलावा भागने वाला मुन्नाभाई भी उसी तरह का था। पैसे के लिए यह काम करने आए लड़कों ने घर से कमजोर होने की बात कही। बाकी ने अलग-अलग, लेकिन दिलचस्प कहानियां सुनाईं।
पहले समझिए, रेट के साथ पूरी डील के बारे में
- असल परीक्षार्थी ITI काउंसलिंग में था, नकली BN कॉलेज से आया था
संजीव उर्फ संजीत कुमार ने बताया कि वह BN कॉलेज भागलपुर में स्नातक प्रथम वर्ष (इतिहास) का छात्र है। उसके पिता मजदूर हैं। वह ऋतुराज के बदले परीक्षा देने आया था। बुधवार को ऋतुराज का कहलगांव में आईटीआई की काउंसलिंग थी। 10,000 में सौदा तय हुआ था। ऋतुराज ने 3000 रुपए एडवांस दिए थे, जबकि 7000 रुपए बाकी थे।
- सबौर कॉलेज के ग्रेजुएशन का छात्र 8000 एडवांस लेकर दे रहा था परीक्षा
संदीप कुमार ने बताया कि वह सबौर महाविद्यालय में स्नातक (दर्शन शास्त्र) तृतीय खंड का छात्र है। वह शंकर कुमार के बदले परीक्षा दे रहा था, इसके लिए उसने 8000 रुपए एडवांस के तौर पर लिए थे। दो हजार रुपए परीक्षा के बाद लेने थे। संदीप के पिता भी मजदूरी करते हैं।
- मोरारका कॉलेज से इंटर पास मुन्नाभाई 3000 एडवांस लेकर दे रहा था पेपर
दूसरे की जगह परीक्षा दे रहे सोनू कुमार ने बताया कि वह मोरारका कॉलेज सुल्तानगंज से इंटर पास कर चुका है। वह राजकुमार के बदले परीक्षा दे रहा था। इसके लिए 3000 रुपए एडवांस मिले थे, जबकि 7000 रुपए बाकी थे। सोनू के पिता भी मजदूर हैं।
- ताडरपुर इंटर कॉलेज का छात्र खुद इंटर पास नहीं, मगर आया पास कराने
सुनील कुमार ने बताया कि पह ताडरपुर इंटर कॉलेज में 11वीं (गणित) का छात्र है। 3000 रुपए लेकर वह शिव शंकर कुमार के बदले परीक्षा दे रहा था। उसके पिता मवेशी चराते हैं।
- साहिबगंज कॉलेज का छात्र 8 हजार रुपए के लिए आया था एग्जाम देने
आशीष कुमार उर्फ चंदन ने बताया कि वह साहिबगंज कॉलेज के स्नातक प्रथम खंड (अंग्रेजी) का छात्र है। वह रोहित कुमार के बदले परीक्षा दे रहा था। इसके लिए उसने रोहित से 2000 रुपए लिए थे, जबकि 6000 रुपए परीक्षा के बाद मिलना था। आशीष के पिता किसान हैं।
- दोस्त दिलखुश के लिए 10000 रुपए में परीक्षा दे रहा था
ध्रुव कुमार ने बताया कि अपने दोस्त दिलखुश कुमार के बदले परीक्षा दे रहा था। वह प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करता है। दिलखुश ने उसे परीक्षा में बैठने के लिए 10000 रुपए दिए थे।
- खुद इंटर का छात्र, घर चलाने के लिए 2000 रुपए में मान गया
17 साल के बजरंगी कुमार ने बताया कि वह खुद इंटरमीडिएट (कला) का छात्र है। वह अभिषेक कुमार के बदले परीक्षा दे रहा था। उसने इसकी वजह अपने घर की आर्थिक तंगी बताई। उसका कहना था कि घर में उसके अलावा उसके माता-पिता हैं। पिता काम नहीं करते, इसलिए घर का बोझ उसी पर है। इसके लिए उसे फिलहाल 2000 रुपए मिले थे।
- ग्रेजुएशन फर्स्ट ईयर का छात्र महज 300 रुपए में चला आया
रवीश कुमार ने बताया कि वह सुल्तानगंज के एके गोपालन महाविद्यालय के स्नातक प्रथम खंड (कला) का छात्र है। वह मनीष कुमार के बदले परीक्षा में शामिल हुआ था। इसके एवज में उसे 300 रुपए मिले थे।
- मोरारका कॉलेज के नीतीश को कितना मिलेगा, परीक्षा के बाद तय होता
नीतीश कुमार उर्फ अमन ने बताया कि वह मोरारका कॉलेज सुल्तानगंज के स्नातक प्रथम खंड(इतिहास) का छात्र है। वह दीपक कुमार के बदले परीक्षा में शामिल हुआ था। उसने बताया कि फिलहाल पैसे की कोई बात नहीं हुई थी। परीक्षा के बाद यह तय होता कि उसे कितने रुपए मिलेंगे।
जहां पैसे नहीं, वहां एक से बढ़कर एक बहाने
- भाई का मानसिक संतुलन ठीक नहीं, इसलिए मैं दे रहा
अमृत कुमार ने बताया कि वह ताडरपुर कॉलेज में स्नातक प्रथम वर्ष (राजनीति शास्त्र) का छात्र है। भाई रविशंकर कुमार का मानसिक संतुलन ठीक नहीं, इसलिए उसके बदले परीक्षा दे रहा था। सतीश के पिता ईंट भट्ठा पर मजदूरी करते हैं।
- लॉकडाउन में दोस्त स्कूल नहीं गया तो उसकी जगह देने आया परीक्षा
गगन कुमार सबौर महाविद्यालय में स्नातक द्वितीय खंड (राजनीति शास्त्र) का छात्र है। उसने बताया कि उसका दोस्त कृष्णा लॉकडाउन के कारण स्कूल जाकर पढ़ाई पूरी नहीं पाया, इसलिए उसके बदले परीक्षा दे रहा था।
- मामा के बदले भांजा देने पहुंचा था इंटर की परीक्षा
राकेश कुमार ने बताया कि वह AP गोपालन कॉलेज सुल्तानगंज के स्नातक तृतीय खंड (इतिहास) का छात्र है। वह अपने मामा मनीष कुमार के बदले परीक्षा दे रहा था। राकेश के पिता मजदूरी करते हैं।
- दोस्ती का वास्ता निभाने के लिए दोस्त की परीक्षा देने पहुंचा
धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि वह सबौर महाविद्यालय के तृतीय खंड (दर्शन शास्त्र) का छात्र है। उसने बताया कि वह अपने दोस्त राहुल के बदले परीक्षा में शामिल हुआ था। राहुल ने उसे दोस्ती का वास्ता दिया था।
- चचेरे भाई के बदले दे रहा था परीक्षा
मनोहर कुमार ने बताया कि वह अपने चचेरे भाई सुनील कुमार के बदले में परीक्षा दे रहा था। मनोहर कुमार ने 2007 में इंटर की (गणित) पास की थी। इसके बाद उसने पढ़ाई छोड़ दी थी।
- खुद मैट्रिक का छात्र, बड़े भाई की इंटर परीक्षा देने आया
निलेश कुमार ने बताया कि वह इस बार खुद मैट्रिक की परीक्षा देगा। वह अपने बड़े भाई प्रभाकर कुमार के बदले परीक्षा दे रहा था।
- दोस्त दिल्ली में काम कर रहा, उसकी जगह देने आया पेपर
राजेश कुमार ने बताया कि वह हिन्दी विषय से बीए पास है। वह अपने दोस्त वासुदेव के बदले परीक्षा दे रहा था। उसने बताया कि वासुदेव दिल्ली में किसी कंपनी में काम करता है और वह अभी दिल्ली में ही है।
- मोरारका कॉलेज में ग्रेजुएशन का छात्र दोस्त की मदद करने आया
छोटू कुमार ने बताया कि वह मोरारका महाविद्यालय के स्नातक प्रथम खण्ड (राजनीति शास्त्र ) का छात्र है। वह अपने पुराने क्लासमेट रविशंकर के बदले परीक्षा दे रहा था। उसने बताया कि मैं सिर्फ अपने दोस्त की मदद करना चाहता था।
- बिहार से बाहर काम कर रहे लड़के के मां-बाप ने कहा, इसलिए आया
गुलशन कुमार ने बताया कि वह मोरारका महाविद्यालय के स्नातक प्रथम खण्ड (रसायन शास्त्र) का छात्र है। वह रमनदीप के बदले परीक्षा दे रहा था क्योंकि रमनदीप बिहार से बाहर कहीं काम कर रहा है। रमनदीप के माता-पिता ने परीक्षा देने के लिए कहा था।
- दोस्त को अंग्रेजी की परीक्षा भारी लगी, इसलिए देने चला आया
रुस्तम कुमार ने बताया कि वह डीजे महाविद्यालय मुंगेर के स्नातक प्रथम खंड (कला) का छात्र है। वह पावस कुमार के बदले परीक्षा दे रहा था। पावस को अंग्रेजी विषय बहुत जटिल लग रहा था, इसलिए उसने उसके कहने पर पावस के बदले परीक्षा दे रहा था।
- जुनैद दिल्ली में काम कर रहा तो आफताब देने आ गया परीक्षा
आफताब ने बताया कि वह जेएमएस महाविद्यालय के स्नातक प्रथम खण्ड का छात्र है। मोहम्मद जुनैद आलम दिल्ली में काम करता है, इसलिए उसकी जगह आफताब परीक्षा देने आ गया।
- अभी तुम मदद करो, बाद में मैं काम आऊंगा…इस भरोसे पहुंचा
निलेश ने बताया कि वह सबौर कॉलेज में स्नातक प्रथम खंड (इतिहास) का छात्र है और अपने भाई के मित्र उत्तम कुमार के बदले परीक्षा में शामिल हुआ था। उत्तम कुमार ने निलेश कुमार को यह आश्वासन दिया था अभी तुम मेरी मदद कर दो तो समय आने पर मैं भी तुम्हारी मदद कर दूंगा।
- खुद मैट्रिक तक पढ़कर छोड़ा, पड़ोसी के लिए परीक्षा देने आया
अभय कुमार ने बताया कि उसने 2018 में मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करके पढ़ाई छोड़ दिया था। वह सुल्तानगंज के मसदी का निवासी है। उसने अपने पड़ोसी आलोक राज के बदले में परीक्षा में शामिल हुआ था। उसे यह आशा मिली थी कि परीक्षा देने के बाद उसे उचित खर्चा मिलेगा।
और, एक मुन्नाभाई तो गैलरी से कूदकर भाग गया
TNB कॉलेज के असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट अनिरुद्ध कुमार ने बताया कि दूसरी पाली में चंदन कुमार के नाम पर परीक्षा दे रहा लड़का कॉलेज के उत्तरी गेट की गैलरी से कूदकर फरार हो गया।